मन में राम बगल में छूरी, यही हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का शगल है। शुक्रवार को एक तरफ रूस के उफा में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमन की बात कर रहे थे तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी दोगली सेना सीज फायर का उल्लंघन कर रही थी। यह कोई पहला अवसर नहीं है जब पाकिस्तानी सेना ने सीज फायर का उल्लंघन किया हो। जब-जब भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती का हाथ बढ़ता है, पड़ोसी देश के विघ्नसंतोषी कोई न कोई ऐसा बखेड़ा खड़ा कर देते हैं, जिससे दोनों मुल्कों के बीच तनाव बढ़ जाता है। खैर, उफा में मोदी और शरीफ के बीच न केवल बातचीत हुई बल्कि पांच मुद्दों पर सहमति भी बनी। इन मुद्दों में आतंकवाद के खात्मे के अलावा मुम्बई हमले की सुनवाई में तेजी लाना प्रमुख है। मोदी और शरीफ की बातचीत को कमल दल जहां सकारात्मक दृष्टि से देख रहा है वहीं भाजपा की सहयोगी शिवसेना व मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दे रही है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शरीफ की शराफत पर उंगली उठाते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना सीमा पार से लगातार जो हरकतें कर रही है, इसके लिए भारत को बातचीत नहीं बल्कि उसे सबक सिखाना चाहिए। उद्धव का कहना है कि बातचीत से कुछ नहीं होने वाला क्योंकि पाकिस्तान धोखेबाज है। कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, इस बात को पाकिस्तान को स्वीकारना होगा। ठाकरे ने कहा कि सरकार को पूरे कश्मीर पर अपना दावा किसी भी सूरत में नहीं छोड़ना चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ करीब एक घण्टे साथ रहे। शरीफ ने मोदी को भरोसा दिया कि पाकिस्तान मुम्बई हमले की सुनवाई में तेजी लाने की पुरजोर कोशिश करेगा। पाकिस्तान पर भरोसा और विश्वास की जहां तक बात है भारतीय जनता पार्टी भी एकमत नहीं है। पिछले महीने ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि जब तक लखवी आजाद घूम रहा है तब तक पाकिस्तानी हुकूमत से कोई बातचीत नहीं होगी। पाकिस्तान विश्वास के काबिल नहीं है, यह बात उसने कई मर्तबा अपनी काली करतूतों से सिद्ध भी किया है। बीते तीन दिन से पाकिस्तानी सेना सीज फायर का उल्लंघन कर रही है जिसमें दो भारतीय जवान शहीद हुए हैं। आतंकवाद पर पाकिस्तान का रवैया हमेशा ढुलमुल वाला रहा है। भारत हमेशा से कहता रहा है कि आतंकवादी किसी का सगा नहीं हो सकता, पर यह बात पाकिस्तानी भेजे में कभी नहीं समाई। मोदी-शरीफ की इस मुलाकात का अमेरिका ने भी स्वागत किया और कहा कि दक्षिण एशिया के दोनों मुल्कों के बीच तनाव किसी के हित में नहीं है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आतंकवाद के मामले पर आज जो शराफत दिखाई है, क्या वह उस पर अमल करेंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है। मोदी की पांच मध्य एशियाई देशों और रूस की यात्रा को कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से अच्छा कदम कहा जा सकता है।
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