Sunday, 2 August 2015

चलो कुछ पुराने दोस्तों के, दरवाजे खटखटाते हैं!

चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाजे खटखटाते हैं!

देखते हैं उनके पंख थक चुके हैं,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं!

हँसते हैं खिलखिलाकर,
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं!

वो बता देते हैं सारी आपबीती,
या सिर्फ सफलताएं सुनाते हैं!

हमारा चेहरा देख वो,
अपनेपन से मुस्कुराते हैं!

या घड़ी की ओर देखकर,
हमें जाने का वक्त बताते हैं!

चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाजे खटखटाते हैं!

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