Tuesday 4 August 2015

गरीबी भी नहीं तोड़ पाई मैराथन धावक का हौसला



कीचड़ में तो कमल खिलते आये हैं लेकिन रेगिस्तान में कमल खिलाने की कल्पना को महेन्द्रगढ़ जनपद के गांव मढ़ाणा का 20 वर्षीय प्रीतम साकार करने में जुटा है। आर्थिक तंगी व विषम परिस्थितियां प्रीतम के हौसले को कम नहीं कर पाई हैं। 14 वर्ष की आयु में एक दिन पड़ोसी के घर टेलीविजन पर मैराथन दौड़ देखने के बाद इस लम्बी दौड़ की इधर-उधर से जानकारी प्राप्त हुई तो प्रीतम को मालूम पड़ा कि मैराथन की दुनिया में भारत की तरफ से रामसिंह यादव धावक नाम कमा चुका है। बस फिर क्या था, बिना किसी गुरु या प्रशिक्षक के एकलव्य की भांति मैराथन खिलाड़ी बनने का संकल्प लेकर वह तैयारी में जुट गया। चार भाई-बहनों में तीसरे नम्बर पर प्रीतम निहायत ही गरीब परिवार से सम्बन्ध रखता है। प्रीतम के पिता दिलीप कुमार पंजाब के कस्बा बठिंडा में एक टैंट हाउस की दुकान पर टैंट सिलने का काम करते हैं। उसी से परिवार का गुजर-बसर होता है। अपने छह वर्ष के मैराथन करियर में प्रीतम 46 प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुका है। प्रीतम जिला स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की करीब 70 प्रतियोगिताओं में भाग ले चुका है। प्रीतम का सपना ओलम्पिक में पदक जीतना है, जिसके लिए वह आर्थिक तंगी से जूझते हुए कड़ी मेहनत कर रहा है।
ये उपलब्धियां हासिल कीं
प्रीतम ने 2013 में केरल में आयोजित इंटरनेशनल हाफ मैराथन दौड़ में पांचवां स्थान हासिल कर देश का गौरव बढ़ाया। इस प्रतियोगिता में देश-विदेश के 20 हजार प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। प्रीतम की कामयाबी का सफर यहीं नही रुका। 2014 में आयोजित मुंबई इंटरनेशनल मैराथन 42 किलोमीटर में उसने 12वां स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में देश-दुनिया के तीन हजार प्रतिभागियों ने भाग लिया था। इसके अलावा 2013 में दिल्ली में आयोजित द्वारका नेशनल मैराथन में दूसरा स्थान व 2012 में दिल्ली में ही आयोजित 10 किलोमीटर मैराथन में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। राज्य स्तर पर प्रीतम अब तक 10 मैराथन में प्रथम स्थान हासिल कर चुका है।
माली हालत बन रही बाधा
प्रीतम पिछले छह वर्षों से लगातार मैराथन में भाग ले रहा है, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 2011 में वह अपने एक रिश्तेदार की सहायता से दिल्ली के नेहरू स्टेडियम में मैराथन की तैयारी के लिए गया था लेकिन परिवार की माली हालत ठीक न होने के कारण मात्र पांच महीने में वापस लौट आया। प्रीतम जिला स्तर से लेकर प्रदेश सरकार तक अपने खेल को आगे बढ़ाने के लिए गुहार लगा चुका है लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा उसे कुछ नहीं मिला।
प्रतिदिन डाइट
 प्रीतम के अनुसार एक मैराथन खिलाड़ी की प्रतिदिन में डाइट में दिन में करीब दो लीटर दूध, 250 ग्राम देसी घी, ड्राई फ्रूट्स, सोयाबीन चाहिए जबकि प्रीतम को यह सब पर्याप्त मात्रा में न मिलने के कारण उसके स्टेमिना व टाइमिंग में गिरावट आ रही है, जिसको लेकर वह बहुत चिंतित है।
2013 में रन आॅफ द ईयर खिताब
प्रीतम को 2013 में गुड़गांव एनसीआर में रन विद मी फाउंडेशन की तरफ से रन आॅफ द ईयर का खिताब भी मिल चुका है।
आर्थिक तंगी ने रोका बैंकाक का सफर
2014 में प्रीतम ने बैंकाक में अंतरराष्ट्रीय मैराथन प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया था लेकिन उसके पास बैंकाक जाने के लिए टिकट के पैसे उपलब्ध नहीं हो पाए, जिसके चलते यह होनहार खिलाड़ी मन मसोसकर रह गया और नियमित तैयारी में जुटा रहा। वह ओलम्पिक में खेलकर पदक लाना चाहता है।
रोज 20 किलोमीटर अभ्यास
सुबह साढ़े तीन बजे उठकर प्रीतम गांव के समीप से गुजरने वाले नारनौल-बहरोड सड़क मार्ग पर दौड़ के लिए निकल पड़ता है। रोजाना 15-20 किलोमीटर की दौड़ लगाता है व आवश्यक व्यायाम करता है, लेकिन घर आने के बाद जो खुराक मैराथन खिलाड़ी को मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाती।
क्या है भारत की स्थिति
जानकारी के अनुसार मैराथन में भारत की स्थिति सुखद नहीं है। 1976 व 2012 में ही भारत ओलम्पिक मैराथन के लिए क्वालीफाई कर पाया था। 2012 में भारत की ओर से ओलम्पिक में भाग लेने वाले रामसिंह यादव को 78वां स्थान मिला था।
विजय कौशिक

सहायक कोच बनेंगी रानी रामपाल
भारतीय खेल प्राधिकरण ने स्टार फारवर्ड रानी रामपाल को साई में सहायक कोच के पद की पेशकश की है। साई ने अपने नियमों में उदार परिवर्तन करते हुये रानी रामपाल को सहायक कोच के पद की पेशकश की है। रानी भारतीय टीम की फारवर्ड हैं और उन्होंने द्रोणाचार्य अवार्डी बलदेव सिंह की हरियाणा स्थित शाहाबाद अकादमी से अपने खेल को निखारा। वह मात्र 15 वर्ष की उम्र में 2010 के विश्वकप में भारतीय टीम की सदस्य बन गयी थीं। इससे पहले 2009 में रूस के कजान में चैम्पियन्स चैलेंज टूर्नामेंट में उन्होंने चार गोल करते हुये भारत को खिताबी जीत दिलाई थी। उन्हें टूर्नामेंट की शीर्ष स्कोरर और यंग प्लेयर आॅफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार दिया गया था। उन्हें 2010 में एफआईएच महिला यंग प्लेयर अवार्ड के लिये नामित किया गया था और यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। उनके शानदार प्रदर्शन से भारत ने 2013 के जूनियर विश्वकप में कांस्य पदक जीता था। रानी रामपाल ने हाल में हुये एफआईएच वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल्स में भारत को पांचवां स्थान दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिससे भारत ने रियो ओलम्पिक का टिकट पाने के लिए अपना दावा मजबूत कर लिया है। साई ने युवा महिला खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए रानी को सहायक कोच बनाने का फैसला किया है।
आईपीएल खेलाने के नाम पर युवकों से ठगी
आगरा। अभी तक आईपीएल के नाम पर सट्टे का खेल चलता था लेकिन अब मैच में खिलाने के नाम पर ठगी शुरू हो गई है। शातिर दिमाग युवक ने आइपीएल मैच खेलाने के एवज में कई युवकों से रकम हड़प ली। तमन्ना पूरी नहीं होने पर युवकों ने शातिर से सम्पर्क किया तो टाल-मटोल करने लगा। इसके बाद युवकों ने ठग को आगरा बुलाया और पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
मामला न्यू आगरा इलाके का है। आईपीएल मैच में क्रिकेट के शौकीन युवकों को शामिल कराने के लिए बिजनौर में रहने वाले नदीम नामक युवक का रवि से सम्पर्क हुआ। नदीम ने आईपीएल के चयनकर्ताओं से अपने संबंधों का हवाला देते हुए टीम में चयन का भरोसा दिलाया। इस पर सौरव, आसिम, मोहित, अमन, रवि, विवेक व नवल आदि नदीम के सम्पर्क में आ गए।
शातिर ने सभी से रकम ऐंठ ली। मोबाइल पर सम्पर्क करने पर टीम में चयन का भरोसा दिलाता रहा। काम बनता न देख युवक एकजुट हो गए और नदीम को झांसे में लेकर आगरा बुला लिया। हाइवे पर पहुंचे नदीम को युवकों ने घेर लिया और उसके साथ हाथापाई करने लगे। सूचना पर पुलिस पहुंच गई और मामले की जानकारी ली।
युवकों का कहना था कि नदीम ने मैच खेलाने के नाम पर लगभग सात-आठ लाख की ठगी की है और अब रकम नहीं लौटा रहा है और न ही टीम में चयन हुआ है। पुलिस की पूछताछ पर शातिर टूट गया और रकम हड़पने की बात मान ली। थाना प्रभारी जेएस अस्थाना ने बताया ठगी के शिकार युवकों की तहरीर पर शातिर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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