Tuesday, 18 August 2015

नापाक पाकिस्तान

कहते हैं कि कुत्ते की दुम टेढ़ी होती है जिसे चाहकर भी सीधा नहीं किया जा सकता। भारत के लिहाज से पड़ोसी पाकिस्तान भी कुत्ते की दुम की ही तरह है। भारत 68 साल से पाकिस्तान के साथ बड़े भाई सा व्यवहार कर रहा है लेकिन वह है कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा। प्रधानमंत्री मोदी जब से देश की सल्तनत पर काबिज हुए हैं, उसके बाद से कोई ऐसा दिन नहीं बीता जिस दिन पाक सैनिकों ने सीजफायर का उल्लंघन न किया हो। आगामी 23-24 अगस्त को नई दिल्ली में भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक होनी है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने भारत आने की पुष्टि भी कर दी है लेकिन नापाक पाकिस्तान जिस तरह की हरकतें कर रहा है, उससे नहीं लगता कि सम्बन्धों में सुधार होगा। देखा जाये तो आतंकवाद सिर्फ भारत ही नहीं पाकिस्तान की भी समस्या है। आतंकवाद के खात्मे के लिए जरूरी है कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के साथ मिलकर सुरक्षा के नए इंतजाम, नए पहलुओं पर विचार करें, पुरानी खामियों को दुरुस्त करें, क्योंकि मन की गांंठों को संवाद के जरिये खोलना हमेशा आसान होता है। फिलवक्त जिस तरह दोनों मुल्कों के बीच तनातनी बढ़ती दिख रही है, उससे होने वाली बैठक के कोई मायने नहीं रह जाते। जम्मू-कश्मीर से लगी भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से आठ अगस्त से हो रही गोलाबारी में अब तक छह भारतीय नागरिक मारे जा चुके हैं। इससे पहले 30 जुलाई को एक सैनिक तथा चार अगस्त को एक नागरिक की मौत हो चुकी है। विदेश मंत्रालय द्वारा पाकिस्तानी उच्चायुक्त को तलब करने के बाद भी पाकिस्तानी सेना की नापाक हरकतें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। पाकिस्तान अपनी गलती सुधारने की बजाय भारत पर ही जुलाई से अब तक 70 बार युद्धविराम उल्लंघन की तोहमत मढ़ चुका है। सच्चाई यह है कि भारत में आतंकी वारदातों को शह और संरक्षण देने के साथ सीमा व नियंत्रण रेखा पर उकसावे की पाकिस्तानी हरकतें कई वर्षों से जारी हैं। वर्ष 2011 से 2014 के बीच युद्धविराम उल्लंघन की 1,106 वारदातें यही सिद्ध करती हैं कि पड़ोसी पाकिस्तान नहीं सुधरने वाला। देखा जाये तो 2011 से 2013 के बीच गोलीबारी मुख्य रूप से नियंत्रण रेखा पर केन्द्रित रही थी, पर 2014 में 74 फीसदी ऐसी वारदातें पंजाब, गुजरात और राजस्थान से लगी सीमा पर हुई हैं। 2012 से 2014 के बीच घुसपैठ के 945 मामले हों या उधमपुर में पकड़ा गया आतंकी नावेद, यह सब भारत-विरोधी छद्म युद्ध का ही संकेत है। पाकिस्तान की इन हरकतों पर स्वाभाविक रूप से अधिकांश भारतीय बातचीत बंद कर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग कर रहे हैं लेकिन मोदी सरकार यदि युद्धोन्माद के पैरोकारों की परवाह किये बिना अमन-चैन की बहाली के प्रयास कर रही है, तो उसे कायरता नहीं मानना चाहिए।

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