यादवों से ज्यादा कुर्मी जीते, मुस्लिम विधायकों की संख्या बढ़ी- श्रीप्रकाश शुक्ला
- लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता वापसी के साथ पहली दफा सबसे अधिक 52 ब्राह्मण विधायक सदन पहुंचे हैं। 403 विधायकों के दल में इस बार 52 ब्राह्मण, 49 ठाकुर, 41 कुर्मी, 34 मुस्लिम तथा 27 यादव विधायक बने हैं।
- इस बार उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में सभी पार्टियों ने अपने-अपने हिसाब से सियासी समीकरण को साधने का दांव चला था। जाति आधार पर टिकट बंटवारे किए गए थे। बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला योगी आदित्यनाथ के लिए हिट रहा तो सवर्ण समुदाय के लिए सुपरहिट रहा। इस बार यूपी की सियासत में ब्राह्मणों का दबदबा पूरी तरह से है। इस बार 403 सीटों में से 52 ब्राह्मण विधायक चुनकर आए हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 46 भारतीय जनता पार्टी से जीतकर आए हैं जबकि पांच सपा और एक ने कांग्रेस से जीत दर्ज की है। इसी तरह 49 विधायक ठाकुर समाज से जीतकर आए हैं, जिनमें भाजपा गठबंधन से 43, सपा से 4, बसपा से एक और जनसत्ता पार्टी से राजा भैया हैं।
- ओबीसी समुदाय की बात करें तो सबसे ज्यादा कुर्मी समुदाय से विधायक चुने गए हैं जबकि ओबीसी में उनकी आबादी यादव समुदाय से कम है। सूबे में 41 कुर्मी विधायक जीते हैं, जिनमें 27 भाजपा गठबंधन से, 13 सपा गठबंधन से और एक कांग्रेस पार्टी से जीतकर सदन पहुंचा। इस बार यादव विधायकों की कुल संख्या सदन में 27 है, जिसमें से 24 सपा और तीन भाजपा से जीत कर आए हैं।
- सूबे में भले ही सपा गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही हो, लेकिन मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व बढ़ गया। इस बार मुस्लिम विधायकों की संख्या 34 पहुंच गई है, जिसमें 32 सपा से और दो आरएलडी से जीते हैं। 2017 के चुनाव में 23 मुस्लिम विधायक ही जीतकर आए थे। दलितों की बात करें तो इस बार भाजपा ने फिर बाजी मारी है। इस बार जाटव समुदाय के 29 विधायक जीते हैं, जिनमें 19 भाजपा तो 10 समाजवादी पार्टी से जीते हैं। बसपा ने सबसे ज्यादा जाटों का वोट पाया लेकिन उसका एक भी विधायक नहीं जीत सका। दलितों में जाटवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी बिरादरी पासी है। इनमें भाजपा से 18, सपा से 8 तथा एक जनसत्ता पार्टी से जीत दर्ज कर सदन पहुंचे हैं।
- बनिया और खत्री बिरादरी में भाजपा का फिर जलवा रहा। इन दोनों समुदाय के 22 में से 21 भाजपा से जीते हैं जबकि सपा से एक ने जीत दर्ज की है। पिछड़ी जाति में लोध एक बार फिर भाजपा के साथ खड़े दिखाई दिए। लोध समुदाय से कुल 18 लोग जीतकर सदन पहुंचे हैं, जिसमें से 15 भाजपा तो तीन सपा से जीते हैं। पश्चिमी यूपी में सियासी तौर पर दबदबा रखने वाला जाट समुदाय एक बार फिर बड़ी तादाद में जीतकर आया है। इस मामले में सपा और भाजपा से लगभग बराबर जाट समुदाय के लोग जीते हैं। इस बार कुल 15 जाट चुनकर आए हैं, जिसमें 8 भाजपा से और सात सपा गठबंधन से विधायक बने हैं।
- गैर यादव ओबीसी में बीजेपी ने फिर बाजी मारी है। मौर्य, कुशवाहा, शाक्य और सैनी में बीजेपी ने 12 सीटें जीती हैं जबकि सपा गठबंधन को सिर्फ 2 सीटें मिली हैं। अति पिछड़ी जातियों में बीजेपी 7 और सपा को तीन सीटें मिली हैं। निषाद, बिंद, कश्यप, मल्लाह इन जातियों में भी सबसे ज्यादा 6 विधायक भाजपा गठबंधन से सदन में पहुंचे हैं जबकि सपा से दो विधायक जीते हैं। कलवार, तेली, सोनार जातियों से भी भाजपा को सबसे ज्यादा 6 सीटें मिलीं जबकि एक सीट समाजवादी पार्टी गठबंधन को मिली है।
- गुर्जर बिरादरी से कुल 7 विधायक जीते हैं, जिनमें पांच भाजपा से और दो सपा से जीते हैं। राजभर बिरादरी में समाजवादी पार्टी गठबंधन ने बाजी मारी है। सपा गठबंधन से तीन राजभर समुदाय के विधायक जीत कर आए हैं जबकि बीजेपी से एक विधायक को जीत मिली। भूमिहार बिरादरी के 5 विधायक बने हैं, जिसमें से चार भाजपा और एक सपा गठबंधन से है।
- दलितों की धोबी बिरादरी से सभी 4 सीटें भाजपा ने जीती हैं जबकि खटीक समाज से 5 जीते हैं, जिसमें से 4 बीजेपी से और एक सपा गठबंधन से है। कायस्थों में तीनों विधायक भाजपा से जीते हैं। दलित वाल्मीकि समाज से भाजपा को एक सीट मिली है वहीं एक सिख विधायक भी कमल दल से ही जीता है।