भारत की चार महिला बॉडी बिल्डरों पर विशेष
पुरुष बॉडी बिल्डर तो आपने खूब देखे होंगे लेकिन अब हम आपकी मुलाकात करवाते हैं भारत की चोटी की चार सबसे प्रसिद्ध महिला बॉडी बिल्डर्स से। वैसे तो इनके शारीरिक सौष्ठव के आगे मर्द भी पानी भरते नजर आएंगे, फिर भी इन महिलाओं को आप सिर्फ बॉडी बिल्डर नहीं कह सकते। सिर्फ इस प्रोफेशन के जानकार ही बता सकते हैं कि हर वो महिला जिसके ऐब्स, मसल्स और बाइसेप्स हैं उसे बॉडी बिल्डर नहीं कहा जाता। महिला बॉडी बिल्डिंग और इसके मुकाबले थोड़े हटकर होते हैं और बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं में इन महिलाओं को चार अलग-अलग श्रेणियों में बाँटा जाता है।
बॉडी वेट श्रेणी: शिबालिका शाह
भारत में महिला बॉडी बिल्डिंग कुछ समय के लिए बंद रही लेकिन हाल ही में इसे मुंबई में स्थित इंडियन बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन ने दोबारा शुरू किया है। इस फेडरेशन के लिए खेलने वाली कोलकाता की शिबालिका शाह भारत की पहली महिला बॉडी बिल्डर हैं और वो बॉडी वेट श्रेणी में 55 किलोग्राम भार वर्ग में खेलती हैं। शिबालिका कहती हैं कि कसरत को लेकर पति के साथ अनबन के चलते उन्होंने तलाक ले लिया और शादी टूटने के बाद अपना सारा जीवन बॉडी बिल्डिंग को समर्पित कर दिया। साल 2011 में पहली बार उन्होंने रीजनल बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में भाग लिया था जहां उन्हें पांचवां स्थान मिला। शिबालिका हंसते हुए कहती हैं, कई बार मुझे देखकर लोग भ्रमित हो जाते हैं और भैया या अंकल कह कर बुलाते हैं। इस कैटेगरी में कुल मिलाकर 7 पोज करना अनिवार्य हैं और कुल मिलाकर 11 से 12 जज आपके शरीर के अलग अलग हिस्सों को देख कर आपको नम्बर देते हैं।
एथलीट फिगर श्रेणी: दीपिका चौधरी
महिला बॉडी बिल्डिंग में दूसरा वर्ग है एथलीट फिगर श्रेणी का जिसमें भारत की ओर से पहली एथलीट हैं पुणे की दीपिका चौधरी। इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ बॉडी बिल्डिंग के अंदर खेलने वाली दीपिका की सभी प्रतियोगिताएं अमेरिका में ही होती हैं। इस प्रतियोगिता में चार बार जीत हासिल कर चुकी दीपिका कहती हैं, फिगर एथलीट में कुल चार पोज होते हैं। जिसमें आपको सामने देखते हुए अपने बॉडी पार्ट्स को दिखाना होता है। फिर अपने ऐब्स को, टांगों के सभी मसल्स को और फिर पीछे घूमकर अपनी पीठ के एक-एक मसल्स को दिखाना होता है। दीपिका बताती हैं, इसके अलावा हमें 130 किलो वजन उठाना पड़ता है और 102 दण्ड-बैठक भी लगाने पड़ते हैं। दीपिका चौधरी शादीशुदा हैं और अपने ससुराल वालों के साथ ही रहती हैं और बॉडी बिल्डिंग के साथ साथ नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ वॉयरोलॉजी में अनुसंधान सहायक के तौर पर कार्यरत हैं।
फिटनेस फिजिक श्रेणी: अश्विनी वास्कर
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले से आने वाली अश्विनी वास्कर का पारिवारिक कारोबार मछली पकड़ने से जुड़ा था लेकिन फिर उन्हें बॉडी बिल्डिंग का भूत ऐसा चढ़ा कि फिर उतरा ही नहीं। साधारण कपड़ों में सामान्य लड़की दिखने वाली अश्विनी को आप एक आम लड़की समझने की भूल न करें क्योंकि ताकत के मामले में वो एक सामान्य इंसान से कहीं ज्यादा हैं। अश्विनी अपनी श्रेणी के बारे में बताती हैं, फिटनेस फिजिक में अच्छे मसल्स, ऐब्स तो चाहिए लेकिन आपकी बॉडी भारी नहीं होनी चाहिए और ना ही आपके कंधे काफी चौड़े होने चाहिए। सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपकी बॉडी में लचीलापन हो। इस श्रेणी में प्रतियोगियों को मंच पर डांस परफॉरमेंस भी देनी होती है और डांस करते वक्त उन्हें अपनी बॉडी का प्रदर्शन करना पड़ता है, यहां बॉडी और एनर्जी के नम्बर दिए जाते हैं। अश्विनी बताती हैं, मुझे सबसे बड़ी दिक्कत थी बिकनी पहनने को लेकर लेकिन अब इसकी आदत हो गई है।
मॉडल फिजिक श्रेणी: अंकिता सिंह
महिला बॉडी बिल्डिंग की चौथी श्रेणी है मॉडल फिजिक श्रेणी जिसमें हिस्सा लेती हैं लखनऊ की अंकिता सिंह। पांच बार राष्ट्रीय और आठ बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी अंकिता इन दिनों एशियन चैम्पियनशिप की तैयारी कर रही हैं। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकिता कहती हैं, मैं पिछले सात साल से बॉडी बिल्डिंग कर रही हूं और हमारी श्रेणी का मॉडल होने और रैंप वाली मॉडल होने में बहुत फर्क है। अंकिता कहती हैं, यहां आपके मसल्स के साथ शरीर का एक-एक अंग देखा जाता है, आपकी टांगें पतली होनी चाहिए, रैंप पर चलने वाली मॉडल का पेट बहुत चपटा होता है जबकि मॉडल फिजिक में आपके 6 और 8 पैक्स होने चाहिए। इन चारों ही महिलाओं का मानना है कि महिला बॉडी बिल्डिंग को अभी भारत में लोकप्रिय होने में समय लगेगा क्योंकि अभी कई सामाजिक रूढ़ियाँ हैं जो इस प्रोफेशन के आड़े आएंगी।
पुरुष बॉडी बिल्डर तो आपने खूब देखे होंगे लेकिन अब हम आपकी मुलाकात करवाते हैं भारत की चोटी की चार सबसे प्रसिद्ध महिला बॉडी बिल्डर्स से। वैसे तो इनके शारीरिक सौष्ठव के आगे मर्द भी पानी भरते नजर आएंगे, फिर भी इन महिलाओं को आप सिर्फ बॉडी बिल्डर नहीं कह सकते। सिर्फ इस प्रोफेशन के जानकार ही बता सकते हैं कि हर वो महिला जिसके ऐब्स, मसल्स और बाइसेप्स हैं उसे बॉडी बिल्डर नहीं कहा जाता। महिला बॉडी बिल्डिंग और इसके मुकाबले थोड़े हटकर होते हैं और बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं में इन महिलाओं को चार अलग-अलग श्रेणियों में बाँटा जाता है।
बॉडी वेट श्रेणी: शिबालिका शाह
भारत में महिला बॉडी बिल्डिंग कुछ समय के लिए बंद रही लेकिन हाल ही में इसे मुंबई में स्थित इंडियन बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन ने दोबारा शुरू किया है। इस फेडरेशन के लिए खेलने वाली कोलकाता की शिबालिका शाह भारत की पहली महिला बॉडी बिल्डर हैं और वो बॉडी वेट श्रेणी में 55 किलोग्राम भार वर्ग में खेलती हैं। शिबालिका कहती हैं कि कसरत को लेकर पति के साथ अनबन के चलते उन्होंने तलाक ले लिया और शादी टूटने के बाद अपना सारा जीवन बॉडी बिल्डिंग को समर्पित कर दिया। साल 2011 में पहली बार उन्होंने रीजनल बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में भाग लिया था जहां उन्हें पांचवां स्थान मिला। शिबालिका हंसते हुए कहती हैं, कई बार मुझे देखकर लोग भ्रमित हो जाते हैं और भैया या अंकल कह कर बुलाते हैं। इस कैटेगरी में कुल मिलाकर 7 पोज करना अनिवार्य हैं और कुल मिलाकर 11 से 12 जज आपके शरीर के अलग अलग हिस्सों को देख कर आपको नम्बर देते हैं।
एथलीट फिगर श्रेणी: दीपिका चौधरी
महिला बॉडी बिल्डिंग में दूसरा वर्ग है एथलीट फिगर श्रेणी का जिसमें भारत की ओर से पहली एथलीट हैं पुणे की दीपिका चौधरी। इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ बॉडी बिल्डिंग के अंदर खेलने वाली दीपिका की सभी प्रतियोगिताएं अमेरिका में ही होती हैं। इस प्रतियोगिता में चार बार जीत हासिल कर चुकी दीपिका कहती हैं, फिगर एथलीट में कुल चार पोज होते हैं। जिसमें आपको सामने देखते हुए अपने बॉडी पार्ट्स को दिखाना होता है। फिर अपने ऐब्स को, टांगों के सभी मसल्स को और फिर पीछे घूमकर अपनी पीठ के एक-एक मसल्स को दिखाना होता है। दीपिका बताती हैं, इसके अलावा हमें 130 किलो वजन उठाना पड़ता है और 102 दण्ड-बैठक भी लगाने पड़ते हैं। दीपिका चौधरी शादीशुदा हैं और अपने ससुराल वालों के साथ ही रहती हैं और बॉडी बिल्डिंग के साथ साथ नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ वॉयरोलॉजी में अनुसंधान सहायक के तौर पर कार्यरत हैं।
फिटनेस फिजिक श्रेणी: अश्विनी वास्कर
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले से आने वाली अश्विनी वास्कर का पारिवारिक कारोबार मछली पकड़ने से जुड़ा था लेकिन फिर उन्हें बॉडी बिल्डिंग का भूत ऐसा चढ़ा कि फिर उतरा ही नहीं। साधारण कपड़ों में सामान्य लड़की दिखने वाली अश्विनी को आप एक आम लड़की समझने की भूल न करें क्योंकि ताकत के मामले में वो एक सामान्य इंसान से कहीं ज्यादा हैं। अश्विनी अपनी श्रेणी के बारे में बताती हैं, फिटनेस फिजिक में अच्छे मसल्स, ऐब्स तो चाहिए लेकिन आपकी बॉडी भारी नहीं होनी चाहिए और ना ही आपके कंधे काफी चौड़े होने चाहिए। सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपकी बॉडी में लचीलापन हो। इस श्रेणी में प्रतियोगियों को मंच पर डांस परफॉरमेंस भी देनी होती है और डांस करते वक्त उन्हें अपनी बॉडी का प्रदर्शन करना पड़ता है, यहां बॉडी और एनर्जी के नम्बर दिए जाते हैं। अश्विनी बताती हैं, मुझे सबसे बड़ी दिक्कत थी बिकनी पहनने को लेकर लेकिन अब इसकी आदत हो गई है।
मॉडल फिजिक श्रेणी: अंकिता सिंह
महिला बॉडी बिल्डिंग की चौथी श्रेणी है मॉडल फिजिक श्रेणी जिसमें हिस्सा लेती हैं लखनऊ की अंकिता सिंह। पांच बार राष्ट्रीय और आठ बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी अंकिता इन दिनों एशियन चैम्पियनशिप की तैयारी कर रही हैं। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकिता कहती हैं, मैं पिछले सात साल से बॉडी बिल्डिंग कर रही हूं और हमारी श्रेणी का मॉडल होने और रैंप वाली मॉडल होने में बहुत फर्क है। अंकिता कहती हैं, यहां आपके मसल्स के साथ शरीर का एक-एक अंग देखा जाता है, आपकी टांगें पतली होनी चाहिए, रैंप पर चलने वाली मॉडल का पेट बहुत चपटा होता है जबकि मॉडल फिजिक में आपके 6 और 8 पैक्स होने चाहिए। इन चारों ही महिलाओं का मानना है कि महिला बॉडी बिल्डिंग को अभी भारत में लोकप्रिय होने में समय लगेगा क्योंकि अभी कई सामाजिक रूढ़ियाँ हैं जो इस प्रोफेशन के आड़े आएंगी।
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