Sunday, 5 July 2015

मोदी की गुगली- सांसत में सियासत



सात जून को लंदन के द संडे टाइम्स में ललित मोदी पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कथित मेहरबानियों का स्याह सच क्या उजागर हुआ कमल दल सकते में आ गया। 14 जून, 2015 को सुषमा ने मानवीयता की बात कहकर अपना बचाव तो किया, लेकिन उसके बाद से पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी की गुगली पर एक-एक कर राजनीतिज्ञ हिटविकेट हो रहे हैं। मोदी लंदन से हर रोज कोई न कोई ऐसी गेंद फेंक रहे हैं जिसके सामने राजनीतिज्ञों को अपनी नैतिकता और ईमानदारी स्वयं खोटी नजर आने लगी है। विवादित मोदी जो भी खुलासा कर रहे हैं, उसे मिथ्या भी नहीं कहा जा सकता। ललित मोदी के खुलासों से जहां केसरिया रंग फीका नजर आने लगा है वहीं कमजोर विपक्ष को अज्ञात शक्ति मिलती दिख रही है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया और सुल्तानपुर से भाजपा सांसद वरुण गांधी पर शक गहरा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां चुप हैं वहीं भाजपा पर लगातार आक्रामक होती कांग्रेस की बोलती भी गांधी परिवार का नाम आने से बंद होती दिख रही है। ललित मोदी जिस तरह के तेवर दिखा रखे हैं, उससे साफ जाहिर है कि उनके हाथ भारतीय राजनीतिज्ञों की काली करतूतों का बड़ा पुलिन्दा है। मोदी की साफगोई पर कांग्रेसी और भाजपाई कुछ भी कहें पर इस सच से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि क्रिकेट में भ्रष्टाचार की जड़ें इतने गहरे पैठ बना चुकी हैं, जिन्हें आसानी से नहीं उखाड़ा जा सकता। सिर्फ आयोजक ही नहीं भ्रष्टाचार के मोहपाश में अनगिनत खिलाड़ी और खेलनहार भी फंसे हुए हैं। सुषमा स्वराज और वसुन्धरा राजे को लेकर राजनीतिज्ञों की अलग-अलग राय इसी बात का प्रमाण है कि क्रिकेट में और भी दागी हैं, जिन्हें अपने नाम उजागर होने का डर है। ललित मोदी की विदेशी मुद्रा कानून उल्लंघन मामले में प्रवर्तन निदेशालय को तलाश है, उनके नाम ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है और वह लंदन में एक तरह से निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।
इण्डियन प्रीमियर लीग क्रिकेट की बुनियाद ही अनैतिक परम्परा, महत्वाकांक्षा, राजनीतिक जोड़-तोड़ और आनन-फानन धन जुटाने की लालसा का प्रतिफल है। ललित मोदी पर हजारों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की तोहमत मिथ्या नहीं कही जा सकती पर इस गंगोत्री में राजनीतिज्ञों ने भी गोते लगाये हैं यह भी सौ फीसदी सच है। क्रिकेट से राजनीतिज्ञों का लगाव कोई नई बात नहीं है। आज हर क्रिकेट एसोसिएशन राजनीतिज्ञों के हाथ की ही कठपुतली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मुल्क की सल्तनत सम्हालने से पहले गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। आज यह दायित्व भाजपा प्रमुख अमित शाह सम्हाल रहे हैं। आज ललित मोदी की छवि एक चालबाज और भगोड़े के रूप में की जा रही है। यह भी सच है कि एक उद्योगपति घराने से ताल्लुक रखने वाले इस शख्स ने यदि क्रिकेट को पैसे की मशीन बनाने में रुचि न ली होती तो शायद आज सुषमा स्वराज और वसुन्धरा राजे सरीखे लोग मानवता की दुहाई न दे रहे होते।
ललित मोदी को लेकर हमलावर कांग्रेस भी जानती है कि क्रिकेट के काले खेल में कमल दल ही नहीं बल्कि कई कांग्रेसियों के भी व्यावसायिक हित जुड़े हुए हैं। ललित मोदी प्रकरण में सबसे पहले सुषमा स्वराज का नाम आया। बहस उठी कि धनशोधन और फेमा उल्लंघन के आरोपी को मानवीय आधार पर मदद दी जा सकती है या नहीं? बहस ने तूल पकड़ा ही था कि बात ललित मोदी और सुषमा स्वराज के वकील पति के बीसियों साल पुराने रिश्ते तक पहुंच गई। बहस परवान चढ़ती, तभी वसुन्धरा राजे और उनके बेटे का नाम भी सामने आ गया। ललित मोदी का क्रिकेट से व्यावसायिक-प्रशासनिक याराना 2004 में राजस्थान क्रिकेट बोर्ड के जरिये ही परवान चढ़ा था। वसुन्धरा के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने भी आव्रजन मामले में ललित मोदी की मदद की और उनके बेटे की कम्पनी में ललित मोदी ने करोड़ों रुपये लगाये। आव्रजन मामले में मोदी को राकांपा नेता शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला से भी मदद मिली है। पवार और शुक्ला भी भारतीय क्रिकेट बोर्ड के प्रशासक रह चुके हैं। बचाव के तर्क सबके पास हैं। सुषमा के पास मानवीय आधार का कवच है तो वसुन्धरा के पास जानकारी न होने की ढाल। पवार का कहना है कि वे लंदन गये ही थे मोदी को यह बताने कि भारत आकर अदालत का सामना करो, जबकि राजीव शुक्ला कह रहे हैं कि वह तीन साल से मोदी से सम्पर्क में ही नहीं हैं। आरोप और बचाव की इस लुका-छिपी में बस एक बात नहीं पूछी जा रही कि धन की गंगोत्री जहां से फूटती है, वहां बाघ और बकरी अपना स्वभावगत बैर भूलकर आखिर एक साथ पानी क्यों पीते हैं? भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड की जहां तक बात है, उसका दुनिया की सबसे धनी खेल संस्थाओं में शुमार है और ललित मोदी प्रकरण ने यह साबित किया है कि बात धन की ऐसी सदानीरा नदी की हो तो नेता,अभिनेता, व्यापारी, नौकरशाह सब अपनी स्वभावगत दूरी को परे कर पारस्परिक लाभ की ऐसी पारिवारिकता विकसित कर लेते हैं, जिसे भेद पाना सवा अरब लोगों के लोकतंत्र के लिए अकसर बहुत मुश्किल होता है।
सुषमा के पति और बेटी भी ललित मोदी के मददगार
सुषमा स्वराज मानवीयता की बेशक दुहाई दे रहीं हों पर उन्हें मोदी की मदद से पहले सम्बन्धित पक्षों को जानकारी देनी थी। कम से कम वह प्रधानमंत्री मोदी से तो बात कर ही सकती थीं। सवाल यह भी कि ललित मोदी को यदि अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी के उपचार के लिए इंग्लैण्ड से पुर्तगाल जाना ही था, तो उन्होंने मानवीय आधार पर इसकी अनुमति देश-विदेश की किसी अदालत से मांगने की बजाय सीधे विदेश मंत्री से ही क्यों मांगी? दरअसल, सुषमा के पति, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल की ललित मोदी से 20 साल पुरानी दोस्ती है और वे ललित मोदी को पिछले कई सालों से कानूनी सलाह दे रहे हैं। इतना ही नहीं, सुषमा स्वराज की वकील बेटी बांसुरी कौशल भी पिछले सात साल में कई बार अदालत में ललित मोदी की पैरवी कर चुकी हैं।
स्वराज को डायरेक्टर बनाना चाहते थे मोदी
ललित मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल को अपनी कम्पनी इंडोफिल में डायरेक्टर की पोस्ट आॅफर की थी लेकिन कौशल ने इसे ठुकरा दिया था।
वसुन्धरा राजे की पारिवारिक नजदीकियां
ललित मोदी और वसुन्धरा राजे की नजदीकियों की जहां तक बात है वसुंधरा राजे की मां राजमाता विजया राजे सिंधिया और ललित मोदी के पिता कृष्ण कुमार मोदी दोस्त थे। इसलिए अगली पीढ़ी में दोस्ती होना अचरज की बात नहीं है। मुख्यमंत्री वसुंधरा की राजस्थान में तूती बोलती है। ललित मोदी ने इसी का लाभ उठाते हुए राजस्थान को अपना आशियाना बनाने की कोशिश की। वह न केवल राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने बल्कि उन्होंने 2005-06 में जयपुर के प्रतिष्ठित और बेहद महंगे रामबाग पैलेस होटल को ही एक तरह से अपना घर बना लिया। समय बदला, रुतबा बढ़ा और ललित मोदी ने इण्डियन प्रीमियर लीग प्रतियोगिता के प्रयास तेज कर दिए। वर्ष 2008 में जब आईपीएल का आगाज हुआ तब वसुन्धरा राजे की सरकार राजस्थान में रही।
मोदी की जांच में क्यों हुई हीलाहवाली?
भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड ने मोदी की जांच के लिए चिरायु अमीन के नेतृत्व में ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरुण जेटली की तीन सदस्यीय कमेटी बनायी थी, मगर उसका क्या हुआ? आज जिस ललित मोदी को लेकर कांग्रेस हल्ला बोल रही है, उससे पूछना चाहिए कि 2012 के बाद उसके नेता कहां सोये थे। 2012 में ललित मोदी का पता करने के वास्ते एक औपचारिक परवाना ब्रिटिश फॉरेन आॅफिस भेजा गया था। यह नौटंकी नहीं तो क्या है कि एक तरफ ब्रिटेन और भारत की हुकूमतें कागजों में ललित मोदी की खोज में जुटी थीं तो दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लगातार ललित मोदी के साक्षात्कार दिखा रहा था। सवाल यह भी कि भारत-ब्रिटेन के बीच 1993 में प्रत्यर्पण संधि किसलिए की गयी थी?
11 महीने 32 यात्राएं
नटखट, रंगमिजाज ललित मोदी के हाथ एक अगस्त 2014 को जैसे ही यात्रा सम्बन्धी दस्तावेज आये मानों उनके अरमानों को पंख लग गये। मोदी ने इन 11 महीनों में 32 बार उड़ानें भरीं। मोदी की यह यात्राएं शादी-समारोहों में शिरकत के साथ ही नाओमी कैम्पबेल से लेकर पेरिस हिल्टन और केविन स्पेसी से लेकर स्टीफन फ्राइ तक तमाम मॉडलों व अभिनेताओं के साथ शानदार पार्टियों के नाम रहीं।
ललित मोदी के दोस्त
ललित मोदी के दोस्त और दुश्मनों की लम्बी फेहरिस्त है। कहा जाता है जो संकट में मदद करे वही असली दोस्त होता है। इस मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, पूर्व नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल और ब्रिटिश सांसद कीथ बाज आदि ने मोदी की मदद  में कोई कोताही नहीं बरती। मोदी से एनसीपी प्रमुख शरद यादव, कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला, बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर से भी अच्छे सम्बन्ध रहे हैं, यह बात आलग है कि यह त्रिमूर्ति मतलबपरस्ती की राह चलने की आदी है।
ललित मोदी के दुश्मन
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम, पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर, आईसीसी अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन, बीसीसीआई प्रमुख जगमोहन डालमिया, वित्त मंत्री अरुण जेटली आदि।
मोदी यानि बिगड़ैल रईसजादा
 ललित मोदी की जहां तक बात है उनकी कहानी एक धंधेबाज और बिंदास जीवन जीने वाले व्यक्ति की कथा भर नहीं बल्कि भारतीय राजनीति और सरकारों के मुनाफाखोरों और सट्टेबाजों के चंगुल में फंसने की त्रासदी भी है।
 मोदी को अमेरिका में सजा
 -करीब तीन दशक पहले ललित मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। तब वे उत्तरी कैरोलाइना के ड्यूक विश्वविद्यालय में छात्र थे। उन पर नशीले पदार्थ रखने और एक 16-वर्षीय किशोर एलेक्जेंडर वान डाइन को अपहृत करने तथा चोट पहुंचाने का आरोप लगा था।  अपहरण की वारदात को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने 24 फरवरी, 1985 को मोदी को दोषी माना और दो साल कैद की स्थगित सजा सुनायी। नशीले पदार्थ रखने के आरोप पर उन्हें पांच वर्ष के प्रोबेशन पर रखा गया था। इसके अलावा उन्हें 300 घंटे समाज सेवा करने तथा 50 हजार डॉलर की जमानत भरने का निर्देश भी दिया गया था।
मोदी पर कैसे-कैसे आरोप
आईपीएल के ग्लोबल राइट्स का अधिकार वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को दिया गया, जबकि सिंगापुर स्थिति मल्टी स्क्रीन मीडिया को भारत में मैच के प्रसारण का अधिकार दिया गया। लेकिन इसमें धांधली के कारण बीसीसीआई ने समझौते को रद्द कर दिया। इसके तत्काल बाद वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप मॉरीशस जिसका स्वामित्व भी भारत स्थित वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप की तरह था उसे भारत में प्रसारण का अधिकार दे दिया गया। इस कम्पनी को साइनिंग अमाउण्ट के तौर पर बीसीसीआई को 112 करोड़ रुपये देने थे। बीसीसीआई को यह पैसा कभी नहीं मिला।
 2010 में नीलामी प्रक्रिया में गड़बड़ी
 बीसीसीआई ने 2010 में दो और टीमों को आईपीएल में शामिल करने का फैसला लिया। ललित मोदी ने नीलामी प्रक्रिया में तत्काल कुछ शर्तें जोड़ दीं और कहा कि नीलामी प्रक्रिया में एक बिलियन डॉलर की कम्पनी ही हिस्सा ले सकती है और बैंक गारंटी के तौर पर उसे 100 मिलियन डॉलर देना होगा। बीसीसीआई ने तर्क दिया है कि नीलामी प्रक्रिया में ये शर्तें शामिल नहीं थीं, कुछ प्रतियोगी कम्पनियों को इससे बाहर करने के लिए ऐसा किया गया।
 फ्रेंचाइजी पर दबाव बनाना
 2011 आईपीएल में शामिल होने के लिए पुणे वारियर्स और कोच्चि टस्कर नीलामी प्रक्रिया के तहत चुन ली गयीं। मोदी इससे खुश नहीं थे और उन्होंने दूसरी फ्रेंचाइजी का पक्ष लेना शुरू कर दिया। कोच्चि फ्रेंचाइजी के कुछ सदस्यों को उन्होंने दबाव डालकर अपनी हिस्सेदारी वापस लेने को कहा। जब वे नहीं माने तो ललित मोदी ने शेयरहोल्डिंग पैटर्न को सार्वजनिक करने और कुछ बीसीसीआई अधिकारियों का खुलासा करने की धमकी दी। उनके खुलासे से केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को इस्तीफा देना पड़ा।
 फ्रेंचाइजी के शेयरहोल्डर से नजदीकी रिश्ता
 ललित मोदी राजस्थान रॉयल्स में हिस्सेदारी रखने वाले सुरेश चेलारमन के साले हैं। उन्होंने यह जानकारी क्रिकेट बोर्ड को नहीं दी। उन्होंने अपने करीबियों को नीलामी से जुड़ी जानकारी देकर फ्रेंचाइजी खरीदने में मदद पहुंचायी।
 ललित मोदी पर अन्य आरोप
 -इंग्लैंड में रहते हुए उन्होंने इंग्लिश लीग के साथ मिलकर एक विरोधी लीग तैयार करने की कोशिश की। कई समझौते उन्होंने बोर्ड को बताये बिना किये। वेबराइट देने के लिए उन्होंने ऐसी एजेंसी को चुना जिसका उनसे करीबी रिश्ता था।
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) फेसीलेशन फीस के तौर पर वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को मल्टी स्क्रीन मीडिया द्वारा प्रसारण अधिकार के लिए 80 मिलियन डॉलर के भुगतान की जांच कर रहा है।
- ईडी इसकी भी जांच कर रहा है कि इस 80 मिलियन डॉलर में से 25 मिलियन डॉलर ललित मोदी, उनके सहयोगी और राजनीतिक लोगों के अवैध खाते में तो नहीं पहुंचाये गये।
- ईडी 2008 की आईपीएल की नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने वाले कुछ फ्रेंचाइजी को नीलामी की गोपनीय जानकारी देने के मामले की जांच कर रहा है। राजस्थान रॉयल्स की फ्रेंचाइजी लेने वाले और दूसरे स्थान पर रहने वाले के बीच नीलामी की राशि में 3 लाख डॉलर का अंतर पाया गया।
- ईडी मोदी द्वारा केमन आईलैंड की कम्पनी से कालेधन का प्रयोग कर कॉरपोरेट जेट खरीदने के मामले की जांच भी कर रहा है।
- मुंबई के फोर सीजंस होटल के मालिक रमेश गोवानी की भी ईडी जांच कर रहा है। ललित मोदी अकसर इस होटल में रुकते रहे हैं।
- ललित मोदी की पत्नी की कंपनी इंडियन हेरिटेल होटल में मॉरीशस की कंपनी द्वारा 10 करोड़ रुपये निवेश की जांच भी ईडी कर रहा है।
- फेमा के तहत भी मामले दर्ज हैं, जिसमें फ्रेंचाइजी का स्वामित्व, विदेश निवेश का तरीका, शेयरों की कीमत और फिर उसका ट्रांसफर जांच के दायरे में हैं।
- वित्त मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष दिसंबर 2014 में पेश एक्शन टेकन रिपोर्ट में कहा गया है कि ईडी ने ललित मोदी, बीसीसीआई के कुछ अधिकारी और निजी कंपनियों को 2148.3 करोड़ की हेराफेरी के मामले में फेमा कानून का उल्लंघन करने के लिए नोटिस भेजा है।
- आयकर विभाग ने 16 सितम्बर, 2010 को बिना पैन नम्बर दिये वित्तीय वर्ष 2008-09 के दौरान बड़े पैमाने पर लेन-देन करने के लिए नोटिस भेजा था। नियम के मुताबिक पैन नम्बर देना अनिवार्य है।
- मुंबई जोन डायरेक्टोरेट आॅफ रिवेन्यू इंटेलीजेंस ने एयरक्राफ्ट का गोल्डन विंग्स कंपनी से आयात के संबंध में कागजात देने के लिए चार नवम्बर, 2011 को नोटिस भेजा।

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