Tuesday, 18 August 2015

छत्तीसगढ़ करेगा पुरुष हाकी विश्व लीग फाइनल की मेजबानी

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ (एफआईएच) ने घोषणा की कि पुरुष हाकी विश्व लीग फाइनल 27 नवंबर से छह दिसंबर के बीच छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित किया जाएगा।
एफआईएच ने बयान में कहा, पुरूष हाकी हाकी विश्व लीग फाइनल  2015 की मेजबानी 27 नवंबर से छह दिसंबर 2015 के बीच  भारतीय शहर रायपुर, छत्तीसगढ़ करेगा। यह प्रतियोगिता रायपुर अंतरराष्ट्रीय हाकी स्टेडियम में आयोजित की जाएगी जिसे पिछले साल अगस्त में खोला गया था। यह पूरी तरह से हाकी को समर्पित स्टेडियम है। इस प्रतियोगिता में आठ राष्ट्रीय हाकी टीमें भाग लेंगी जिन्होंने ब्यूनसआयर्स और एंटवर्प में हाकी विश्व लीग सेमीफाइनल्स के जरिये क्वालीफाई किया था। इन टीमों में आस्ट्रेलिया एफआईएच विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर काबिज है। उसके अलावा नीदरलैंड (दो), जर्मनी (तीन), बेल्जियम (चार), ग्रेट ब््िराटेन (पांच), मेजबान भारत (आठ) और कनाडा (13)  इसमें शिरकत करेंगे।
यह पहला अंतरराष्ट्रीय हाकी टूर्नामेंट होगा जिसे न सिर्फ नवनिर्मित अंतरराष्ट्रीय हाकी स्टेडियम बल्कि रायपुर शहर में आयोजित किया जाएगा। एफआईएच अध्यक्ष लियांड्रो नेग्रे ने कहा, हाकी हाकी विश्व लीग फाइनल  बेहद रोमांचक प्रतियोगिता होगी। इसमें भाग लेने वाली सभी आठ टीमों ने ओलंपिक 2016 के लिये क्वालीफाई कर लिया है। अगले साल रियो में होने वाले खेलों से पहले उनके पास किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में एक दूसरे के खिलाफ खुद को परखने का आखिरी मौका होगा। नेग्रे ने कहा, भारत का हाकी के साथ मजबूत संबंध रहा है और हम एक ऐसे शहर में इसके आयोजन को लेकर बहुत खुश हैं जिसने अंतरराष्ट्रीय हाकी टूर्नामेंट के आयोजन के लिये इच्छा जतायी थी। हमें इसमें कोई संदेह नहीं कि स्थानीय आयोजक और रायपुर के लोग खिलाड़ियों, दर्शकों और विश्व भर के टीवी दर्शकों के लिये इसे यादगार टूर्नामेंट बनाएंगे।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी एफआईएच के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, यह छत्तीसगढ़ राज्य के लिये गौरवशाली क्षण है। जब हमने स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू किया था तो हमारा उद्देश्य इसके विश्वस्तरीय स्टेडियम बनाना था जो अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरी करता हो और मुझे खुशी है कि हमने सफलतापूर्वक इसे हासिल किया। मैं विश्व भर के हाकी प्रेमियों का स्वागत करता हूं और उन्हें यहां नवंबर और दिसंबर में होने वाली जानदार हाकी का अनुभव लेने के लिये आमंत्रित करता हूं। हाकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने भी इस फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा, यह भारतीय हाकी समुदाय के लिये बहुत अच्छी खबर है कि रायपुर पहली बार एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा। यह न सिर्फ हाकी इंडिया बल्कि रायपुर स्टेडियम के अधिकारियों के लिये भी बहुत बड़ी प्रेरणा है। इससे हमारी बड़े टूर्नामेंटों के आयोजन की हमारी क्षमता फिर से साबित हो जाती है। यह हाकी विश्व लीग को दूसरा सत्र है। पहला हाकी विश्व लीग पुरूष फाइनल नयी दिल्ली में हुआ था जिसे नीदरलैंड ने जीता था।

हरभजन ने वापसी मैच में जरूरत से ज्यादा प्रयास किया : राजू
नई दिल्ली। श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में खराब प्रदर्शन से हरभजन सिंह दबाव में आ गए हैं और भारत के पूर्व स्पिनर वेंकटपति राजू का मानना है कि यह अनुभवी आफ स्पिनर वापसी में अपनी उपयोगिता साबित करने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने के चक्कर में फ्लाप रहा।
स्पिनरों के दबदबे वाले मैच में हरभजन ने 25 ओवरों में सिर्फ एक विकेट लिया। भारत 63 रन से हारकर तीन मैचों की श्रृंखला में 0-1 से पिछड़ गया है। राजू ने कहा, अपने एक्शन में सुधार के दौरान हरभजन रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया से गुजरा। फिर वह टीम से बाहर था और अब उसने वापसी की है लिहाजा उसने अतिरिक्त प्रयास किया। अनुभव के मामले में कोई कमी नहीं है और उसे बखूबी पता है कि किन हालात में कैसे खेलना है। उन्होंने कहा, लेकिन समस्या यह है कि जब आप वापसी करते हैं तो आप खुद को साबित करने की कोशिश करते हैं। आप अतिरिक्त प्रयास करते हैं जो कई बार कारगर साबित नहीं होते। श्रीलंका में 22 साल पहले टेस्ट श्रृंखला जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे राजू ने कहा कि तीन स्पिनरों की रणनीति तभी कामयाब होती है जब स्कोर अच्छा हो।  उन्होंने कहा, जब भारत तीन स्पिनरों के साथ उतरता था तब वीरेंद्र सहवाग जैसे बल्लेबाज थे जो काफी रन बनाते थे। 400 का स्कोर हमेशा मददगार होता है। इसके अलावा हरफनमौला गेंदबाज भी टीम में थे। अभी यह युवा टीम है जो अनुभव के साथ बेहतर होगी। राजू ने कहा, मैं उस टीम का सदस्य था जिसने 1993 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की अगुवाई में श्रीलंका में जीत दर्ज की थी। उस टीम की ताकत भी स्पिन थी। श्रीलंका के पास मुथैया मुरलीधरन के अलावा चमिंडा वास भी था जो विकेट लेने में माहिर था। उन्होंने कहा, लेकिन हमारे खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट भी खेलते थे और उन पिचों पर खेलने के आदी थे। जब कभी भी हमने आस्ट्रेलिया या इंग्लैंड की मेजबानी की, 400 से 500 का स्कोर बनाया। श्रीलंकाई जीत के नायक रंगना हेराथ और थारिंडू कौशल की तारीफ करते हुए राजू ने कहा कि दोनों को घरेलू पिच पर खेलने का फायदा मिला। उन्होंने कहा, रंगना हेराथ और थारिंडू कौशल ने आपसी तालमेल के साथ घरेलू हालात का फायदा उठाते हुए गेंदबाजी की। स्पिनरों की श्रीलंका की रणनीति कामयाब रही लेकिन बल्लेबाजों ने भी रन बनाये थे। राजू ने यह भी कहा कि अनुकूल पिचों पर घरेलू क्रिकेट के अभाव से भारतीय खिलाड़ियों और खासकर स्पिनरों के विकास पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा, भारत विदेश में काफी क्रिकेट खेल रहा है और खिलाड़ियों को घरेलू मैच खेलने का समय ही नहीं मिल पाता। इसके अलावा भारत में भी आईपीएल जैसे टूर्नामेंटों से उनका कार्यक्रम काफी व्यस्त रहता है। इससे उन पिचों पर राज्य के खिलाड़ी ही खेलते हैं और अपना खेल निखारते हैं।
तनय ने 120 घंटे स्केटिंग कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
चंडीगढ़ शहर के 8 वर्षीय तनय जीएस चौहान ने 120 घंटे लगातार स्केटिंग कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। 29 मई से 3 जून तक बेलगांव कर्नाटक में आयोजित की गई नॉनस्टॉप स्पीड स्केटिंग रिले मैराथन में तनय ने यह रिकॉर्ड बनाया।
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गई इस प्रतियोगिता में पूरे भारत से कुल 315 स्केटर्स ने हिस्सा लिया था। उन्हें कड़ी चुनौती देते हुये चंडीगढ़ के तनय जीएस चौहान ने यह खिताब अपने नाम दर्ज करवाया। तनय की इस उपलब्धि के लिये उसका नाम लिम्का बुक आॅफ रिकॉर्ड, एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड, वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया, इंडियन एचीवर्स रिकॉर्ड, यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड और इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड में दर्ज किया जायेगा। सेंट जोंस हाई स्कूल सेक्टर-26 में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले तनय के पिता गौरव जीएस चौहान और माता तानया जीएस चौहान ने बताया कि शुरू से ही तनय को स्केटिंग को शौक रहा है। तनय ने बताया कि वह 5 साल की उम्र से स्केटिंग कर रहा है और हर रोज इसकी प्रेक्टिस करता है। तनय विभिन्न प्रतियोगिताओं में अब तक 50 से अधिक मेडल अपने नाम दर्ज करा चुका है। तनय को जीके इंटरनेशनल ओलंपियाड-2014 में 9वां स्थान, कम्प्यूटर में स्टेट इंटरनेशनल ओलंपियाड-2014 में 20वां स्थान से सम्मानित किया जा चुका है।
चंडीगढ़ में शनिवार को तनय को सम्मानित करते विजय कुमार देव।
 स्विस किशोरी ने सेरेना को हराया
टोरंटो। स्विस किशोरी बेलिंडा बेनसिच ने डब्ल्यूटीए रोजर्स कप टेनिस टूर्नामेंट में एक बेहद कड़े मुकाबले में विश्व की नम्बर एक खिलाड़ी सेरेना विलियम्स को बाहर का रास्ता दिखाकर फाइनल में प्रवेश किया।
यह टूर्नामेंट में खेल रही सबसे उम्रदराज और सबसे युवा खिलाड़ी के बीच मुकाबला था जिसमें 18 वर्षीय बेनसिच विजयी रही। उन्होंने 21 बार की ग्रैंडस्लैम विजेता 33 वर्षीय सेरेना को 2 घंटे 28 मिनट तक चले मैच में 3-6, 7-5, 6-4 से हराया। यह सेरेना की 2015 में केवल दूसरी हार है।
सेरेना ने 1999 में जब अपना पहला ग्रैंडस्लैम खिताब जीता था तब बेनसिच केवल 2 साल की थी। इस जीत से उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। बेनसिच ने बाद में कहा, यह अद्भुत अहसास है। इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। बेनसिच फाइनल में दूसरी वरीयता प्राप्त सिमोना हालेप से भिड़ेगी। रोमानिया की खिलाड़ी ने एक अन्य सेमीफाइनल में इटली की सारा ईरानी को 6-4, 6-4 से हराया।
जीत के बाद स्विट्जरलैंड की बेलिंडा बेनसिच दर्शकों का अभिवादन करती हुई।

साइना दूसरी बार चूकी
जकार्ता। बैडमिंटन में पहली भारतीय विश्व चैम्पियन बनने का साइना नेहवाल का सपना उस समय टूट गया जब खिताबी मुकाबले में उन्हें गत चैम्पियन स्पेन की कैरालिना मारिन के खिलाफ सीधे गेम में शिकस्त का सामना करना पड़ा।
दुनिया की दूसरे नम्बर की भारतीय खिलाड़ी को अपनी चिर प्रतिंद्वद्वी शीर्ष वरीय के खिलाफ 59 मिनट में 16-21, 19-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी। साइना को लगातार दूसरी बार किसी बड़ी प्रतियोगिता के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। यह रजत पदक हालांकि विश्व चैम्पियनशिप में किसी भारतीय खिलाड़ी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
साइना को इससे पहले इसी साल आल इंग्लैंड चैम्पियनशिप के फाइनल में ही मारिन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। विश्व चैम्पियनशिप में यह भारत का पांचवां पदक है। इससे पहले पीवी सिंधू ने 2013 और 2014 में कांस्य पदक जीता था जबकि ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की महिला युगल जोड़ी भी 2011 में कांस्य पदक जीतने में सफल रही थी। विश्व चैम्पियनशिप में भारत के लिए पहला पदक 1983 में दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने कांस्य पदक के रूप में जीता था।
स्पेन की मारिन के खिलाफ साइना ने पिछले 6 में से 3 मुकाबले जीते थे और एक गंवाया था इसलिए कागजों पर उन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा था। आल इंग्लैंड फाइनल में हालांकि साइना को हराने वाली मारिन शुरू से ही लय में नजर आई। मारिन हर अंक जीतने के बाद अति उत्साह दिखा रही थी और चिल्ला रही थी जिसके कारण चेयर अम्पायर ने उन्हें समझाया भी। उन्हें अपने रैकेट को सम्मान नहीं देने पर एक बार चेतावनी भी दी गई। पहले गेम में 7-7 की बराबरी के बाद दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी ने बढ़त बनाए रखी और पहला गेम अपने नाम किया।
पहले गेम में मध्यांतर तक मारिन ने 11-8 की बढ़त बना ली थी। साइना की गलतियों का फायदा उठाते हुए उन्होंने स्कोर 15-9 तक पहुंचाया। साइना ने कुछ अंक जीतकर वापसी की कोशिश की लेकिन उनके शाट बाहर मारने पर स्पेन की खिलाड़ी ने पहला गेम जीत लिया।
दूसरे गेम में हालांकि भारतीय खिलाड़ी ने जोरदार वापसी की और मारिन की गलतियों का फायदा उठाया। मध्यांतर के समय भारतीय खिलाड़ी 11-6 से आगे चल रही थी। मारिन ने हालांकि हार नहीं मानी और लगातार 6 अंक के साथ 12-12 के स्कोर पर बराबरी हासिल कर ली। स्पेन की खिलाड़ी ने अपनी तेजी की बदौलत साइना को थकाया और उनके शरीर को निशाना बनाते हुए शाट खेले। साइना ने कुछ लम्बी रैली खेलकर वापसी करने की कोशिश की। मारिन ने हालांकि 17-17 के स्कोर पर बराबरी के बाद अहम मौके पर दबदबा बनाते हुए 20-18 की बढ़त बनाई और अपने लगातार दूसरे विश्व खिताब की ओर कदम बढ़ाए। मारिन ने इसके बाद पहला चैम्पियनशिप अंक गंवाया लेकिन दूसरे अंक पर उन्होंने गेम, मैच और खिताब अपने नाम कर दिया।
पहले गेम में काफी गलतियां कीं
साइना नेहवाल ने स्वीकार किया कि उनके अंदर धैर्य की कमी थी और उन्होंने काफी गलतियां कीं जिससे यहां विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने का उनका सपना टूट गया। शिकस्त के बाद साइना ने कहा, आज मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ खेल नहीं दिखाया, मैं इससे बेहतर कर सकती थी। दूसरे गेम में मुझे बढ़त हासिल थी लेकिन अंक काफी तेजी से बने और काफी जल्दी उसने बराबरी हासिल कर ली। वहीं, मारिन ने कहा, मैं पिछली बार की तुलना में अधिक खुश हूं। यह अधिक कड़ा था। पिछले महीने मेरे पैर में चोट लगी, मुझे लगा कि मैं नहीं खेल पाऊंगी। मैंने दो हफ्ते पहले खेलना शुरू किया, सिर्फ टूर्नामेंट का लुत्फ उठाना चाहती थी।
साइना के पिता ने कहा-एकाग्रता खो दी थी
साइना नेहवाल के पिता हरवीर सिंह ने कहा कि पहली बार विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप के फाइनल में खेलने के दबाव के कारण यह भारतीय स्टार जकार्ता में समाप्त हुए इस टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले में स्पेन की कोरोलिन मारिन से हार गई। हरवीर ने हैदराबाद में पत्रकारों से कहा, मुझे लगता है कि यह मनोवैज्ञानिक पहलू था। वह यह सोचकर कि उसे हर हाल में जीत दर्ज करनी है, शायद अपनी एकाग्रता खो बैठी।
जीत के बाद गोल्ड मेडल के साथ मारिन और रजत पदक के साथ साइना।
रजत जीतने पर तेलंगाना के सीएम की बधाई
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल को जकार्ता में विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने के लिए बधाई दी। राव ने बयान में कहा कि तेलंगाना की साइना ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और फाइनल में दुनिया की नम्बर एक खिलाड़ी को कड़ी टक्कर दी। राव ने कहा कि तेलंगाना को अपने राज्य के खिलाड़ियों पर गर्व है जो अन्य खेलों में भी नई ऊंचाइयां छू रहे हैं।
तीरंदाजी विश्व कप में भारत ने जीता रजत
रासलाव (पोलैंड)। दीपिका कुमारी और मंगल सिंह चंपिया की भारतीय मिश्रित युगल जोड़ी तीरंदाजी विश्व कप के तीसरे चरण में यहां मैक्सिको के अपने प्रतिद्वंद्वी जोड़ी से हार गई और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। लंदन ओलंपिक की रजत पदक विजेता मैक्सिकन जोड़ी आइदा रोमन ओर जुआन रेने सेरानो ने दूसरे दौर के बाद 3-1 से बढ़त हासिल कर ली और फिर एकतरफा मुकाबले में 5-1 से जीत दर्ज करके स्वर्ण पदक जीता। इस तरह से भारत ने विश्व कप के तीसरे चरण में एक स्वर्ण और एक रजत के साथ अपने अभियान का समापन किया। पुरुषों की कम्पाउंड टीम में कांस्य पदक के प्लेआफ में हार झेलने वाले अभिषेक वर्मा ने कल व्यक्तिगत वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का खाता खोला था।

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