हाल-ए-एटा
निर्मित होते ही स्टेडियम के फुटपाथ में पड़ी दरारें
एटा। शहर में खेलकूद और व्यायाम के लिए यूं भी कोई ऐसा स्थान रहा नहीं जहां मॉर्निंग वॉक और खेल-कूदकर शरीर को स्वस्थ और तन्दरुस्त रखा जा सके। पार्क जहां अराजक तत्वों का अड्डा बन गये हैं वहां न हरी घास बची है और न ही खेल के सामान। ऐसे में युवाओं को सिर्फ एक स्थान जो शहर के दो किलोमीटर दूर बने पंडित गोविन्द बल्लभपंत स्टेडियम ही रास आ रहा है। अब यह स्टेडियम खेल अधिकारियों के गड़बड़झाले के कारण उदासीनता का पर्याय बन गया है। यहां शासन द्वारा स्टेडियम का सौन्दर्यीकरण और फुटपाथ के निर्माण को जो लाखों की धनराशि भेजी गई थी, उसमें घोटाले की गंध निर्मित होते ही फुटपाथ पर पड़ी दरारों से आने लगी है।
स्टेडियम में फुटपाथ का निर्माण कार्य चल रहा है जिसमें आरईएस के ठेकेदार द्वारा धड़ल्ले से घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। स्टेडियम में बनाये जा रहे फुटपाथ का कार्य समाप्ति की ओर है। फुटपाथ के निर्माण में सफेद पाउडर से निर्मित घटिया ईंट और तकरीबन 12:1 के अनुपात का मसाला प्रयुक्त किया जा रहा है। बनने से पहले ही फुटपाथ में दरारें पड़ गयी हैं। वह ध्वस्त होने लगा है। निर्माण कार्य के अनुभवी लोगों द्वारा बताया गया है कि फुटपाथ निर्माण में इण्टरलॉकिंग ईंट के नीचे गिट्टी नहीं डाली गयी और ईंट बिछाने से पूर्व फुटपाथ की कुटाई भी नहीं की गई जिसके कारण फुटपाथ के नीचे पड़ी मिट्टी ठोस नहीं हो सकी और पहली हल्की बरसात में ही पूरा का पूरा फुटपाथ नीचे बैठ गया। जिस पर निश्ंिचत होकर टहलना आम जनमानस के लिए खतरे से खाली नहीं है। सरकारी धन का ऐसा दुरुपयोग शायद ही कहीं देखने को मिले कि निर्माण कार्य बिना उपयोग किये ही ध्वस्त हो जाये।
अभी कुछ दिन पूर्व ही एक न्यायिक अधिकारी का इसी फुटपाथ पर पैर टूटते-टूटते बचा था। पूरा स्टेडियम अव्यवस्था का शिकार है। फुटपाथ बनाने से पूर्व स्टेडियम के भीतर बाउण्ड्री के निकट खड़े बड़े-बड़े वृक्षों की सिंचाई की कोई प्लानिंग नहीं की गई जिसके कारण लगभग दो दर्जन पेड़ बरसात के पानी से ही शायद अपनी जान बचा पाएं। पूरे स्टेडियम में इण्टरलॉकिंग की ईंटें, गिट्टी और जगह-जगह उखड़ी हुई जालियां बेतरतीब पड़ी हुई हैं।
बाबू के हाथ जिले की कमान
यहां खेलों की गंगोत्री एक बाबू के हवाले एम-केन-प्रकारेण बह रही है। यहां कार्यालयीय कार्य के लिए लगभग 12 वर्ष पूर्व से हाथरस जनपद निवासी राजवीर सिंह लिपिक के रूप में तैनात हैं। लगभग 8-9 माह पूर्व कर्मेन्द्र प्रकाश पाल के निधन के बाद से जिला क्रीड़ा अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है जिसका प्रभार क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी अलीगढ़ आले हसन पर है। जो यदा-कदा यहां आकर औपचारिकता का निर्वन कर जाते हैं।
क्या कहना है राजवीर का....
स्टेडियम कार्यालय में तैनात लिपिक राजवीर सिंह ने बताया कि फुटपाथ और अखाड़ा निर्माण का प्रस्ताव पूर्व जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे़ के प्रयासों से स्वीकृत हुआ था। जिसे सदर विधायक की विधायक निधि से ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) के द्वारा निर्मित कराया जा रहा है। अखाड़ा और फुटपाथ निर्माण पर 12 लाख रुपये की धनराशि व्यय होनी है, जिसको खुर्द-बुर्द करने की कोशिशें खेल विभाग द्वारा जारी हैं। देखो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और खेलमंत्री की नजर यहां कब इनायत होती है।
निर्मित होते ही स्टेडियम के फुटपाथ में पड़ी दरारें
एटा। शहर में खेलकूद और व्यायाम के लिए यूं भी कोई ऐसा स्थान रहा नहीं जहां मॉर्निंग वॉक और खेल-कूदकर शरीर को स्वस्थ और तन्दरुस्त रखा जा सके। पार्क जहां अराजक तत्वों का अड्डा बन गये हैं वहां न हरी घास बची है और न ही खेल के सामान। ऐसे में युवाओं को सिर्फ एक स्थान जो शहर के दो किलोमीटर दूर बने पंडित गोविन्द बल्लभपंत स्टेडियम ही रास आ रहा है। अब यह स्टेडियम खेल अधिकारियों के गड़बड़झाले के कारण उदासीनता का पर्याय बन गया है। यहां शासन द्वारा स्टेडियम का सौन्दर्यीकरण और फुटपाथ के निर्माण को जो लाखों की धनराशि भेजी गई थी, उसमें घोटाले की गंध निर्मित होते ही फुटपाथ पर पड़ी दरारों से आने लगी है।
स्टेडियम में फुटपाथ का निर्माण कार्य चल रहा है जिसमें आरईएस के ठेकेदार द्वारा धड़ल्ले से घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। स्टेडियम में बनाये जा रहे फुटपाथ का कार्य समाप्ति की ओर है। फुटपाथ के निर्माण में सफेद पाउडर से निर्मित घटिया ईंट और तकरीबन 12:1 के अनुपात का मसाला प्रयुक्त किया जा रहा है। बनने से पहले ही फुटपाथ में दरारें पड़ गयी हैं। वह ध्वस्त होने लगा है। निर्माण कार्य के अनुभवी लोगों द्वारा बताया गया है कि फुटपाथ निर्माण में इण्टरलॉकिंग ईंट के नीचे गिट्टी नहीं डाली गयी और ईंट बिछाने से पूर्व फुटपाथ की कुटाई भी नहीं की गई जिसके कारण फुटपाथ के नीचे पड़ी मिट्टी ठोस नहीं हो सकी और पहली हल्की बरसात में ही पूरा का पूरा फुटपाथ नीचे बैठ गया। जिस पर निश्ंिचत होकर टहलना आम जनमानस के लिए खतरे से खाली नहीं है। सरकारी धन का ऐसा दुरुपयोग शायद ही कहीं देखने को मिले कि निर्माण कार्य बिना उपयोग किये ही ध्वस्त हो जाये।
अभी कुछ दिन पूर्व ही एक न्यायिक अधिकारी का इसी फुटपाथ पर पैर टूटते-टूटते बचा था। पूरा स्टेडियम अव्यवस्था का शिकार है। फुटपाथ बनाने से पूर्व स्टेडियम के भीतर बाउण्ड्री के निकट खड़े बड़े-बड़े वृक्षों की सिंचाई की कोई प्लानिंग नहीं की गई जिसके कारण लगभग दो दर्जन पेड़ बरसात के पानी से ही शायद अपनी जान बचा पाएं। पूरे स्टेडियम में इण्टरलॉकिंग की ईंटें, गिट्टी और जगह-जगह उखड़ी हुई जालियां बेतरतीब पड़ी हुई हैं।
बाबू के हाथ जिले की कमान
यहां खेलों की गंगोत्री एक बाबू के हवाले एम-केन-प्रकारेण बह रही है। यहां कार्यालयीय कार्य के लिए लगभग 12 वर्ष पूर्व से हाथरस जनपद निवासी राजवीर सिंह लिपिक के रूप में तैनात हैं। लगभग 8-9 माह पूर्व कर्मेन्द्र प्रकाश पाल के निधन के बाद से जिला क्रीड़ा अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है जिसका प्रभार क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी अलीगढ़ आले हसन पर है। जो यदा-कदा यहां आकर औपचारिकता का निर्वन कर जाते हैं।
क्या कहना है राजवीर का....
स्टेडियम कार्यालय में तैनात लिपिक राजवीर सिंह ने बताया कि फुटपाथ और अखाड़ा निर्माण का प्रस्ताव पूर्व जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे़ के प्रयासों से स्वीकृत हुआ था। जिसे सदर विधायक की विधायक निधि से ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) के द्वारा निर्मित कराया जा रहा है। अखाड़ा और फुटपाथ निर्माण पर 12 लाख रुपये की धनराशि व्यय होनी है, जिसको खुर्द-बुर्द करने की कोशिशें खेल विभाग द्वारा जारी हैं। देखो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और खेलमंत्री की नजर यहां कब इनायत होती है।
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