कहते हैं कि बुरे काम का बुरा नतीजा ही होता है। मुम्बई बम धमाकों के गुनाहगार याकूब मेमन की मान-मनुहार के सारे प्रयास विफल होने के साथ ही 30 जुलाई गुरुवार को उसे सुबह सात बजे फांसी दे दी जायेगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा मेमन की दूसरी बार दया याचिका खारिज करते ही उसको फांसी दिये जाने का रास्ता साफ हो गया। याकूब को फांसी दिये जाने को लेकर आम आवाम ही नहीं उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ में भी एकराय नहीं थी। मंगलवार को याकूब की अपील की सुनवाई करने वाले दो जजों एआर दवे और कुरियन जोसफ ने अलग-अलग राय दी थी। जस्टिस दवे का कहना था कि याकूब को फांसी होनी चाहिए और उसकी अपील में कोई दम नहीं है, तो न्यायाधीश जोसफ का कहना था कि याकूब के मामले में प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ था। खैर, बुधवार को उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने याकूब मेमन की अपील खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में किसी तरह की प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ है। याकूब मेमन ने अपील की थी कि क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई और डेथ वारण्ट जारी किए जाने की प्रक्रिया में खामियां हुई थीं। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद सबकी नजरें याकूब मेमन द्वारा राष्ट्रपति को दूसरी बार भेजी गई दया याचिका पर टिक गई थीं। राष्ट्रपति मुखर्जी ने याकूब मेमन की दया याचिका पर गृह मंत्रालय से पूछा कि क्या कोई नया आधार बनता है? गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने राष्ट्रपति की सलाह पर विचार करने के बाद कहा कि याकूब की याचिका में कुछ भी नया नहीं है। गृह मंत्रालय का विचार जानने के बाद राष्ट्रपति ने मेमन की दूसरी दया याचिका को भी खारिज कर दिया। उच्चतम न्यायालय के फैसले और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा दया याचिका खारिज करने के साथ ही याकूब को फांसी दिया जाना तय हो गया। देश में फांसी दिये जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2004 से 2013 के बीच भारत में 1303 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन इस दौरान केवल तीन अपराधियों को ही फांसी दी गई। 10 साल में जिन तीन को फांसी पर लटकाया गया उनमें धनंजय चटर्जी, अजमल कसाब और अफजल गुरु शामिल हैं। धनंजय चटर्जी को 14 अगस्त, 2004, अजमल कसाब को 21 नवम्बर, 2012 और अफजल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को फांसी पर लटकाया गया था। मुल्क में 2004 से 2014 तक 3751 लोगों की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील हुई है। इस अवधि में उत्तर प्रदेश में 318, महाराष्ट्र 108, कर्नाटक 107, बिहार 105 और मध्य प्रदेश में 104 अपराधियों को मृत्यदण्ड की सजा सुनाई गई। जो भी हो 1993 के मुंबई सीरियल धमाकों के गुनाहगार याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी देने के साथ ही आतंक के एक काले अध्याय का समापन हो जायेगा।
Wednesday, 29 July 2015
याकूब मेमन को फांसी
कहते हैं कि बुरे काम का बुरा नतीजा ही होता है। मुम्बई बम धमाकों के गुनाहगार याकूब मेमन की मान-मनुहार के सारे प्रयास विफल होने के साथ ही 30 जुलाई गुरुवार को उसे सुबह सात बजे फांसी दे दी जायेगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा मेमन की दूसरी बार दया याचिका खारिज करते ही उसको फांसी दिये जाने का रास्ता साफ हो गया। याकूब को फांसी दिये जाने को लेकर आम आवाम ही नहीं उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ में भी एकराय नहीं थी। मंगलवार को याकूब की अपील की सुनवाई करने वाले दो जजों एआर दवे और कुरियन जोसफ ने अलग-अलग राय दी थी। जस्टिस दवे का कहना था कि याकूब को फांसी होनी चाहिए और उसकी अपील में कोई दम नहीं है, तो न्यायाधीश जोसफ का कहना था कि याकूब के मामले में प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ था। खैर, बुधवार को उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने याकूब मेमन की अपील खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में किसी तरह की प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ है। याकूब मेमन ने अपील की थी कि क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई और डेथ वारण्ट जारी किए जाने की प्रक्रिया में खामियां हुई थीं। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद सबकी नजरें याकूब मेमन द्वारा राष्ट्रपति को दूसरी बार भेजी गई दया याचिका पर टिक गई थीं। राष्ट्रपति मुखर्जी ने याकूब मेमन की दया याचिका पर गृह मंत्रालय से पूछा कि क्या कोई नया आधार बनता है? गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने राष्ट्रपति की सलाह पर विचार करने के बाद कहा कि याकूब की याचिका में कुछ भी नया नहीं है। गृह मंत्रालय का विचार जानने के बाद राष्ट्रपति ने मेमन की दूसरी दया याचिका को भी खारिज कर दिया। उच्चतम न्यायालय के फैसले और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा दया याचिका खारिज करने के साथ ही याकूब को फांसी दिया जाना तय हो गया। देश में फांसी दिये जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2004 से 2013 के बीच भारत में 1303 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन इस दौरान केवल तीन अपराधियों को ही फांसी दी गई। 10 साल में जिन तीन को फांसी पर लटकाया गया उनमें धनंजय चटर्जी, अजमल कसाब और अफजल गुरु शामिल हैं। धनंजय चटर्जी को 14 अगस्त, 2004, अजमल कसाब को 21 नवम्बर, 2012 और अफजल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को फांसी पर लटकाया गया था। मुल्क में 2004 से 2014 तक 3751 लोगों की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील हुई है। इस अवधि में उत्तर प्रदेश में 318, महाराष्ट्र 108, कर्नाटक 107, बिहार 105 और मध्य प्रदेश में 104 अपराधियों को मृत्यदण्ड की सजा सुनाई गई। जो भी हो 1993 के मुंबई सीरियल धमाकों के गुनाहगार याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी देने के साथ ही आतंक के एक काले अध्याय का समापन हो जायेगा।
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