Monday, 3 August 2015

शूटिंग स्टार बनी पुरखास की बहुरिया अनीता


कहते हैं कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत होती है। सामान्य तौर पर यही धारणा आमजन की है। यह काफी हद तक सही भी है लेकिन शूटिंग में सितारे की तरह चमक रही सोनीपत जिले के गांव पुरखास की बहुरिया व हरियाणा पुलिस की हवलदार अनीता देवी की कामयाबी के पीछे उसके पति की मेहनत और तपस्या है। अपना खुद का करियर दांव पर लगाकर धर्मबीर सिंह पत्नी को शूटिंग में देश के लिए सोना जीतने के लिए तैयार कर रहे हैं। धर्मबीर सिंह खुद राष्ट्रीय स्तर के नामी एथलीट रहे हैं, लेकिन उन्हें यह भली प्रकार से पता था कि अगर वे अपने खेल में जुटे, तो फिर पत्नी की कामयाबी संदिग्ध हो जाएगी। इसलिए दोनों ने तय किया कि किसी एक पर ही फोकस कर आगे बढ़ा जाए।
शूटिंग की दुनिया में अनीता कोई पुराना चेहरा नहीं है बावजूद इसके उसने अच्छे-अच्छे शूटरों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 2009 में पति की जिद के बाद शूटिंग में आई अनीता देवी आज नेशनल चैम्पियन है और अब उसकी निगाहें ओलम्पिक में देश के लिए सोना जीतने की है ताकि पति का सपना पूरा हो और वह साबित कर सके कि एक औरत चूल्हा-चौका और नौकरी करते हुए भी बहुत कुछ कर सकती है।
23 साल में एथलीट से बनी शूटर
मूल रूप से पलवल की रहने वाली अनीता देवी की शिक्षा सोनीपत में पूरी हुई। वह एथलीट रही है और कोच कंवर सिंह गुलिया के नेतृत्व में उसने 400 व 800 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और मेडल भी जीते। यहीं पर अनीता की मुलाकात धर्मबीर सिंह से हुई। धर्मबीर भी राष्ट्रीय स्तर के एथलीट हैं। दोनों अकसर शिविर में एक साथ जाते और अभ्यास करते। इनमें नजदीकी बढ़ी और बाद में दोनों का फरवरी, 2005 में विवाह हुआ। शादी के बाद एथलेटिक्स छूट गई। तब दोनों ने तय किया कि खेल को इस तरह अलविदा कहना ठीक नहीं। इसी दौरान 2008 में ओपन भर्ती के जरिये अनीता हरियाणा पुलिस में सिपाही हो गई। पुलिस में भर्ती के बाद धर्मबीर ने ही अनीता को श्ूाटिंग खेल के लिए तैयार किया। हालांकि शुरूआत में अनीता को बड़ा अजीब लगता था कि 23 साल की उम्र में अब वो कैसे शूटिंग की बारीकी सीख पाएगी। लेकिन ठीक ही कहते हैं कि लगन और मेहनत के जरिये कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। कुछ ही दिनों में शूटिंग में जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक मेडल उसकी झोली में आना शुरू हो गए। प्रशिक्षण के दौरान अनीता रोजाना मधुबन से कुरुक्षेत्र नवीन जिंदल शूटिंग रेंज में अभ्यास के लिए जाती। यहीं पर उसने अपना प्रारम्भिक करियर शुरू किया। इसके बाद प्रशिक्षण पूरा हुआ, तो उसे पानीपत जिले में तैनाती मिली। यहां एसपी से अनुमति लेकर उसने अभ्यास के लिए कुरुक्षेत्र जाना शुरू किया। रोजाना घर से कुरुक्षेत्र और चूल्हा-चौका ये सब करते-करते न जाने कब वह राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग चैम्पियन हो गई।
ये उपलब्धियां कीं हासिल
अनीता देवी ने 10 मीटर एयर पिस्टल तथा 25 मीटर राइफल शूटिंग में कई पदक अपने नाम किये। अनीता ने 2009 में चंडीगढ़ में आयोजित हरियाणा स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में 177 एयर पिस्टल में 359 स्कोर पाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद उसका हौसला ऐसा बुलंद हुआ कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2011 में दिल्ली में आयोजित हरियाणा स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में 177 एयर पिस्टल में 376 स्कोर लेकर प्रथम स्थान पाया व 2011 में ही दिल्ली में आयोजित 22 स्पोर्ट्स पिस्टल वूमेन में 273 स्कोर लेकर प्रथम स्थान हासिल किया। इसके बाद अनीता ने पांचवीं आॅल इण्डिया पुलिस शूटिंग स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप में पहला गोल्ड मेडल जीता। सातवें आॅल इंडिया पुलिस गेम्स पूना में गोल्ड मेडल व 2013 में 57वीं नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में वूमंन सिविल कैटेगरी, वूमेन ओपन कैटेगरी में चार गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीता। अनीता अब तक 30 से अधिक पदक प्राप्त कर चुकी है। इनमें 14 नेशनल मेडल हैं। अनीता 12 गोल्ड, 5 रजत तथा 7 कांस्य पदक जीतने के बाद चाहती कि वह ओलम्पिक खेले और भारत को स्वर्णिम सफलता दिलाये।
ध्यान और योग सफलता की कुंजी
अनीता कहती है कि एक अच्छा शूटर बनने के लिए ध्यान व योग महत्वपूर्ण है। प्रतियोगिता के दौरान शूटर का बीपी बढ़ जाता है। इसको सामान्य तभी रखा जा सकता है, जब शूटर रूटीन में दौड़ का अभ्यास करे। एक शूटर का अपने आप पर भरोसा होना जरूरी है, जब तक उसे अपने पर भरोसा नहीं होगा, वह सही निशाना नहीं लगा सकता। वह रोजाना करीब डेढ़ घंटा वार्मअप तथा दौड़ लगाती है। 15 से 20 मिनट व्यायाम तथा शाम को 3 घंटे शूटिंग का अभ्यास करती है। अनीता कॉमनवेल्थ विजेता अनिशा सैय्यद तथा तीन बार के ओलम्पियन अनुराग सिंह, हिना संधू व महाराष्ट्र की शूटर राइसरजोनत को भी मात दे चुकी है।
और घर में ही बना डाली शूटिंग रेंज
अनीता कहती है कि शूटिंग भारी खर्च वाला खेल है। यह इंडोर गेम की श्रेणी में आता है। हरियाणा में शूटिंग की बेहद कम रेंज हैं, इसलिए उसे दिल्ली अभ्यास के लिए जाना पड़ता है। ड्यूटी व खेल में तालमेल बैठाने में कई बार परेशानी भी आती है, ऐसे में अभ्यास प्रभावित न हो, इसके लिए उन्होंने घर में ही 60 हजार रुपये की लागत से शूटिंग रेंज का निर्माण किया ताकि निरंतर अभ्यास करती रहें। इनमें एक 10 मीटर रेंज तथा दूसरी 25 मीटर रेंज है। अंतरराष्ट्रीय मानक की रेंज काफी महंगी होती है। इस रेंज में अनीता खुद तो निरंतर अभ्यास करती ही हैं, साथ में गांव और पास-पड़ोस के बच्चों के लिए कोच का काम भी वे करती हैं ताकि आने वाली पीढ़ी इस खेल में रुचि ले। अनीता कहती हैं कि अब उनका लक्ष्य है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए कुछ कर दिखायें। वह ओलम्पिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने की भी तैयारी कर रही हैं।
 -पुरुषोत्तम शर्मा

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