दो अक्टूबर को आगरा में हो सकता है बड़ा आंदोलन
विनोबा भावे के अनुयायी जैन 1962 में भी कर चुके हैं आंदोलन
आगरा। जो काम अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी या विनोबा भावे नहीं कर सके उस काम को अंजाम तक पहुंचाने का बीड़ा आगरा के 96 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी चिम्मन लाल जैन ने उठाया है। आगरा के इस गांधी ने न केवल शराब बंदी के खिलाफ आवाज बुलंद करने की ठान ली है बल्कि हुकूमतों को चेतावनी दी है कि यदि दो अक्टूबर तक मुल्क में शराब बंदी नहीं हुई तो वे यमुना में कूद कर जान दे देंगे।
श्री जैन शराब को लेकर न केवल व्यथित हैं बल्कि कहते हैं कि सुरा ने समाज को कहीं का नहीं छोड़ा है। आजादी से पहले जिस आगरा में सिर्फ 11 मदिरालय थे वहीं आज गली-गली शराब की दुकानें खुल गई हैं। शराब के खिलाफ आंदोलनरत श्री जैन कहते हैं कि यह काम कठिन जरूर है लेकिन वह शराब बंदी के लिए हुकूमतों को मजबूर कर देंगे। श्री जैन को शराब बंदी की प्रेरणा विनोबा भावे से मिली है। 13 साल विनोबा भावे की संगत रह चुके आगरा के इस गांधी ने पहली बार शराब बंदी के खिलाफ 1962 में आवाज बुलंद की थी। वह अपने मकसद में कामयाब होते ही दिख रहे थे कि उसी समय चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया। उस नाजुक घड़ी में लोगों ने श्री जैन से शराब बंदी आंदोलन को स्थगित करने का आग्रह किया और वह मान गये।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाले श्री जैन ने पुष्प सवेरा से विशेष बातचीत में बताया कि शराब बंदी का उनका संकल्प राजनीति नहीं बल्कि समाज प्रेरित है। शराब से न केवल समाज का पतन हो रहा है बल्कि पारिवारिक रिश्तों में भी खटास पैदा हो रही है। 12 जून, 2015 से आंदोलनरत श्री जैन आगरा में अब तक 11 बार शराब बंदी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। श्री जैन का कहना है कि आजादी के बाद गांधी जी लम्बे समय तक जिन्दा रहे होते तो शायद जवाहर लाल नेहरू अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं होते। श्री जैन संविधान का हवाला देते हुए कहते हैं कि हमारे संविधान में भी शराब बंदी का जिक्र है। आगरा का यह गांधी शराब बंदी मामले में राजनीतिज्ञों का सहयोग न मिलने से काफी आहत है। श्री जैन कहते हैं कि उन्हें राजनीतिज्ञों का सहयोग मिले या नहीं वह देश में शराब बंदी कराकर ही दम लेंगे। शराब बंदी के लिए वह हर तरह की कुर्बानी को तैयार हैं। श्री जैन का कहना है कि जब बहुमत से सरकार बनती है, बहुमत से एमपी-एमएलए चुने जाते हैं, यहां तक कि बहुमत से कानून बनते हैं तो फिर ग्रामीणों के न चाहने पर गांवों में शराब की दुकानें क्यों खोली जा रही हैं। श्री जैन के शराब बंदी आंदोलन को जिस तरह छात्र-छात्राओं और शिक्षकों का समर्थन मिल रहा है, उससे दो अक्टूबर को आगरा में कुछ भी हो सकता है।
शराब बंदी आंदोलन को छात्र-छात्राओं का मिल रहा समर्थन
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. विजेन्द्र सिंह नरवार ने स्वतंत्रता सेनानी चिम्मन लाल जैन द्बारा चलाये जा रहे शराब बंदी आंदोलन का न केवल समर्थन किया बल्कि जनपद के शिक्षकों और छात्रों से आह्वान किया कि वह सब एकजुट होकर समाज से शराब की लत को दूर करने कोे उठ खडेÞ हों। डॉ. नरवार शराब बंदी के आंदोलन में श्री जैन के साथ किसान विद्यापीठ इण्टर कॉलेज बमरौली कटारा, तुलाराम इण्टर कॉलेज मलपुरा, रोहता इण्टर कॉलेज रोहता, बेनी सिंह वैदिक इण्टर कॉलेज बालूगंज, एंग्लो बंगाली गर्ल्स इण्टर कॉलेज रकाबगंज, उ.मा. विद्यालय ककुआ आदि में जाकर छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों से इस बुराई के बारे में विस्तार से चर्चा की। प्रधानाचार्य कुंजबिहारी राणा, जयदेव सिंह, रामवीर सिंह पौनियां, विजेन्द्र सिंह, नीरजा वर्मा ने शराब बंदी आंदोलन को जहां अपना समर्थन दिया वहीं डॉ. नरवार ने प्रशासन से शराब बंदी की अपील की है।
No comments:
Post a Comment