Sunday, 19 July 2015

बेटियों को भी मिले खेलों में बढ़ावा: साइना

भारत की महिलाओं को खेलों में नहीं मिलता बढ़ावा
नई दिल्ली। विम्बल्डन ग्रैंड स्लैम में सानिया मिर्जा की हालिया सफलता इस बात का प्रतीक है कि भारतीय महिलाएं क्या-क्या हासिल कर सकती हैं, लेकिन बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल का मानना है कि अधिकांश महिलाओं को देश में खेलों के क्षेत्र में जाने को लेकर बढ़ावा नहीं मिलता जबकि बदलते परिवेश में बेटियों को भी खेलों में बढ़ावा मिलना चाहिए।
बीते समय में सानिया, दीपिका पल्लीकल (स्क्वॉश), साइना, ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने अपनी शानदार उपलब्धियों के जरिए खेलों के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है। हालांकि विश्व के दूसरे क्रम की साइना का मानना है कि वैश्विक स्तर पर भारतीय महिलाओं की सफलता के बावजूद देश में लड़कियों को खेलों के क्षेत्र में जाने देने को लेकर उत्साह में कमी है। एक कार्यक्रम के दौरान साइना ने कहा कि बदलाव आ रहा है और लड़कियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन खेलों के मामले में लड़कियों को अभी काफी लम्बा रास्ता तय करना है क्योंकि उन्हें इस क्षेत्र में आगे आने के लिए खुलकर बढ़ावा नहीं मिलता।
साइना मानती हैं कि महिलाओं की शिक्षा को लेकर समाज के हर वर्ग में जागरूकता आई है लेकिन जहां तक खेलों की बात है तो पेशेवर स्तर पर लड़कियों को आगे लाने को लेकर उत्साह में कमी है। साइना ने ये भी कहा कि इसका एक सबसे बड़ा कारण यह है कि खेल लड़कियों के लिए पेशा नहीं हो सकता और पढ़ाई के दौरान खेलों के साथ आगे बढ़ने से पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है। मेरा अनुभव है कि मैं अपने जीवन में कई ऐसी लड़कियों से मिली हूं, जो खेल और पढ़ाई में बराबर इच्छुक रही हैं, लेकिन उचित मार्गदर्शन के बिना वे खासकर खेलों के क्षेत्र में कुछ नहीं कर पातीं।
साइना का कहना है कि द्वितीय और तृतीय दर्जे के शहरों में खासकर लोगों की सोच लड़कियों को पेशेवर बनाने की ओर बढ़ी है, लेकिन उन्हें पेशेवर खिलाड़ी बनाने को लेकर सोच में बदलाव नहीं आया है। ऐसे शहरों में हालांकि लड़कियों को अधिक मौके भी नहीं मिलते। हमें खेलों के क्षेत्र में ऐसी महिलाओं की जरूरत है, जो देश का नाम रोशन कर सकें।

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