Thursday, 9 July 2015

अब ग्वालियर नगर निगम का फिर होगा खेलों में जलवा

महापौर विवेक नारायण शेजवलकर से उम्मीदें बढ़ीं
ग्वालियर। बीते पांच साल खेलों में ग्वालियर नगर निगम के लिए विवादों से भरे रहे हैं। घोषणायें तो खूब हुर्इं पर अमल में खासी लेतलाली बरती गई। प्रतियोगिताओं की घोषणायें हुर्इं, सड़कों पर होर्डिंग टंगे लेकिन आयोजन टल गये। वजह महापौर समीक्षा गुप्ता की खेलों में अरुचि कही जा सकती है। ग्वालियर महापौर की आसंदी पर एक बार फिर विवेक नारायण शेजवलकर के आरूढ़ होते ही उम्मीदों का चिराग टिमटिमाने लगा है।
महापौर शेजवलकर खेलों के समुन्नत विकास के हमेशा पक्षधर रहे हैं। उनके पिछले कार्यकाल पर गौर करें तो उन्होंने ग्वालियर नगर निगम को देश भर में एक अलग पहचान दिलाई थी। महापौर शेजवलकर और नगर निगम खेल अधिकारी सतपाल सिंह चौहान की जुगलबंदी पर लोगों को यकीन है कि एक बार फिर खेलों में गंगोत्री बहेगी जिसका लाभ सिर्फ ग्वालियर को ही नहीं बल्कि देश भर के खिलाड़ियों को मिलेगा।
कहते हैं जब नीयत नेक हो और मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो भगवान भी साथ देता है। ऐसे ही हैं ग्वालियर महापौर विवेक नारायण शेजवलकर। श्री शेजवलकर को खेलों में ग्वालियर का स्वर्णिम अतीत पता है, यही वजह है कि वह हर पल कुछ नया करने को बेताब रहते हैं। श्री शेजवलकर में खेलप्रेम कूट-कूट कर भरा है। उन्हें खेल और खिलाड़ियों से लगाव है, यही वजह है कि वे खेलों के विकास में कुछ न कुछ अनोखा करने को हमेशा हसरत भी रखते हैं। श्री शेजवलकर खेलों के महत्व को न केवल जानते हैं बल्कि इन्हें धरातल पर उतारने में कभी तंगहाली का रोना नहीं रोते।
श्री शेजवलकर ने अपने पिछले कार्यकाल में ग्वालियर नगर निगम को खेलों में देश भर में खास पहचान दिलाई थी। उन्होंने न केवल अखिल भारतीय सिंधिया गोल्ड कप हॉकी बल्कि अखिल भारतीय राजमाता विजया राजे सिंधिया स्वर्ण कप फुटबाल प्रतियोगिता को नई दिशा देने का काम किया था। श्री शेजवलकर ने अखिल भारतीय टी-20 क्रिकेट के आयोजन को मूर्तरूप देकर अपने खेलप्रेम का देश भर में डंका पीटा था। खिलाड़ियों के मर्म को समझने वाले श्री शेजवलकर से ग्वालियर महानगरवासियों को काफी अपेक्षाएं हैं। लोगों का कहना है कि श्री शेजवलकर और सतपाल सिंह की जोड़ी एक बार फिर ग्वालियर नगर निगम को देश में एक नई पहचान दिलायेगी। उम्मीद है कि ग्वालियर नगर निगम उन खेलों पर भी फोकस करेगा जिन पर प्राय: ध्यान नहीं दिया जाता। 

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