Wednesday 1 July 2015

डिजिटल इण्डिया की चुनौतियां

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुल्क के सभी गांवों को तकनीकी रूप से मजबूत करना चाहते हैं। बुधवार एक जुलाई को उन्होंने डिजिटल इण्डिया सप्ताह की शुरुआत कर अपने इरादे जता दिये हैं। मोदी सरकार की मंशा है कि डिजिटल इण्डिया के माध्यम से ग्रामीणों को भी रोजमर्रा की सहूलियतें उपलब्ध हों। सरकार ने इस अभियान के तहत नौ क्षेत्रों को निर्धारित किया है। मोदी सरकार का पहला लक्ष्य ब्रॉडबैंड हाईवे है जिसके तहत देश के आखिरी घर तक इण्टरनेट पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। इसमें सबसे बड़ी बाधा नेशनल आॅप्टिक फाइबर नेटवर्क का प्रोग्राम है, जो तीन-चार साल पीछे चल रहा है। गांव-गांव तार बिछाने के लिए सरकार को उन लोगों को काम देना होगा जोकि आॅप्टिक फाइबर नेटवर्क की तकनीक को समझते हैं। सरकार सभी को टेलीफोन सुविधा सुनिश्चित करना चाहती है, लेकिन यह तभी सम्भव है जब लोगों के पास फोन खरीदने की क्षमता हो। अगर सरकार  यह सोच रही है कि वह खुद सस्ते फोन बनाएगी तो उसके पास तकनीक और तैयारी कैसी है, इस पर उसे मंथन करना होगा। हर किसी के लिए इण्टरनेट हो यह अच्छी बात है। इसके लिए पीसीओ की तर्ज पर पब्लिक इण्टरनेट एक्सेस प्वाइंट बनाए जा सकते हैं। यह पीसीओ आसानी से समस्या हल कर सकते हैं, लेकिन हर पंचायत स्तर पर इसको लगाना और चलाना आसान नहीं होगा। मोदी सरकार सरकारी दफ्तरों का डिजिटलाइजेशन कर उसकी सेवाओं को इंटरनेट से जोड़ना चाहती है, पर पिछला अनुभव बताता है कि दफ्तर तो डिजिटल हो जाएंगे पर उनमें काम करने वाले लोग दक्ष कैसे होंगे? मोदी सरकार की मंशा है कि इण्टरनेट के जरिए विकास गांव-गांव तक पहुंचे, लेकिन इसके लिए हमारा दिमाग, हमारी सोच, हमारा प्रशिक्षण और उपकरण सब कुछ डिजिटल होना चाहिए। अगर हमने सरकार के ढांचे को इण्टरनेट से नहीं जोड़ा तो फिर इसके तहत डिलीवरी कैसे होगी? अगर कर भी दी, तो सही मायनों में इसका फायदा लोगों तक नहीं पहुंचेगा क्योंकि इसमें बड़ी धांधली होती है। मोदी सरकार इंफॉर्मेशन फॉर आॅल यानी सभी को जानकारियां मुहैया कराने को तत्पर है लेकिन सवाल यह उठता है कि एक्सेस टू इंफॉर्मेशन के अभाव में यह कैसे सम्भव है? इसके लिए जरूरी है अतिरिक्त अधोसंरचना की ताकि लोगों को आसानी से जानकारी मिल सके। मोदी सरकार को देश में सूचना क्रांति लाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को न केवल बढ़ावा देना होगा बल्कि इनके कल-पुर्जों को आयात शून्य करना भी जरूरी है। यह काम मुश्किल है क्योंकि समूची दुनिया व्यापार करना चाहती है। जहां तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का सवाल है तो अभी तक हम इस मामले में शहरों तक ही सीमित हैं, वजह इसमें नीति और नियमितता की चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं। सरकार अगर आईटी क्षेत्र के जरिए नौकरियां पैदा करना चाहती है तो उसे हर ब्लॉक स्तर पर रूरल बीपीओ खोल देना चाहिए। इससे रोजगार के अवसर भी बनेंगे तथा डिजिटलाइजेशन और ई-गवर्नेंस भी होगा। मोदी सरकार यदि वाकई मुल्क की आवाम को तकनीक से लैश करना चाहती है तो उसे पुरानी तकनीक से तौबा कर नया रवैया अपनाना होगा।

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