क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिये जाने का मामला अभी खेलप्रेमियों के मानस से विस्मृत भी नहीं हुआ था कि टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा को दिये जाने वाला राजीव गांधी खेल रत्न विवादों की जद में आ गया है। खेल और विवाद भारत में एक-दूसरे के पर्याय हैं। 29 अगस्त, 1995 से खेल दिवस को देश के जांबाज खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाना एक परम्परा बन गई है। प्रतिवर्ष सम्मान को लेकर बखेड़ा खड़ा होता है। जिस खिलाड़ी को सम्मान मिलता है, वह तो खुश होता है लेकिन जिसे सम्मान के काबिल नहीं समझा जाता या भेदभाव का शिकार होता है, वह आरोप लगाने से भी नहीं चूकता। सानिया मिर्जा महिला टेनिस में भारत की पहचान हैं। सानिया की उपलब्धियों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता बावजूद इसके विकलांग ऊंचीकूद के ओलम्पिक पदकधारी एचएन गिरिशा को मलाल है कि राजीव गांधी खेलरत्न को लेकर उसके साथ भेदभाव हुआ है। गिरिशा का न्याय के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना हैरत की बात नहीं है। ओलम्पिक इतिहास पर नजर डालें तो जो काम अशक्त गिरिशा ने किया है, वह काम तो हमारा कोई सशक्त एथलीट भी आज तक नहीं कर सका है।
खेलों के क्षेत्र में सर्वोच्च राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान देने का चलन 1991-92 से शुरू हुआ है। शतरंज के बेताज बादशाह विश्वनाथन आनंद यह सम्मान पाने वाले भारत के पहले खिलाड़ी हैं। पिछले साल खेल मंत्रालय ने इस सम्मान के काबिल किसी खिलाड़ी को नहीं समझा था। टेनिस स्टार सानिया मिर्जा खेलरत्न पाने वाली 28वीं खिलाड़ी हैं। खेल मंत्रालय ने कर्नाटक हाईकोर्ट की रोक के बावजूद सानिया को खेलरत्न देने का ऐलान कर दिया है। हालांकि यदि कोर्ट का फैसला गिरिशा के पक्ष में गया तो सानिया को यह सम्मान वापस करना होगा। गिरिशा की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना ने प्रतिवादियों को 15 दिन के अंदर नोटिस का जवाब देने को ताकीद किया है। स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ इस साल जून में विम्बलडन महिला युगल का खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली सानिया के नाम की सिफारिश सरकार से नियुक्त चयन पैनल ने देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार के लिये की है। सानिया के सम्मान पर खेल मंत्रालय भी सहमत है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 29 अगस्त (आज) को राष्ट्रपति भवन में न केवल सानिया को खेलरत्न देंगे बल्कि खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और खेल प्रमोटरों को अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद पुरस्कारों से भी नवाजेंगे।
लंदन परालम्पिक खेलों के रजत पदक विजेता गिरिशा की दलील है कि वह सानिया की तुलना में खेलरत्न पुरस्कार पाने का अधिक हकदार है क्योंकि उसके 90 अंक हैं और प्रदर्शन आधारित अंक प्रणाली में टेनिस स्टार सानिया उससे काफी पीछे है। गिरिशा का तर्क है कि सानिया का विम्बलडन युगल खिताब इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए विचार करने योग्य ही नहीं था क्योंकि सरकार द्वारा खेलरत्न पुरस्कार के लिए जारी अधिसूचना में शामिल खेल प्रतियोगिताओं में इसका जिक्र ही नहीं है। दरअसल खेल मंत्रालय को 2011 से ओलम्पिक, परालम्पिक, एशियाई खेल, राष्ट्रमण्डल खेल और विश्व चैम्पियनशिप में प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ी के नाम पर विचार करना चाहिए था, जोकि नहीं किया गया। सानिया मिर्जा की जहां तक बात है, उसने जब से पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक को अपने शौहर के रूप में स्वीकारा है, हिन्दू धर्मावलम्बी उसकी भारतीयता पर सवाल उठाने लगे हैं।
टेनिस की जहां तक बात है, सानिया मिर्जा की उपलब्धियों के इर्द-गिर्द भी कोई भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी नहीं दिखती। सानिया ने टेनिस कोर्ट पर ही नहीं ग्लैमर और सामाजिक क्षेत्र में भी कई नये आयाम स्थापित किये हैं। 15 नवम्बर,1986 को मुंबई में जन्मी भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा के सफल करियर की बात करें तो वह 18 वर्ष की आयु में ही वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी थी। सानिया ने करियर की शुरुआत 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप से की, उसके बाद उसने कई अंतरराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लेते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 2003 सानिया के जीवन का सबसे रोचक साल रहा, क्योंकि वह भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री के बाद विम्बलडन के डबल्स मुकाबले में खेली और जीती भी। वर्ष 2004 में बेहतर प्रदर्शन के लिए उसे 2005 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। सानिया को 2006 में जब पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया तो वह यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनी। सानिया को 2006 में अमेरिका में विश्व टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच डब्ल्यूटीए का मोस्ट इम्प्रेसिव न्यू कमर एवार्ड प्रदान किया गया। वर्ष 2009 में वह भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी।
सानिया अपनी आत्मकथा भी लिख चुकी है, वह सचिन तेंदुलकर के बाद आत्मकथा लिखने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी है। इस आत्मकथा में उसके छह साल की उम्र में टेनिस सीखने से लेकर बुलंदियों तक पहुंचने की दास्तां शामिल है। सानिया को 11 दिसम्बर, 2008 को चेन्नई में एमजीआर शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की तो लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन संयुक्त राष्ट्र महिला ने उसे दक्षिण एशिया में अपना सद्भावना दूत भी नियुक्त किया। संयुक्त राष्ट्र महिला की तरफ से सद्भावना दूत बनने वाली सानिया मिर्जा पहली दक्षिण एशियाई महिला है। सानिया भारत ही नहीं दुनिया की चर्चित खिलाड़ी है। युगल में दुनिया की नम्बर एक खिलाड़ी सानिया पेशेवर टेनिस ही नहीं बल्कि भारत की तरफ से एशियाई और राष्ट्रमण्डल खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने वाली खिलाड़ी भी है। टेनिस में अमृतराज बंधुओं, लिएंडर पेस और महेश भूपति की ही तरह सानिया मादरेवतन की शान है। भारत में खेलों के सम्मान को लेकर हमेशा विवाद हुए और होते रहेंगे। पुरस्कार चयन समिति पर तोहमत लगना कोई नई बात नहीं है।
खेलों के क्षेत्र में सर्वोच्च राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान देने का चलन 1991-92 से शुरू हुआ है। शतरंज के बेताज बादशाह विश्वनाथन आनंद यह सम्मान पाने वाले भारत के पहले खिलाड़ी हैं। पिछले साल खेल मंत्रालय ने इस सम्मान के काबिल किसी खिलाड़ी को नहीं समझा था। टेनिस स्टार सानिया मिर्जा खेलरत्न पाने वाली 28वीं खिलाड़ी हैं। खेल मंत्रालय ने कर्नाटक हाईकोर्ट की रोक के बावजूद सानिया को खेलरत्न देने का ऐलान कर दिया है। हालांकि यदि कोर्ट का फैसला गिरिशा के पक्ष में गया तो सानिया को यह सम्मान वापस करना होगा। गिरिशा की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना ने प्रतिवादियों को 15 दिन के अंदर नोटिस का जवाब देने को ताकीद किया है। स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ इस साल जून में विम्बलडन महिला युगल का खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली सानिया के नाम की सिफारिश सरकार से नियुक्त चयन पैनल ने देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार के लिये की है। सानिया के सम्मान पर खेल मंत्रालय भी सहमत है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 29 अगस्त (आज) को राष्ट्रपति भवन में न केवल सानिया को खेलरत्न देंगे बल्कि खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और खेल प्रमोटरों को अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद पुरस्कारों से भी नवाजेंगे।
लंदन परालम्पिक खेलों के रजत पदक विजेता गिरिशा की दलील है कि वह सानिया की तुलना में खेलरत्न पुरस्कार पाने का अधिक हकदार है क्योंकि उसके 90 अंक हैं और प्रदर्शन आधारित अंक प्रणाली में टेनिस स्टार सानिया उससे काफी पीछे है। गिरिशा का तर्क है कि सानिया का विम्बलडन युगल खिताब इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए विचार करने योग्य ही नहीं था क्योंकि सरकार द्वारा खेलरत्न पुरस्कार के लिए जारी अधिसूचना में शामिल खेल प्रतियोगिताओं में इसका जिक्र ही नहीं है। दरअसल खेल मंत्रालय को 2011 से ओलम्पिक, परालम्पिक, एशियाई खेल, राष्ट्रमण्डल खेल और विश्व चैम्पियनशिप में प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ी के नाम पर विचार करना चाहिए था, जोकि नहीं किया गया। सानिया मिर्जा की जहां तक बात है, उसने जब से पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक को अपने शौहर के रूप में स्वीकारा है, हिन्दू धर्मावलम्बी उसकी भारतीयता पर सवाल उठाने लगे हैं।
टेनिस की जहां तक बात है, सानिया मिर्जा की उपलब्धियों के इर्द-गिर्द भी कोई भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी नहीं दिखती। सानिया ने टेनिस कोर्ट पर ही नहीं ग्लैमर और सामाजिक क्षेत्र में भी कई नये आयाम स्थापित किये हैं। 15 नवम्बर,1986 को मुंबई में जन्मी भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा के सफल करियर की बात करें तो वह 18 वर्ष की आयु में ही वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी थी। सानिया ने करियर की शुरुआत 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप से की, उसके बाद उसने कई अंतरराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लेते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 2003 सानिया के जीवन का सबसे रोचक साल रहा, क्योंकि वह भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री के बाद विम्बलडन के डबल्स मुकाबले में खेली और जीती भी। वर्ष 2004 में बेहतर प्रदर्शन के लिए उसे 2005 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। सानिया को 2006 में जब पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया तो वह यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनी। सानिया को 2006 में अमेरिका में विश्व टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच डब्ल्यूटीए का मोस्ट इम्प्रेसिव न्यू कमर एवार्ड प्रदान किया गया। वर्ष 2009 में वह भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी।
सानिया अपनी आत्मकथा भी लिख चुकी है, वह सचिन तेंदुलकर के बाद आत्मकथा लिखने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी है। इस आत्मकथा में उसके छह साल की उम्र में टेनिस सीखने से लेकर बुलंदियों तक पहुंचने की दास्तां शामिल है। सानिया को 11 दिसम्बर, 2008 को चेन्नई में एमजीआर शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की तो लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन संयुक्त राष्ट्र महिला ने उसे दक्षिण एशिया में अपना सद्भावना दूत भी नियुक्त किया। संयुक्त राष्ट्र महिला की तरफ से सद्भावना दूत बनने वाली सानिया मिर्जा पहली दक्षिण एशियाई महिला है। सानिया भारत ही नहीं दुनिया की चर्चित खिलाड़ी है। युगल में दुनिया की नम्बर एक खिलाड़ी सानिया पेशेवर टेनिस ही नहीं बल्कि भारत की तरफ से एशियाई और राष्ट्रमण्डल खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने वाली खिलाड़ी भी है। टेनिस में अमृतराज बंधुओं, लिएंडर पेस और महेश भूपति की ही तरह सानिया मादरेवतन की शान है। भारत में खेलों के सम्मान को लेकर हमेशा विवाद हुए और होते रहेंगे। पुरस्कार चयन समिति पर तोहमत लगना कोई नई बात नहीं है।