Thursday, 23 July 2015

सपनों को लगाए पर, सेण्टर फॉर एम्बीशन

लहर मुश्किल के पत्थर को बनाकर सीढ़ियां अपनी,
जो मंजिल पर पहुंच जाए उसे इंसान कहते हैं।
आज के भागमभाग भरे जीवन में हर मनुष्य सफल होना चाहता है। सफलता के लिए जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओं रूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा होता है। समस्याएं तो दुधारी तलवार होती हैं, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमता को ललकारती हैं। दूसरे शब्दों में वे हममें साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी करती हैं। मनुष्य की तमाम प्रगति, उसकी सारी उपलब्धियों के मूल में समस्याएं ही हैं। यदि जीवन में समस्याएं नहीं हों तो शायद हमारा जीवन नीरस ही नहीं, जड़ भी हो जाए। जो बात हमें पीड़ा पहुंचाती है, वही हमें सिखाती भी है। इसलिए समझदार लोग समस्याओं से डरते नहीं, उनसे दूर नहीं भागते बल्कि उनका डटकर मुकाबला करते हैं। आगरा स्थित सेण्टर फॉर एम्बीशन के संचालक अमित सिंह ने न केवल संघर्ष को जिया है बल्कि आज युवाओं को इसी मंत्र से शिखर तक पहुंचाना चाहते हैं।
सफलता की विशेषताओं के बारे में जानना एवं उनका विश्लेषण करना सरल है, परन्तु इनको अपने व्यक्तित्व में समाहित करना एक वास्तविक चुनौती है। सफलता की विशेषताओं में सकारात्मक सोच, स्वयं पर विश्वास, साहस, लक्ष्य के प्रति समर्पण, कुशल समय प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन आदि गुण सम्मिलित होते हैं। इनसे सहज-सरल-सजग अमित सिंह बखूबी परिचित हैं। ओमप्रकाश-ऊषा सिंह के लाड़ले अमित सिंह अपने अग्रज अजीत सिंह को अपना आदर्श मानते हैं। वह कहते हैं कि यदि मेरे भाई ने मेरा हौसला न बढ़ाया होता तो वह आज कोई छोटा-मोटा रेस्टोरेंट चला रहे होते। सच कहें तो मैनपुरी के एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले अमित सिंह ने मुसीबतों से हार मानने की बजाय उनसे संघर्ष किया है। वह कहते हैं कि सेण्टर फॉर एम्बीशन संस्थान नहीं एक मिशन है। उनका कहना है कि वे नहीं चाहते कि कोई प्रतिभाशाली युवा तंगहाली से हार मानकर अपने सपने को कुर्बान करे। वह अपने संस्थान के सहारे उन गरीब प्रतिभाओं को मुकम्मल स्थान तक पहुंचाना चाहते हैं जोकि उनका सपना है।
वह कहते हैं कि सफलता की शुरुआत आपकी स्वयं की पहचान के साथ होती है। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफलता, शांति एवं प्रसन्नता हासिल करने एवं उसका अभिवर्धन हासिल करने की असीम क्षमता के साथ ईश्वर का एक अद्वितीय सृजन होता है। स्वयं की क्षमता एवं अद्वितीयता की समझ एवं पहचान एक अद्भुत अनुभव है। मानव मस्तिष्क में असीम स्मरणशक्ति और सोचने की क्षमता होती है। विश्व का कोई भी कम्प्यूटर एक स्वस्थ मस्तिष्क की बराबरी नहीं कर सकता। हमें बचपन से ही खाना, पहनना, जीवन जीना, बातचीत करना, काम करना और आनंद लेना तो सिखाया जाता है लेकिन यह नहीं सिखाया जाता कि हमें अपने मन व मस्तिष्क को कैसे इस्तेमाल करना चाहिए, जो हमारे लिए हर चीज को संचालित करता है। सफलता की कला वास्तव में हमारे मस्तिष्क के दक्षतापूर्ण संचालन की एक कला है। यहां, यह समझना महत्वपूर्ण है कि साक्षरता एवं शिक्षा में बहुत बड़ा अंतर होता है। एक व्यक्ति बिना साक्षर हुए भी पूर्ण रूप से शिक्षित हो सकता है। अकबर महान इसका एक सर्वोत्तम उदाहरण हैं। बहुत से संत-महात्मा एवं धार्मिक गुरु निरक्षर थे, किन्तु वे काफी ज्ञानी थे। सच कहें तो शिक्षा का सीधा सम्बन्ध आत्मबोध से होता है। अकादमिक शिक्षा हमें साक्षर और सूचनाओं एवं ज्ञान से समृद्ध बना सकती है, लेकिन उनका इस्तेमाल एवं अर्थवत्ता हमारी वास्तविक शिक्षा की शक्ति पर निर्भर करती है। एक सच्चा शिक्षक वही है, जो अपने विद्यार्थी के मस्तिष्क की मौलिकता को मारे नहीं बल्कि उसे आत्मानुभूति करने में सहायता प्रदान करे। सेण्टर फॉर एम्बीशन आज के युवाओं को इसी सीख के सहारे सफलता की राह दिखा रहा है।
अमित सिंह ने न केवल अपने बड़े भाई की नसीहत को आत्मसात किया बल्कि चार जनवरी, 2003 को उन्होंने अपनी मौसी के उधार लिए चार लाख रुपयों से दिन-रात एक कर अपनी मंजिल को नई दिशा दी। जिचौली (मैनपुरी) गांव से निकल कर आगरा को अपनी कर्मस्थली बनाने वाले अमित सिंह चाहते हैं कि ब्रज मण्डल से अधिक से अधिक युवा प्रशासनिक सेवाओं में पहुंच कर अपने क्षेत्र का नाम रोशन करें। 11 मई, 2004 को अपनी इमारत में स्थापित हुए सेण्टर फॉर एम्बीशन ने अब तक पांच सौ से अधिक युवाओं को उनकी मंजिल तक पहुंचाया है। सेण्टर फॉर एम्बीशन में युवाओं को न केवल आठ घण्टे शैक्षिक मार्गदर्शन मिलता है बल्कि अपने घर सा वातावरण मुहैया कराने में भी संस्थान ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। सेण्टर फॉर एम्बीशन के संचालक अमित सिंह अलीगढ़ और मेरठ में भी शिक्षा की अलख जगाने का सपना देख रहे हैं। संस्थान से प्रतिवर्ष दर्जनों युवाओं का प्रशासनिक सेवा में चयन इस बात का ही सूचक है कि यहां सपने दिखाये नहीं बल्कि पूरे किये जाते हैं।
देखा जाये तो युवाओं को मंजिल तक पहुंचाने के लिए हर शहर में आधुनिक पेशेवरों का एक बहुत बड़ा वर्ग लगा हुआ है लेकिन युवाओं को जो तालीम सेण्टर फॉर एम्बीशन में मिलती है, वह दूसरी जगह नामुमिकन नहीं तो कठिन जरूर है। देश भर में लाखों स्नातक ‘न्यूनतम योग्यता’, स्नातकोत्तर, डॉक्टर, इंजीनियर इत्यादि युवक-युवतियां सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अर्जित करने के सपने संजोते हैं। यह एक ऐसी परीक्षा है जो छात्र-छात्राओं के लिए डीएम, एसपी इत्यादि उच्चवर्गीय पदों तक पहुंचने का माध्यम है। इस मुकाम को हासिल करने के लिए तीन चरणों 'प्रारम्भिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार' को पार करना पड़ता है। प्रारम्भिक परीक्षा में हर वर्ष 3-4 लाख अभ्यर्थी बैठते हैं। जो अभ्यर्थी प्रारम्भिक में पास होते हैं वे मुख्य परीक्षा में अपनी योग्यता प्रदर्शित करते हैं। मुख्य परीक्षा में अधिक से अधिक अंक अर्जित कर अभ्यर्थी अंतिम रूप से चयन लगभग सुनिश्चित कर सकते हैं। सेण्टर फॉर एम्बीशन में तालीम हासिल कर रहे युवाओं का कहना है कि यहां घर सा माहौल हर पल मंजिल हासिल करने को प्रेरित करता है।
अमित सिंह संचालक
अजीत सिंह मार्गदर्शक

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