Sunday, 9 August 2015

परिवर्तन का प्रलाप

बिहार विधान सभा चुनावों की तिथियां अभी भले ही घोषित न हुई हों लेकिन राजनीतिक पैंतरेबाजी का आगाज हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को गया के ऐतिहासिक गांधी मैदान से मगध की जनता को सम्बोधित करते हुए जदयू और राजद गठबंधन पर न केवल चुटकी ली बल्कि बिहार के विकास में इसे रोड़ा भी बताया। मोदी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि बिहार में कौन चंदन कुमार है और कौन है भुजंग प्रसाद? मोदी ने जनता से कहा कि अगर जंगलराज पार्ट-2 आया तो बिहार बर्बाद हो जायेगा। उन्होंने जदयू का अर्थ जनता का दमन-उपीड़न बताते हुए अपनी चिरपरिचित शैली में कहा कि 25 साल से आपने हर जुल्म और अहंकार झेला है, इन सबसे मुक्ति का समय करीब है। 25 साल से इन्हीं लोगों ने बिहार पर राज किया है, अगर इन्हें पांच साल और मौका दिया तो आपका भविष्य बर्बाद हो जायेगा। प्रधानमंत्री ने न केवल जनता से आशीर्वाद मांगा बल्कि बिहार की सांस्कृतिक खूबियों का जिक्र करना भी नहीं भूले। मोदी ने कहा कि शांति की चर्चा बुद्ध के बगैर नहीं हो सकती है। विज्ञान हो, संस्कृति हो, पराक्रम हो सबकी चर्चा बिहार से ही शुरू होती है। मोदी ने कहा कि बिहार देश को उत्तम मानव संसाधन दे सकता है। उन्होंने जनता से प्रतिप्रश्न किया कि बिहार आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहा, बिहार के सपने को किसने चूर-चूर किया और कौन यहां जंगलराज लाने की कोशिश कर रहा है? मोदी ने जनता को भरोसा दिया कि अब बिहार का विकास होगा क्योंकि दिल्ली बिहार के साथ है। उन्होंने चुटकी ली कि दिल्ली से विकास की गंगा तो बह रही है लेकिन यहां के शासक उल्टा लोटा लेकर आ रहे हैं। मोदी ने बिहार को बीमारू राज्य निरूपित करते हुए कहा कि एक समय  उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान को बीमारू राज्य माना जाता था लेकिन अब मध्य प्रदेश और राजस्थान तरक्की की दिशा में अग्रसर हैं। बिहार भी बीमारू राज्य से बाहर आ सकता है बशर्ते जनता सोच-समझ कर निर्णय ले। मोदी ने बौद्ध गया के विकास की चर्चा करते हुए कहा कि विदेशों में भी लोग यहां की चर्चा करते हैं। गया के विकास से यहां के लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा। मोदी ने नौजवानों की दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा कि यहां अन्य राज्यों की अपेक्षा इंजीनियरिंग की कम सीटें होने से तकरीबन 4 से 5 लाख नौजवान पढ़ाई के लिए बिहार छोड़कर दूसरी जगह जाते हैं। एक युवक की पढ़ाई में साल का एक लाख खर्च होता है, इससे बिहार को प्रतिवर्ष चार हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है। हमें बिहार के विकास के लिए वोट चाहिए। मोदी के भाषणों पर नीतीश कुमार भी चुप नहीं रहे और उन्होंने पत्रकार वार्ता कर मोदी के हर कथन को मिथ्या साबित करते हुए कहा कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, पर वह स्वस्थ और मर्यादित बहसों का विकल्प नहीं हो सकता। जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल परस्पर भाव से अकेले बिहार ही नहीं देश के विकास पर मंथन करें।

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