सुविधाएं बढ़ीं तो खेल का स्तर भी सुधरा
पुरुष टीम से महिला क्रिकेट की तुलना ठीक नहीं
ग्वालियर। एक समय था जब क्रिकेटरों की कोई पूछ-परख नहीं थी। सुविधाएं शून्य थीं लेकिन खेल का स्तर लाजवाब था। आज क्रिकेट में सुविधाएं बढ़ी हैं पर खेल में पहले जैसी क्लास नहीं रही। विश्व क्षितिज पर महिला क्रिकेटर भी अपने लाजवाब प्रदर्शन का जलवा दिखा रही हैं, वह दिन दूर नहीं जब भारतीय महिला टीम भी पुरुष टीम की तरह सुर्खियों में होगी। यह कहना है पूर्व भारतीय महिला टीम की कप्तान और उद्घाटक बल्लेबाज संध्या अग्रवाल का।
कैप्टन रूप सिंह मैदान में पंजाब और मध्यप्रदेश की अण्डर-19 आयु वर्ग की टीमों के बीच खेली गई छह मैचों की फटाफट क्रिकेट सीरीज कोे अच्छा कदम निरूपित करते हुए महिला क्रिकेट की गावस्कर संध्या अग्रवाल ने पुष्प सवेरा से खास बातचीत में कहा कि हमारे जमाने में सुविधाओं का अकाल था। तब मुकाबले भी बहुत कम होते थे, पर आज अवसरों की कमी नहीं है। जितने अवसर पुरुष क्रिकेटरों को मिल रहे हैं वैसे ही हर फार्मेट में महिलाओं को भी मिल रहे हैं। जरूरत है खिलाड़ी इन अवसरों का लाभ उठाएं। मैदान में किया गया प्रदर्शन ही खेल के स्तर को चार चांद लगाता है। भारत के लिए 11 साल में 13 टेस्ट और 21 वनडे खेलने वाली संध्या अग्रवाल ने कहा कि महिला क्रिकेट की तुलना पुरुष क्रिकेट से नहीं की जानी चाहिए। 1983 से पहले भारत में क्रिकेट को कौन जानता था। एक विश्व कप ने सब कुछ बदल दिया है। आज देश का बच्चा-बच्चा क्रिकेट का दीवाना है।
संध्या ने कहा कि महिला क्रिकेट के लिए हमें इंतजार करना चाहिए। बेटियां अच्छा कर रही हैं, रिजल्ट जरूर मिलेंगे। 51 वर्षीय संध्या अग्रवाल का कहना है कि विश्व क्षितिज पर आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, न्यूजीलैण्ड और भारत में कोई बड़ा फर्क नहीं है। भारतीय टीम एशिया महाद्वीप में सर्वश्रेष्ठ है तो कभी दसवें पायदान पर रही वेस्टइण्डीज की बेटियों ने अपने खेलस्तर में आशातीत सुधार कर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। 50 से अधिक औसत के साथ टेस्ट क्रिकेट में चार शतक और 1110 रन बनाने वाली प्रारम्भिक बल्लेबाज संध्या का कहना है कि टेस्ट क्रिकेट के प्रति घटती दिलचस्पी अखरने वाली बात है। टेस्ट मैचों से दर्शकों का विमुख होना मूल क्रिकेट के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के नजरिए पर पूर्व कप्तान ने कहा कि बीसीसीआई महिला क्रिकेट के लिए बहुत कुछ कर रही है। खिलाड़ियों को हर मुमकिन सुविधा मिल रही है तो अब मैदानों का भी रोना नहीं रहा। संध्या ने कहा कि हमारे जमाने में तरीके के मैदान नहीं होते थे तो सुविधाएं भी न के बराबर थीं। फटाफट क्रिकेट के 21 मुकाबलों में 567 रन बनाने वाली इस खिलाड़ी ने कहा कि आज छोटे प्रारूप की क्रिकेट पसंद की जा रही है, पर हमें मूल क्रिकेट यानी टेस्ट क्रिकेट को नहीं भूलना चाहिए। मध्यप्रदेश महिला क्रिकेट की तीन समितियों की प्रमुख संध्या का कहना है कि लोग कुछ भी कहें पर भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल है। हर प्रदेश महिला क्रिकेट के उत्थान को प्रयास कर रहा है, इसके नतीजे जरूर सुखद होंगे।
पुरुष टीम से महिला क्रिकेट की तुलना ठीक नहीं
ग्वालियर। एक समय था जब क्रिकेटरों की कोई पूछ-परख नहीं थी। सुविधाएं शून्य थीं लेकिन खेल का स्तर लाजवाब था। आज क्रिकेट में सुविधाएं बढ़ी हैं पर खेल में पहले जैसी क्लास नहीं रही। विश्व क्षितिज पर महिला क्रिकेटर भी अपने लाजवाब प्रदर्शन का जलवा दिखा रही हैं, वह दिन दूर नहीं जब भारतीय महिला टीम भी पुरुष टीम की तरह सुर्खियों में होगी। यह कहना है पूर्व भारतीय महिला टीम की कप्तान और उद्घाटक बल्लेबाज संध्या अग्रवाल का।
कैप्टन रूप सिंह मैदान में पंजाब और मध्यप्रदेश की अण्डर-19 आयु वर्ग की टीमों के बीच खेली गई छह मैचों की फटाफट क्रिकेट सीरीज कोे अच्छा कदम निरूपित करते हुए महिला क्रिकेट की गावस्कर संध्या अग्रवाल ने पुष्प सवेरा से खास बातचीत में कहा कि हमारे जमाने में सुविधाओं का अकाल था। तब मुकाबले भी बहुत कम होते थे, पर आज अवसरों की कमी नहीं है। जितने अवसर पुरुष क्रिकेटरों को मिल रहे हैं वैसे ही हर फार्मेट में महिलाओं को भी मिल रहे हैं। जरूरत है खिलाड़ी इन अवसरों का लाभ उठाएं। मैदान में किया गया प्रदर्शन ही खेल के स्तर को चार चांद लगाता है। भारत के लिए 11 साल में 13 टेस्ट और 21 वनडे खेलने वाली संध्या अग्रवाल ने कहा कि महिला क्रिकेट की तुलना पुरुष क्रिकेट से नहीं की जानी चाहिए। 1983 से पहले भारत में क्रिकेट को कौन जानता था। एक विश्व कप ने सब कुछ बदल दिया है। आज देश का बच्चा-बच्चा क्रिकेट का दीवाना है।
संध्या ने कहा कि महिला क्रिकेट के लिए हमें इंतजार करना चाहिए। बेटियां अच्छा कर रही हैं, रिजल्ट जरूर मिलेंगे। 51 वर्षीय संध्या अग्रवाल का कहना है कि विश्व क्षितिज पर आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, न्यूजीलैण्ड और भारत में कोई बड़ा फर्क नहीं है। भारतीय टीम एशिया महाद्वीप में सर्वश्रेष्ठ है तो कभी दसवें पायदान पर रही वेस्टइण्डीज की बेटियों ने अपने खेलस्तर में आशातीत सुधार कर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। 50 से अधिक औसत के साथ टेस्ट क्रिकेट में चार शतक और 1110 रन बनाने वाली प्रारम्भिक बल्लेबाज संध्या का कहना है कि टेस्ट क्रिकेट के प्रति घटती दिलचस्पी अखरने वाली बात है। टेस्ट मैचों से दर्शकों का विमुख होना मूल क्रिकेट के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के नजरिए पर पूर्व कप्तान ने कहा कि बीसीसीआई महिला क्रिकेट के लिए बहुत कुछ कर रही है। खिलाड़ियों को हर मुमकिन सुविधा मिल रही है तो अब मैदानों का भी रोना नहीं रहा। संध्या ने कहा कि हमारे जमाने में तरीके के मैदान नहीं होते थे तो सुविधाएं भी न के बराबर थीं। फटाफट क्रिकेट के 21 मुकाबलों में 567 रन बनाने वाली इस खिलाड़ी ने कहा कि आज छोटे प्रारूप की क्रिकेट पसंद की जा रही है, पर हमें मूल क्रिकेट यानी टेस्ट क्रिकेट को नहीं भूलना चाहिए। मध्यप्रदेश महिला क्रिकेट की तीन समितियों की प्रमुख संध्या का कहना है कि लोग कुछ भी कहें पर भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल है। हर प्रदेश महिला क्रिकेट के उत्थान को प्रयास कर रहा है, इसके नतीजे जरूर सुखद होंगे।