Friday 28 August 2015

जीत के निहितार्थ


फटाफट क्रिकेट के दौर में टेस्ट मैचों की लोकप्रियता कम जरूर हुई है, लेकिन इन्हीं मैचों में खेल के हर पक्ष में प्रतिद्वंद्वी टीमों को जूझते देखा जा सकता है। खिलाड़ियों के कौशल, दमखम, ध्यान और संतुलन की क्षमता का सही आकलन टेस्ट मैचों के दौरान ही हो पाता है। यही वजह है कि इन मैचों के प्रदर्शन लम्बे समय तक याद रहते और रखे जाते हैं। भारत-श्रीलंका के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में अब तक हुए दो मैच इस लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण हैं। गाले में भारत जीतते-जीतते हार गया था, पर कोलंबो के पी सारा ओवल स्टेडियम में भारतीय खिलाड़ी श्रीलंका पर न केवल हावी रहे बल्कि जीत हासिल करने के क्षण तक उन्होंने अपने संतुलन और नियंत्रण में कोई चूक नहीं होने दी। यूं तो खेल के गम्भीर प्रेमियों के लिए हर गेंद रोमांचक होती है और क्रिकेट एक टीम खेल है, परंतु यह मैच भारत की ओर से अजिंक्य रहाणे, लोकेश राहुल और रविचंद्रन अश्विन तथा श्रीलंकाई टीम की ओर से आर. हेराथ और ए. मैथ्यूज के शानदार प्रदर्शनों के लिए याद किया जायेगा। अश्विन ने इस मैच में भी पांच विकेट लेकर यह साबित किया कि अनिल कुम्बले के बाद भारत उनकी गेंदबाजी पर यकीन कर सकता है। अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में बारहवीं बार पांच या उससे अधिक विकेट लिये हैं। पिछले मैच में भी उन्होंने एक पारी में पांच विकेट चटकाये थे। दूसरी पारी में रहाणे के शतक और लम्बी भागीदारी ने भारत को बड़ी बढ़त दे दी थी। यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि इस मैच में एक बड़ा प्रयोग करते हुए रहाणे को उनके स्थायी पांचवें स्थान से हटाकर तीसरे स्थान पर भेजा गया था। ऐसे में उनका शतक, जो उनके कैरियर का चौथा शतक है, नियंत्रण की उनकी क्षमता को सिद्ध करता है। अश्विन के साथ गेंदबाज अमित मिश्रा के लिए भी यह दौरा उपलब्धियों से भरा है। यह जीत पहले टेस्ट की निराशा से उबरने का मौका तो है ही, कप्तान विराट कोहली की बतौर कप्तान पहली जीत होने के कारण भी खास है। यह जीत एक साल से अधिक के इंतजार के बाद मिली है। क्रिकेट के इतिहास में इस मैच को मौजूदा दौर के महानतम खिलाड़ियों में शुमार होने वाले कुमार संगकारा के आखिरी मैच के रूप में याद किया जायेगा। अपनी टीम की हार से संगकारा को निराशा जरूर हुई होगी, लेकिन दोनों टीमों और दर्शकों की भाव-विह्वल विदाई को वे हमेशा याद रखेंगे। भारतीय कप्तान विराट कोहली उन्हें अपने प्रेरणास्रोतों में यदि गिनते हैं, तो वह उचित भी है। इस जीत के बाद भारत का आत्मविश्वास सकारात्मक और मनोबल ऊंचा होना चाहिये क्योंकि वह टेस्ट क्रिकेट रेटिंग में शिखर से छठे स्थान पर आ गया है। यह भारत की प्रतिष्ठा से मेल नहीं खाता।

धरती का सबसे तेज मानव
गैटलिन को हराकर बोल्ट का गोल्डन डबल
बीजिंग। धरती के सबसे तेज धावक जमैका के यूसेन बोल्ट ने 200 मीटर दौड़ में अपनी बादशाहत एक बार फिर कायम रखते हुये अपने प्रबल प्रतिद्वंद्वी अमेरिका के जस्टिन गैटलिन को फिर पछाड़ कर विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अपना खिताब कायम रखा। बोल्ट का विश्व चैम्पियनशिप में यह 10वां स्वर्ण पदक है।
इस स्पर्धा में 19.19 सेकेण्ड का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले बोल्ट ने 19.55 सेकेण्ड का समय लेकर स्वर्ण जीता। गैटलिन 19.74 सेकेण्ड का समय निकाल पाये और उन्हें रजत से संतोष करना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका के अनासो जोबोतवाना ने 19.87 सेकेण्ड में कांस्य पदक जीता। बोल्ट ने इसके साथ ही विश्व चैम्पियनशिप में 100 और 200 मीटर का गोल्डन डबल पूरा कर लिया है। बोल्ट ने 2013 में पिछली विश्व चैम्पियनशिप में भी इन दोनों फर्राटा स्पर्धाओं के स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने 100 मीटर दौड़ में गैटलिन को परास्त किया था और अब 200 मीटर में भी उन्होंने अमेरिकी धावक को जीतने का मौका नहीं दिया। बोल्ट विश्व चैम्पियनशिप से पहले इस वर्ष अपनी फार्म और फिटनेस में नहीं थे, जबकि गैटलिन ने 2015 में 100 और 200 मीटर दोनों ही रेसों में सबसे तेज समय निकाला था। लेकिन विश्व चैम्पियनशिप में गैटलिन जमैकाई धावक की श्रेष्ठता को चुनौती नहीं दे पाये। बोल्ट के नाम अब 6 ओलम्पिक खिताब और 10 विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण हो चुके हैं। 100 मीटर में 3 खिताब अपने नाम कर चुके बोल्ट का यह लगातार चौथा 200 मीटर का स्वर्ण पदक है। बोल्ट 2011 में देबू में हुयी विश्व चैम्पियनशिप में 100 मीटर में अयोग्य करार दिये गये थे जबकि उन्होंने 200 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था।

No comments:

Post a Comment