तीन दिन में तीन मौतों से आहत-मर्माहत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आखिरकार व्यावसायिक परीक्षा मण्डल घोटाले के पटाक्षेप की खातिर सीबीआई से जांच की न केवल हामी भर दी है बल्कि वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को इस बाबत अनुरोध पत्र लिखेंगे। आजादी के बाद शिक्षा जगत के सबसे बड़े भ्रष्टाचार ने श्री चौहान की साख को काफी प्रभावित किया है। मौतों की सूची पर नजर डालें तो पता चलता है कि परीक्षा देने वाला मर रहा है, फर्जी परीक्षार्थी मर रहा है, परिजन मर रहे हैं और जांच में सहयोग करने वाले भी मौत के मुंह में समा रहे हैं। वे लोग भी अब अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, जो इस मामले की जांच से जुड़े हुए हैं। अब तक ऐसे 40 से अधिक लोग दम तोड़ चुके हैं, जो इस घोटाले से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सम्बन्धित थे। पिछले शनिवार से इस मामले में हर रोज हुई मौतों ने देश की चेतना को स्तब्ध कर दिया है। यह स्थिति तब है, जबकि इस प्रकरण की जांच जारी है। व्यापम के भ्रष्टाचार में अब तक लगभग दो हजार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से लेकर बड़ी संख्या में राजनेता, अधिकारी, कर्मचारी, चिकित्सक, छात्र, शिक्षक और बिचौलिये आदि शामिल हैं। इस घोटाले में मध्य प्रदेश के राज्यपाल तक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, जिसे बाद में संवैधानिक आधार पर वापस ले लिया गया। जुलाई 2013 में यह मामला दर्ज होने के बाद लगातार मौतें हुई हैं। कांग्रेस मौतों का आंकड़ा जहां 48 बता रही है वहीं उच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच की निगरानी कर रही एसआईटी को 33 मौतों की जानकारी है। शिवराज सरकार मौतों की संख्या सिर्फ 25 मानती है। इस मामले की सीबीआई से जांच की जहां तक बात है, विपक्ष पहले ही दिन से इस बात की रट लगा रहा था। मध्य प्रदेश सरकार नहीं चाहती थी कि व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई करे, लेकिन एक के बाद एक मौतों से मुख्यमंत्री चौहान का दिल भी पसीज गया है और अब वह चाहते हैं कि मौतों पर पड़ा रहस्य का खूनी परदा जल्द से जल्द उठे। मंगलवार को श्री चौहान ने कहा कि रात भर सोचने के बाद उन्हें भी लगा कि इस मामले का अतिशीघ्र पटाक्षेप होना ही चाहिए। श्री चौहान ने कहा कि इस घोटाले को लेकर जनता के मन में भी सवाल खड़े हो रहे हैं, सभी यह सवाल कर रहे हैं कि इस मामले की सीबीआई जांच क्यों नहीं करायी जा रही? ऐसे में यह जरूरी है कि मामले की सीबीआई जांच हो। लोकतंत्र का तकाजा है कि इस तरह के प्रश्नों का साफ जवाब मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस शासन के दौरान नियुक्ति की कोई प्रक्रिया नहीं थी, हमने इस प्रक्रिया को बनाकर ठीक ढंग से नियुक्ति की कोशिश की लेकिन जब इसमें घोटाले की खबर सुनी तो अंदर तक हिल गया। व्यापम घोटाले की सीबीआई से जांच कराने के शिवराज सिंह के फैसले की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है। कांग्रेस भी इसे देर से लिया अच्छा फैसला बता रही है। अब देखना यह है कि भ्रष्टाचार का ऊंट किस करवट बैठता है।
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