कलाम को सलाम
'सपने वो नहीं होते जो रात को सोते समय नींद में आयें, सपने वो होते हैं जो रातों में सोने नहीं देते'. ऐसे दमदार विचार रखने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता था। यह देश के लिए अपूरणीय क्षति है. अब्दुल कलाम को पीपल्स प्रेजिंडेट भी कहा जाता था उनका मानना था कि 'इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं'. ऐसे प्रेरणादायी शब्द से छात्रों को संबोधित करते रहते थे. आज भी आईआईएम शिलॉन्ग में छात्रों को संबोधित करने पहुंचे थे।
अंतिम समय में भी लेक्चर दे रहे थे कलाम
उनके जानने वालों का कहना है कि उनकी डायरी में हर दिन का कार्यक्रम दर्ज होता था. उनकी छह महीने पहले का कार्यक्रम डायरी में दर्ज होता था. आज भी कार्यक्रम में जाने से पहले उन्होंने ट्वीट किया और बताया कि वह छात्रों को संबोधित करने शिलॉन्ग जा रहे हैं.
साधारण परिवार में जन्म असाधारण प्रतिभा के मालिक
एक साधारण परिवार में 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ. अपनी मेहनत और बुद्धिमता से ना सिर्फ विज्ञान के क्षेत्र में प्रसिद्धि हासिल की और भारत के राष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया बल्कि यह भी साबित किया कि अगर कोई इंसान ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं. 1963 में कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो से जुड़े और यहां भी भारत की ताकत को बढ़ाने में अपना योगदान दिया. सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल प्रॉजेक्ट मिशन से जुड़े.
मिसाइल मैन ने बढ़ायी भारत की ताकत
अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है उन्होंने अपनी मेहनत और क्षमता के दम पर भारत को वो शक्ति दी जिससे भारत अपनी धाक दुनिया के सामने जमा सका. 1982 में कलाम रक्षा अनुसंधान विकास संगठन, ऊफऊड से जुड़े और उनके नेतृत्व में ही भारत ने नाग, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल और अग्नि जैसे मिसाइल विकसित किए.
भारत के सर्वोच्च सम्मान से भी सम्मानित थे कलाम
डॉ. कलाम को 1977 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. इसके अलावा वह भारत के सर्वोच्च पद पर भी आसीन रहे 2002 से 2007 के बीच डॉ. कलाम, भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे.
उनकी प्रेरणादायी किताबें भी लोगों को जागरूक करती रहीं
एपीजे अब्दुल कलाम ने विंग्स आॅफ फायर, इग्नाइटेड माइंड्स, इंडिया 2020 जैसी कई मशहूर और प्रेरणा देने वाली किताबें लिखी हैं. जो खासकर छात्रों को प्रेरित करती रहीं.
कैसा था डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का विद्यार्थी जीवन
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा रामेश्वर के पंचायत प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई थी अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार बांटने का भी काम किया. कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी. स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया.
व्यक्तिगत जीवन
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अपने जीवन को बहुत अनुशासन में जीना पसंद करते थे. शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों में से थे. कहा जाता है कि वह कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे और उनकी गूढ़ बातों पर अमल किया करते थे. उनके भाषणों में कम से कम एक कुराल का उल्लेख अवश्य रहता है. छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कई ऐसे संदेश दिए जिससे लोगों को प्रेरणा मिली। अब्दुल कलाम राजनीतिक स्तर पर भारत को और मजबूत करना चाहते थे उनकी इच्छा थी कि भारत ज्यादा से ज्याद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। बच्चों और युवाओं के बीच डॉक्टर कलाम अत्यधिक लोकप्रिय थे.
जीवन का सबसे बड़ा अफसोस
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने जीवन के सबसे बड़े अफसोस का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि वह अपने माता-पिता को उनके जीवनकाल में 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं करा सके। उन्होंने कहा था कि मेरे पिता (जैनुलाब्दीन) 103 साल तक जीवित रहे और मां (आशियाम्मा) 93 साल तक जीवित रहीं. घर में सबसे छोटा होने के कारण कलाम को घर में ज्यादा प्यार मिला. उनके घर में लालटेन से रोशनी होती थी और वह भी शाम को सात बजे से लेकर रात नौ बजे तक. उनकी मां को कलाम की प्रतिभा पर भरोसा था इसलिए वह कलाम की पढ़ाई के लिए एक स्पेशल लैंप देती थीं जो रात तक पढ़ाई करने में कलाम की मदद करता था।
'सपने वो नहीं होते जो रात को सोते समय नींद में आयें, सपने वो होते हैं जो रातों में सोने नहीं देते'. ऐसे दमदार विचार रखने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता था। यह देश के लिए अपूरणीय क्षति है. अब्दुल कलाम को पीपल्स प्रेजिंडेट भी कहा जाता था उनका मानना था कि 'इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं'. ऐसे प्रेरणादायी शब्द से छात्रों को संबोधित करते रहते थे. आज भी आईआईएम शिलॉन्ग में छात्रों को संबोधित करने पहुंचे थे।
अंतिम समय में भी लेक्चर दे रहे थे कलाम
उनके जानने वालों का कहना है कि उनकी डायरी में हर दिन का कार्यक्रम दर्ज होता था. उनकी छह महीने पहले का कार्यक्रम डायरी में दर्ज होता था. आज भी कार्यक्रम में जाने से पहले उन्होंने ट्वीट किया और बताया कि वह छात्रों को संबोधित करने शिलॉन्ग जा रहे हैं.
साधारण परिवार में जन्म असाधारण प्रतिभा के मालिक
एक साधारण परिवार में 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ. अपनी मेहनत और बुद्धिमता से ना सिर्फ विज्ञान के क्षेत्र में प्रसिद्धि हासिल की और भारत के राष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया बल्कि यह भी साबित किया कि अगर कोई इंसान ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं. 1963 में कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो से जुड़े और यहां भी भारत की ताकत को बढ़ाने में अपना योगदान दिया. सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल प्रॉजेक्ट मिशन से जुड़े.
मिसाइल मैन ने बढ़ायी भारत की ताकत
अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है उन्होंने अपनी मेहनत और क्षमता के दम पर भारत को वो शक्ति दी जिससे भारत अपनी धाक दुनिया के सामने जमा सका. 1982 में कलाम रक्षा अनुसंधान विकास संगठन, ऊफऊड से जुड़े और उनके नेतृत्व में ही भारत ने नाग, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल और अग्नि जैसे मिसाइल विकसित किए.
भारत के सर्वोच्च सम्मान से भी सम्मानित थे कलाम
डॉ. कलाम को 1977 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. इसके अलावा वह भारत के सर्वोच्च पद पर भी आसीन रहे 2002 से 2007 के बीच डॉ. कलाम, भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे.
उनकी प्रेरणादायी किताबें भी लोगों को जागरूक करती रहीं
एपीजे अब्दुल कलाम ने विंग्स आॅफ फायर, इग्नाइटेड माइंड्स, इंडिया 2020 जैसी कई मशहूर और प्रेरणा देने वाली किताबें लिखी हैं. जो खासकर छात्रों को प्रेरित करती रहीं.
कैसा था डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का विद्यार्थी जीवन
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा रामेश्वर के पंचायत प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई थी अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार बांटने का भी काम किया. कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी. स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया.
व्यक्तिगत जीवन
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अपने जीवन को बहुत अनुशासन में जीना पसंद करते थे. शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों में से थे. कहा जाता है कि वह कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे और उनकी गूढ़ बातों पर अमल किया करते थे. उनके भाषणों में कम से कम एक कुराल का उल्लेख अवश्य रहता है. छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कई ऐसे संदेश दिए जिससे लोगों को प्रेरणा मिली। अब्दुल कलाम राजनीतिक स्तर पर भारत को और मजबूत करना चाहते थे उनकी इच्छा थी कि भारत ज्यादा से ज्याद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। बच्चों और युवाओं के बीच डॉक्टर कलाम अत्यधिक लोकप्रिय थे.
जीवन का सबसे बड़ा अफसोस
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने जीवन के सबसे बड़े अफसोस का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि वह अपने माता-पिता को उनके जीवनकाल में 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं करा सके। उन्होंने कहा था कि मेरे पिता (जैनुलाब्दीन) 103 साल तक जीवित रहे और मां (आशियाम्मा) 93 साल तक जीवित रहीं. घर में सबसे छोटा होने के कारण कलाम को घर में ज्यादा प्यार मिला. उनके घर में लालटेन से रोशनी होती थी और वह भी शाम को सात बजे से लेकर रात नौ बजे तक. उनकी मां को कलाम की प्रतिभा पर भरोसा था इसलिए वह कलाम की पढ़ाई के लिए एक स्पेशल लैंप देती थीं जो रात तक पढ़ाई करने में कलाम की मदद करता था।
No comments:
Post a Comment