सांसद और पूर्व खेल मंत्री अनूप मिश्रा पर है सबकी नजर
कलेक्टर शिल्पा गुप्ता की अरुचि से खिलाड़ी मायूस
मुरैना। राजनीतिज्ञों की नादरशाही और प्रशासन की अनिच्छा के चलते चम्बल का प्रमुख जिला मुरैना खेलों में लगातार पिछड़ता जा रहा है। ऐसा भी नहीं कि यहां प्रतिभाएं नहीं हों। प्रतिभाएं तो हैं लेकिन खेल एवं युवा कल्याण विभाग का एक अदद क्रीड़ांगन न होने की वजह से यहां से प्रतिभाएं पलायन को मजबूर हैं। मुरैना के खिलाड़ियों को बार-बार अच्छे दिनों की आस तो बंधती है लेकिन राजनीतिज्ञों की अरुचि उनकी उम्मीदों पर तुषारापात कर देती है। मुरैना के खिलाड़ियों को अपने सांसद और मध्यप्रदेश के पूर्व खेल मंत्री अनूप मिश्रा से बड़ी उम्मीदें हैं, पर खिलाड़ियों की दिशा में उनकी कब नजरें इनायत होंगी यह सबसे बड़ा सवाल है। यहां के खेलप्रेमियों को राजनीतिज्ञों से कहीं अधिक प्रशासनिक अधिकारियों पर भरोसा है लेकिन कलेक्टर शिल्पा गुप्ता की खेलों के प्रति अनिच्छा यहां की खिलाड़ी बेटियों को हतोत्साहित कर रही है।
मुरैना जिला खेलों में पक्षपात और विश्वासघात का शिकार है। इसका ताजा उदाहरण खेल एवं युवा कल्याण विभाग का एक गैरजरूरी फरमान है। खेलों के लिहाज से चम्बल सम्भाग में फिलवक्त तीन जिले मुरैना, भिण्ड और श्योपुर समाहित हैं लेकिन इसका मुख्यालय शिवपुरी को बनाया गया है। चम्बल सम्भाग का मुख्यालय शिवपुरी क्यों और किसकी शह पर बनाया गया इस बात की आवाज मुरैना से ताल्लुक रखने वाले जनप्रतिनिधि आखिर कब उठायेंगे? खेल एवं युवा कल्याण विभाग के हिटलरशाही निर्णय से खिलाड़ियों का न केवल नुकसान हो रहा है बल्कि वे खेलों से तौबा करने को मजबूर हैं। खेल एवं युवा कल्याण विभाग शिवपुरी को मुख्यालय बनाने में वहां की खेल सुविधाओं का हवाला देता है जबकि टके भर का सवाल यह है कि मुरैना को खेल सुविधाएं आखिर कब नसीब होंगी? मुरैना के खिलाड़ी आखिर कब तक दूसरे जिलों का मुंह ताकने को मजबूर रहेंगे?
सांसद और मध्यप्रदेश के पूर्व खेल मंत्री अनूप मिश्रा चाहें तो मुरैना की तकदीर और तस्वीर बदल सकती है। खिलाड़ियों को उन पर भरोसा भी है लेकिन यह भरोसा कब जमीनी हकीकत में तब्दील होगा यह समय बतायेगा। मौजूदा खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को खेलों का तारणहार बताने वाले यह भूल जाते हैं कि उनकी नजर में सिर्फ तीन जिले ग्वालियर, शिवपुरी और भोपाल ही हैं। अन्य जिलों के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार यही साबित करता है कि खेल मंत्री यशोधरा सम्पूर्ण मध्य प्रदेश नहीं बल्कि उन जिलों पर ही ध्यान देती हैं जहां से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं परवान चढ़ रही हों। खेल मंत्री के भेदभाव के अनगिनत उदाहरण हैं। चम्बल का मुख्यालय शिवपुरी को बनाये जाने के भी निहितार्थ हैं। सांसद अनूप मिश्रा को खेल प्रतिभाओं पर तरस खाते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि मुरैना जिला मुख्यालय में भी खेल विभाग का स्वयं का क्रीड़ांगन हो।
एथलीट पलायन को मजबूर
खेल एवं युवा क्ल्याण विभाग कई साल से एथलेटिक्स एकेडमी खोले जाने की बातें कर रहा है, अफसोस जिस मुरैना जिले में प्रतिभाशाली एथलीटों की बहुतायत है, वहां खुद का मैदान भी मयस्सर नहीं है। खेल सुविधाएं न होने के चलते मुरैना के नौ एथलीट इन दिनों मध्यप्रदेश छोड़ दूसरे राज्यों में खेल-कौशल निखार रहे हैं। मुरैना से ही ताल्लुक रखने वाले अंतरराष्ट्रीय लांग जम्पर अंकित शर्मा, गौरव पाराशर, सौरव पाराशर, सुदीश गुर्जर, विजय सागर, मनीष शर्मा, अतुल तोमर, रूपेश शर्मा, दीक्षा गौतम आदि ने खेलपथ से बातचीत में बताया कि कौन नहीं चाहता कि वह अपने जिले और प्रदेश का नाम रोशन करे? इन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का कहना है कि यदि मुरैना में भी एक अदद खेल मैदान हो तो वे दर-दर की ठोकरें खाने की बजाय यहीं से खेलना पसंद करेंगे।
गजब लीला, रहता मैदान गीला
पिछले नौ साल में खेलों के नाम पर अरबों रुपये निसार करने वाले खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने यदि सम्पूर्ण मध्य प्रदेश पर समानता का व्यवहार किया होता तो शायद आज मुरैना के पास भी अपना स्वयं का क्रीड़ांगन होता। यहां फिलवक्त सम्पूर्ण खेल गतिविधियां डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्टेडियम पर निर्भर हैं। यह स्टेडियम नगर निगम की अमानत है। खेल विभाग ने इस मैदान को अपनी जागीर बनाने के अथक प्रयास किये लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला है। नगर निगम चाहता है कि इस मैदान पर खेल विभाग तो पैसा खर्च करे लेकिन मिल्कियत उसी की रहे। कहने को नगर निगम ने खेल विभाग को इसके संधारण और खेल गतिविधियों की अनुमति दे रखी है लेकिन जैसे ही क्रीड़ांगन मुकम्मल होता है खेलों के विघ्नसंतोषी मैदान का सत्यानाश करने में कोई कोताही नहीं बरतते। प्रशासनिक अधिकारी भी राजनीतिज्ञों के सामने असहाय हैं।
डीएसपी और कार्यकारी जिला खेल अधिकारी अंजुलता पटले की सर्वत्र प्रशंसा
खेलपथ ने मुरैना जिले की खेल गतिविधियों और खिलाड़ियों का पुरसानेहाल जानने की न केवल कोशिश की बल्कि यहां खेलों में रुचि लेने वालों पर भी बात की। खेलप्रेमियों और खिलाड़ियों ने खेलपथ से बातचीत में बताया कि यदि डीएसपी और कार्यकारी जिला खेल अधिकारी अंजुलता पटले जैसी सोच और खेलों के प्रति समर्पण अन्य अधिकारियों और राजनीतिज्ञों में होता तो मुरैना आज प्रदेश ही नहीं मुल्क में सिरमौर होता। खेलप्रेमियों का कहना है कि पटले मैडम का खेलों के प्रति योगदान अप्रतिम है। वह चाहती हैं कि जिले का हर खिलाड़ी खिलखिलाये। खेलों का आयोजन बड़ा हो या छोटा वह हर जगह न केवल पहुंचती हैं बल्कि खिलाड़ियों को शाबासी भी देती हैं।
नगर निगम के बाद क्या बदलेगी सूरत-ए-हाल
टके भर का सवाल यह है कि मुरैना नगर निगम बनने के बाद क्या इस जिले का खेलों में कायाकल्प होगा। क्या नगर निगम डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्टेडियम का स्वामित्व खेल एवं युवा कल्याण विभाग को सौंपेगा या फिर अपने जिले के खिलाड़ियों को मुकम्मल मैदान दिलाने की अतिरिक्त कोशिश करेगा?
खेलों का दारोमदार इन पर
अंजलता पटले डीएसपी हेडक्वाटर- जिला खेल अधिकारी
रामबाबू कुशवाह लिपिक सहायक ग्रेड-तीन
अविनाश भटनागर ( एनआईएस) हॉकी प्रशिक्षक
नरेन्द्र सिंह तोमर एथलेटिक्स प्रशिक्षक
सायदा बी थ्रोबाल प्रशिक्षक
श्याम सिंह सिकरवार युवा समन्वयक अम्बाह
राजेन्द्र कुलश्रेष्ठ युवा समन्वयक सबलगढ़
उपदेश सिंह तोमर युवा समन्वयक पोरसा
कुमारी मोनू गुप्ता युवा समन्वयक जौरा
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