Wednesday, 15 July 2015

विवादों से पीछा छुड़ाना मुश्किल: सानिया

विम्बलडन की महिला डबल्स चैम्पियन सानिया मिर्जा ने कहा कि विवादों से पीछा छुड़ाना हमेशा मुश्किल होता है। विवादित सुर्खियों से अखबारों की बिक्री बढ़ाने में जरूर मदद मिलती होगी। सानिया ने हाल ही में स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर विम्बलडन का महिला डबल्स खिताब जीता है।
अक्सर विवादों में रहने और क्वीन आॅफ कंट्रोवर्सीज कहे जाने के सवाल पर सानिया ने कहा कि इन सबसे निपटना मुश्किल तो है, लेकिन मुझे गर्व है कि मैंने इतने सारे अखबारों की बिक्री बढ़ाने में मदद की है। महिला डबल्स की वर्ल्ड रैंकिंग में सबसे ऊपर पहुंची सानिया ने कहा, पिछले 10 साल से मैं जो करती हूं और जो नहीं करती हूं, वे सभी बातें खबरें जरूर बन रही हैं। सानिया को कुछ मुस्लिम संगठनों की ओर से ड्रेस कोड अपनाने की सलाह दिए जाने पर विवाद हुआ तो पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी के बाद उनकी राष्ट्रीयता पर भी कई बार सवाल उठाए गए। इसी तरह जब सानिया को तेलंगाना का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया तो राज्य विधानसभा में भाजपा नेता के लक्ष्मण ने उन्हे पाकिस्तान की बहू करार दिया, इसे लेकर भी खूब विवाद हुआ।
सानिया मानती हैं कि भारत में स्टार खिलाड़ियों को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह रहता है। उन्होंने कहा, हम लोग अपने स्टार्स को बहुत प्यार करते हैं और बहुत नफरत भी। सानिया ने आगे कहा, कि मैं 15 साल की थी तब से ही लाइमलाइट में हूँ। मैंने कुछ गलतियां की हैं और उनके साथ ही बड़ी हुई हूँ। सानिया ने कहा कि उन्होंने जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेनिस खेलना शुरू किया तो उस दौरान कई आश्चर्यजनक बातें हुर्इं, लेकिन अगर मुझे ये सब कुछ दोबारा करना पड़े तो मैं कुछ भी नहीं बदलूँगी क्योंकि मैं अपनी इसी शख्सियत की वजह से सेलेब्रेटी हूँ।
मैं हमेशा चाहती हूँ भारत ही जीते
विम्बलडन में महिला डबल्स जीतने वाली सानिया मिर्जा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के मैच में वे हमेशा ही चाहती हैं कि मैच भारत ही जीते, भले ही उनके पति शोएब मलिक जितने भी रन बनाएं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें और शोएब को दोनों देशों के बीच कोई फर्क महसूस नहीं होता। उन्होंने कहा, मुझे पाकिस्तान में बहुत प्यार मिलता है, शोएब को भी भारत में बहुत प्यार मिलता है। दोनों देशों में रहन-सहन और खान-पान में समानताएं हैं, तो कोई मुश्किल नहीं होती। सानिया ने बताया कि वह छह साल की उम्र से टेनिस खेल रही हैं लेकिन 11-12 की उम्र में एडीडास के नेशनल मैच, अंडर-14 और अंडर-16 जीतने के बाद इसे अपना करियर बनाने को लेकर वो गम्भीर हो गर्इं। सानिया मानती हैं कि भारत में पुरुष टेनिस की स्थिति महिला टेनिस से बेहतर है। सानिया ने कहा कि उन्हें प्रार्थना थोम्बरे, अंकिता रैना और करमन कौर थंडी जैसी युवा महिला खिलाड़ियों से काफी उम्मीदें हैं।
टेनिस सिंगल्स में विश्व स्तर पर भारतीय खिलाड़ियों के ज्यादा अच्छा प्रदर्शन न करने पर सानिया ने कहा कि इसकी वजह है भारत में टेनिस का लोकप्रिय खेल न होना। उन्होंने कहा कि भारत में लोग घर से बाहर निकल कर क्रिकेट खेलते हैं लेकिन टेनिस नहीं। सानिया मानती हैं कि टेनिस में मुकाबला भी काफी कड़ा होता है क्योंकि दुनिया में डेढ़ सौ से अधिक देशों में टेनिस खेली जाती है।
विम्बलडन में भारतीयों की सफलता का राज?
बीता पखवाड़ा भारतीय टेनिस के लिए बेहद चमकदार रहा। लंदन में हुए विम्बलडन टेनिस टूर्नामेंट के डबल्स मुकाबलों में भारतीय खिलाड़ी छाए रहे। महिला डबल्स में भारत की सानिया मिर्जा और स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस, मिक्स डबल्स में भारत के लिएंडर पेस तथा मार्टिना हिंगिस और ब्वॉयज डबल्स में भारत के सुमित नागल और वियतनामी नाम हांग ली ने खिताबी जीत हासिल की। अब चर्चा इस बात की है कि इस बार ऐसा क्या हुआ कि भारत ने खिताबों की तिकड़ी लगाई।
लिएंडर बेमिसाल
42 साल की उम्र में भी लिएंडर पेस और 28 साल की हो चली सानिया मिर्जा की कामयाबी को लेकर भारत के बेहद अनुभवी और पूर्व डेविस कप कप्तान नरेश कुमार कहते हैं कि दोनों पुराने योद्धा हैं। नरेश कुमार मानते हैं कि सानिया मिर्जा ने तो विम्बलडन में ऐसा खेल दिखाया जो उन्होंने कभी एकल खिलाड़ी के रूप में भी नहीं दिखाया था। नरेश कुमार खुद भी साल 1962 में आॅस्ट्रेलिया के महान टेनिस खिलाड़ी रॉड लेवर के साथ साल विम्बलडन का उद्घाटन मैच खेल चुके हैं। नरेश कुमार याद करते हुए कहते हैं कि साल 1999 में लिएंडर ने विम्बलडन में दो खिताब जीते थे। तब उन्होंने महेश भूपति के साथ पुरुष युगल तथा मिश्रित युगल में अमरीका की लीसा रेमण्ड के साथ मिश्रित युगल का खिताब अपने नाम किया था। नरेश कुमार लिएंडर पेस के खेल की खासियत बताते हुए कहते हैं कि उनका खेल नेट पर बेहद जबरदस्त है। उनकी चुस्ती-फुर्ती से विरोधी जोड़ी सशंकित रहती है। पेस का यह 16वां ग्रैंड स्लैम खिताब है तो सानिया का पहला विम्बलडन खिताब।
नरेश कुमार कहते हैं कि कमाल की बात है कि सानिया मिर्जा ने ही महिला युगल में विजयी शॉट लगाया। कोर्ट पर उनके बैक हैण्ड रिटर्न शानदार रहे जो कभी उनकी कमजोरी माने जाते थे। लिएंडर और सानिया ने दोनों ने मार्टिना हिंगिस जैसी खिलाड़ी के साथ अपनी जोड़ी बनाई जो सिंगल्स में दुनिया की नम्बर एक खिलाड़ी रह चुकी हैं। 34 साल की हिंगिस की फिटनेस और अनुभव ने ये खिताब जीतने में अहम भूमिका निभाई है। लिएंडर पेस के पिता और 1980 में मॉस्को ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली हॉकी टीम के सदस्य रहे वेस पेस कहते हैं कि लिएंडर भारतीय टेनिस का भविष्य नहीं हैं लेकिन उनकी कामयाबी से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।
सुमित की कामयाबी
ब्वॉयज डबल्स में सुमित नागल की कामयाबी को लेकर नरेश कुमार कहते हैं कि अभी उन्हें परिपक्व होने में चार-पांच साल लगेंगे। कुमार कहते हैं कि एक युवा खिलाड़ी को पूरी तरह निखारने में एक-डेढ़ लाख डॉलर प्रति साल का खर्च आता है जिसे बिना किसी प्रायोजक के जुटाना आसान नहीं है। यही कारण है कि प्रतिभा होते हुए भी भारतीय खिलाड़ी पिछड़ जाते हैं। अब जब महेश भूपति का खेल ढल चुका है तो लिएंडर और सानिया के बाद दूर-दूर तक कोई ऐसा जुझारू भारतीय खिलाड़ी नजर नहीं आता। ऐसे में भविष्य को छोड़कर फिलहाल वर्तमान पर ही गर्व किया जा सकता है।

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