Tuesday 28 July 2015

अलविदा डॉक्टर कलाम

जाति-धर्म और भेदभाव से परे हरदिल अजीज डॉ. अब्दुल पाकिर जैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम का असमय अवसान मुल्क के लिए अपूरणीय क्षति है। हर खास शख्सियत हमेशा आम दिखती है। भारत के रत्न डॉ. अब्दुल कलाम भी कुछ ऐसे ही थे। मिसाइलमैन, जनता के राष्ट्रपति, मार्गदर्शक और न जाने कितने नामों से हर दिल पर राज करने वाले कलाम साहब अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हम उनकी बेमिसाल उपलब्धियां, देश के प्रति उनका अगाध स्नेह और मुल्क के विकास में उनके अप्रतिम योगदान को कभी नहीं भूल पायेंगे। बचपन से गीता-कुरान पढ़ने वाले सरल स्वभाव डॉ. कलाम कामयाबी के शिखर तक यूं ही नहीं पहुंचे। उनका संघर्ष भरा जीवन हर शख्स के लिए प्रेरणादायी है। आज जब विकास के साथ वैमनस्य का भाव चुपके से समाज में पांव जमाने की कोशिश कर रहा हो, ऐसे में एक विलक्षण कर्मयोगी का असमय साथ छोड़ जाना राष्ट्र के लिए बड़ा आघात है। निर्विवाद डॉ. कलाम की मौत से समूचा राष्ट्र दु:खी है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी डॉ. कलाम भारत के पहले वैज्ञानिक हैं, जोकि देश के राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति बनने से पहले देश के सभी सर्वोच्च नागरिक सम्मान (पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न) पाने वाले वह एकमात्र राष्ट्रपति हैं। वे देश के इकलौते राष्ट्रपति थे, जिन्होंने आजन्म अविवाहित रहकर देशसेवा का व्रत लिया था। इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचे कलाम का बचपन संघर्षपूर्ण रहा। डॉ. कलाम के शब्दकोष में असफलता को कोई जगह नहीं थी। उन्होंने अपने कृतित्व से मुल्क को ऐसी नसीहत दी है, जिस पर यदि हमारे राजनीतिज्ञ अमल कर लें तो शायद कलाम साहब के 2020 के सपनों के भारत को आसानी से साकार किया जा सकता है। मृत्यु अटल सत्य है। डॉ. कलाम अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका कृतित्व हमेशा अमर रहेगा। आज मुंबई बम धमाकों के कसूरवार याकूब मेमन को मौत की सजा देने या न देने के मुद्दे पर सियासत हो रही है तो दूसरी तरफ मानसून सत्र राजनीतिज्ञों के अहंकार की भेंट चढ़ रहा है। इन दोनों ही मामलों से कलाम साहब हमेशा व्यथित रहे। उन्होंने कहा भी था कि राष्ट्रपति के तौर पर उनके लिए सबसे मुश्किल काम मौत की सजा पर फैसला करना होता था। इसकी वजह अपराध या आतंकवाद का समर्थन नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक पूर्वाग्रह रहा। आज हमारे राजनीतिज्ञ भारत के विकास का सब्जबाग तो दिखा रहे हैं लेकिन उनका विकास की दुश्वारियों से दूर-दूर तक वास्ता नहीं दिखता। डॉ. कलाम की पुस्तक ‘इण्डिया 2020’ में देश के विकास का समग्र दृष्टिकोण देखा जा सकता है। कलाम की संकल्पना में कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी का विकास यानि सब कुछ समाहित है। कलाम को आखिरी सलाम करने से पहले हर भारतवासी को उनके प्रेरणादायी कृतित्व को आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए।

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