Sunday, 5 July 2015

व्यापम में मौत का डर

मध्यप्रदेश का बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मण्डल घोटाला अब चोरी और सीनाजोरी की हद तक जा पहुंचा है। शिक्षा जगत के इस सबसे बड़े घोटाले में अब तक जहां कई सैकड़ा आरोपी जेल जा चुके हैं वहीं लगभग 50 लोगों की मौत ने जांच में लगे लोगों को डरा दिया है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस चंद्रभूषण की अध्यक्षता में एसआईटी  इस घोटाले की जांच कर रही है। जस्टिस चंद्रभूषण भी मानते हैं कि इस मामले से जुड़े लोगों की एक के बाद एक मौत चिन्ता की बात है। व्यावसायिक परीक्षा मण्डल में जब से भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है तभी से इस मसले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की मांग हो रही है। कहने को बीते दो साल से इस मामले की जांच हो रही है, पर प्रगति संतोषजनक नहीं है। अब तो न सिर्फ जांच को आंच आ रही है बल्कि इस घोटाले के आरोपियों और गवाहों की अस्वाभाविक मौतों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इस प्रकरण में टेलीविजन पत्रकार अक्षय सिंह और जबलपुर एमएस मेडिकल कॉलेज के डीन अरुण शर्मा की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। पत्रकार अक्षय की झाबुआ तो अरुण शर्मा की दिल्ली में मौत हुई है। अरुण शर्मा इस घोटाले की जांच कर रही एसआईटी की मदद कर रहे थे। इस प्रकरण में इससे पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष यादव सहित चालीस से अधिक आरोपियों और गवाहों की जानें जा चुकी हैं। इनमें से 23 आरोपियों की मौतों को खुद विशेष जांच दल ने अस्वाभाविक करार दिया है। व्यापम घोटाले में इतनी बड़ी तादाद में हो रही मौतें क्या यह संदेह पुख्ता नहीं करतीं कि घोटाले का दायरा अनुमान से ज्यादा बड़ा है और गवाहों तथा आरोपियों को इसलिए ठिकाने लगाया जा रहा है ताकि पूछताछ  में कुछ बड़े नामों का खुलासा न हो जाए। इस मामले का स्याह सच तो यह है कि यदि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता इस गड़बड़झाले से जुड़े तथ्य सामने नहीं लाए होते तो शायद यह मामला कभी उजागर ही नहीं होता। इस मामले से जुड़े लोगों की मौतों ने इस प्रकरण का खुलासा करने वाले कार्यकर्ताओं को डरा दिया है। इस घोटाले के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाने वाले आनंद राय का कहना है कि अगर राज्य सरकार खुद को पाक-साफ बताने की कोशिश कर रही है तो क्या यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं है कि घोटाले के गवाहों और पकड़े गए तमाम आरोपियों के साथ-साथ इसका खुलासा करने वाले कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे? पत्रकार अक्षय की अचानक हुई मौत को लेकर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार पर निशाना साधा है। मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि वह व्यापम मामले पर हाईकोर्ट की बनाई एसआईटी से सिफारिश करेगी कि अक्षय सिंह की मौत की निष्पक्ष जांच करे। रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि व्यापम से जुड़े हर मामले की जांच हाईकोर्ट सीबीआई समेत किसी भी एजेंसी से कराने को स्वतंत्र है, सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी। व्यावसायिक परीक्षा मण्डल मध्य प्रदेश में प्री-मेडिकल, प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट के साथ-साथ कई सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा कराता है।

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