Sunday 19 July 2015

चोरी और सीनाजोरी

यह सही ही कहा गया है कि कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं हो सकती। पाकिस्तान लगातार सीमा पर जिस तरह की हरकतें कर रहा है, उसे देखते हुए उसकी मंशा में ही खोट नजर आ रही है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत पर फायरिंग की तोहमत लगाकर चोरी और सीनाजोरी वाली कहावत को ही सिद्ध किया है। दरअसल ऐसा कहकर वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आपको दूध का धुला साबित करना चाहता है। भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की रूस में मुलाकात से अमन की कुछ उम्मीदें बंधी थीं लेकिन नापाक पाक ने अपनी ओछी हरकतों से कुछ ही दिनों में उन्हें धूल-धूसरित कर दिया है। उफा वार्ता के दौरान भी पाक सेना की गोलाबारी में दो भारतीय जवान शहीद हो गये थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कश्मीर यात्रा से पहले भी पाक सेना की ओर से लगातार गोलाबारी जारी रही। अपनी नापाक हरकतों के बीच अब पाकिस्तान ने आरोप मढ़ा है कि नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना के हमले में उसके चार नागरिक मारे गये हैं और उसके क्षेत्र में मार गिराया गया ड्रोन भारत ने भेजा था। जबकि चीन के सरकारी मीडिया ने स्वीकारा है कि यह ड्रोन भारत का नहीं चीन का था। भारत-पाक सीमा पर ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं व आरोप-प्रत्यारोप दोनों देशों के राजनयिक और सैन्य सम्बन्धों के चिरस्थायी तत्व बन गये हैं। इससे शांति बहाली की कोशिशें बार-बार, तार-तार हो रही हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच करीब 1,800 मील लम्बी सीमा दुनिया की सबसे विवादास्पद सीमाओं में से एक है, जहां तीन युद्ध लड़े जा चुके हैं और बड़ी संख्या में लोग हताहत हो चुके हैं। दोनों परमाणु हथियार सम्पन्न देशों के पास विशालकाय सेनाएं हैं। दुनिया की तीसरी बड़ी सैन्यशक्ति वाले देश भारत की भौगोलिक और सुरक्षा जरूरतों के कारण इसका औचित्य है। भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 1.75 फीसदी ही रक्षा पर खर्च करता है जबकि पाकिस्तान का मौजूदा खर्च उसकी जीडीपी का 2.54 फीसदी है।  भारत सरकार ने हमेशा पाकिस्तान से दोस्ती चाही है लेकिन उसने बार-बार दगा ही दिया है। देखा जाये तो दक्षिण एशिया में दुनिया के सर्वाधिक गरीब लोग रहते हैं, जिनकी परेशानियों के समाधान की जिम्मेदारी भारत और पाकिस्तान की है। इन दोनों मुल्कों के करोड़ों युवा हिंसा, अविश्वास के अभिशप्त इतिहास से परे शांत-समृद्ध भविष्य के आकांक्षी हैं। अफसोस पाकिस्तान बार-बार भारत को उकसाता है। युद्धों, झड़पों, तनावों और बेजा बयानों ने हमेशा अमन को ठेस पहुंचाई है। दोनों देशों के जवाबी हमले और चेतावनियों की कूटनीतिक कोशिशें भी अब तक कारगर साबित नहीं हुई हैं। आज दोनों मुल्कों को सोचना चाहिए कि उकसावे से नहीं बल्कि परस्पर विश्वास से ही विकास और खुशहाली सम्भव है।

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