Saturday 11 July 2015

भारतीय बेटियों का कमाल



गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्ड के 60वें संस्करण में ताशी-नुंग्शी का नाम दर्ज
जिस देश में समाज बेटियों को दोयम मानने की भूल कर रहा हो, उसी समाज की बेटियां यदि मादरेवतन का नाम रोशन कर रही हों तो इसे अजूबा नहीं तो क्या कहा जाये। इन दिनों टेनिस में सानिया मिर्जा के विम्बलडन टेनिस में नायाब प्रदर्शन चर्चा में है तो दूसरी तरफ माउंट एवरेस्ट की दूसरी बार चढ़ाई कर दून की ताशी-नुंग्शी जुड़वां बहनों ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना डाला है।  दोनों बहनों का नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड के 60वें संस्करण में दर्ज कर लिया गया है।
ताशी-नुंग्शी बहनों ने 19 मई, 2013 को 21 वर्ष की आयु में दुनिया की सर्वोच्च चोटी पर चढ़ने का कारनामा कर दिखाया था। इस उपलब्धि के महज दो साल और एक महीने के भीतर वे दुनिया की पहली जुड़वां बन गईं जिन्होंने सात शिखरों(सभी महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों), प्रतिष्ठित एडवेंचरर्स ग्रैंड स्लैम (सात शिखरों और उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर चढ़ने) और तीन ध्रुव चुनौती को पूरा करने का कारनामा कर दिखाया।
इतना ही नहीं ताशी-नुंग्शी एक्सप्लोरर्स ग्रैंड चैलेंज एण्ड थ्री पोल चैलेंज को दो साल, एक माह के रिकॉर्ड समय में पूरा करने वाली पहली दक्षिण एशियाई बहनें भी बन गई हैं। इनसे पहले दक्षिण एशिया में भारतीय जल सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी सत्यव्रत ही यह कारनामा कर पाए थे। ताशी-नुंग्शी इससे पहले भी अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट किलिमंजारो को 2012 में फतह कर चुकी हैं। देहरादून की रहने वाली जुड़वां पर्वतारोही बहनें ताशी व नुंग्शी मलिक वर्तमान में न्यूजीलैंड में स्पोर्ट्स एण्ड एक्सरसाइज साइकोलॉजी का कोर्स कर रही हैं।
आर्मी अफसर की फौलादी बेटियां हैं ताशी-नुंग्शी
रिटायर्ड आर्मी आॅफिसर मलिक की छोटी बेटी का नाम ताशी है जबकि 26 मिनट पहले पैदा हुई बड़ी बेटी का नाम नुंग्शी रखा गया। बचपन में ये इन दोनों बहनों का निक नेम था। ताशी का रियल नेम निकिता और नुंग्शी का रियल नेम अंकिता था लेकिन आज ताशी और नुंग्सी नाम ज्यादा फेमस है। वजह निकिता व अंकिता बुलाने के बजाय लोग इन्हें ताशी-नुंग्शी बुलाना ज्यादा पसंद करते हैं। दोनों का नाम हाईस्कूल में प्रवेश लेने से पहले सर्टिफिकेट में ताशी व नुंग्शी ही कर दिया गया।
दुनिया भर में चर्चे
साल 2010 में इन दोनों जुड़वां बहनों ने इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ स्कीइंग एण्ड माउंटेनियरिंग से स्कीइंग का कोर्स किया इसके बाद साल 2012 में दयारा ग्लेशियर में 10 दिन का कोर्स करने के बाद फिर से उत्तरकाशी के एनआइएम में ट्रेनर के कोर्स में एडमीशन लिया। जब दोनों को ट्रेनिंग के लिए पिता वीके मलिक उत्तरकाशी छोड़ने गए तो इंंस्टीट्यूट के टीचरों और प्रिंसिपल ने ताशी-नुंग्शी की जमकर तारीफ की और उनके भविष्य की राह की तरफ इशारा भी कर दिया था। आखिरकार उन्होंने मिशन 'टू फॉर सेवन' को सफल बनाकर नारी सशक्तीकरण की अनूठी मिसाल भी पेश की। आज इन दोनों जुड़वां बहनों की सफलता के चर्चे पूरी दुनिया भर में हैं।
ताशी-नुंग्शी: मील के पत्थर
मांउट एवरेस्ट (नेपाल)
माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका)
माउंट एल्ब्रुस (यूरोप)
माउंट अकांकागुआ (दक्षिण अमेरिका)
कास्ट्रेज पिरामिड (आॅस्ट्रेलिया)
माउंट मेकिनली (उत्तरी अमेरिका)
माउंट विंसन मेसेस (अंटार्कटिका)
उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाली पहली जुड़वां बहनें

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