Sunday 2 November 2014

दिलीप ट्रॉफी : मध्य क्षेत्र पांचवीं बार बना चैम्पियन

नई दिल्ली। मध्य क्षेत्र टीम ने अपने गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के दम पर फिरोजशाह कोटला मैदान पर जीत की दहलीज पर खड़ी दक्षिण क्षेत्र से दिलीप ट्रॉफी खिताबी मुकाबले का नतीजा नौ रनों के अंतर से छीनकर पांचवींं बार चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया। मध्य क्षेत्र ने पांचवीं बार खिताबी जीत हासिल की।
मध्य क्षेत्र ने 10 साल के बाद यह खिताब जीता है। इस टीम ने इससे पहले 2003-04 सत्र में चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया था लेकिन उसके बाद से एक दशक तक उसके लिए सूखा रहा। पहली पारी में अपने करियर का अब तक का सर्वोच्च स्कोर बनाकर चयनकर्ताओं को प्रभावित करने वाले कर्नाटक के बल्लेबाज लोकेश राहुल के नाबाद सैकडेÞ की बदौलत दक्षिण ने चौथे दिन शनिवार को 301 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए एक विकेट पर 184 रन बनाकर जीत की ओर कदम बढ़ा दिए थे।
ऐसा लग रहा था कि पांचवें और अंतिम दिन भी दक्षिण का सफर आसान रहेगा लेकिन पहले सत्र में पंकज सिंह और जलज सक्सेना ने जोरदार गेंदबाजी करते हुए दक्षिण को सोचने पर मजबूर कर दिया। पहले सत्र में एक घंटे का वक्त बीतने के बाद ही मध्य क्षेत्र को जीत की झलक दिखने लगी थी। पहले सत्र के अंतिम क्षणों में और भोजनकाल के बाद चावला और अली मुर्तजा ने पांच ओवरों में तीन विकेट निकालकर अपनी टीम को जीत दिला दी। दक्षिण क्षेत्र टीम 301 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 88.4 ओवरों का सामना कर 291 रनों पर आउट हो गई। मुर्तजा और चावला ने तीन-तीन सफलता हासिल की जबकि पंकज और जलज को दो-दो विकेट मिले। रन अंतर के लिहाज से मध्य को अब तक की सबसे छोटी जीत मिली है।
मध्य के लिए भले ही स्पिन गेंदबाज उसके हीरो रहे लेकिन दक्षिण के लिए लोकेश राहुल हीरो रहे और यही कारण है कि उन्हें मैन आॅफ द मैच चुना गया। राष्ट्रीय चयनकर्ता सबा करीम और विक्रम राठौर के समक्ष लोकेश ने पहली पारी में 185 रन बनाकर अपनी टीम को बढ़त दिलाई थी और फिर दूसरी पारी में 130 रन बनाकर अपनी टीम के जीत के नायक बनते दिख रहे थे लेकिन उनके बाद के बल्लेबाज अपनी क्षमता के साथ न्याय नहीं कर सके।
राहुल के अलावा बाबा अपराजित ने 138 गेंदों पर छह चौकों और एक छक्के की मदद से 56 रनों की साहसिक पारी खेली लेकिन उनकी यह पारी टीम को जीत दिलाने के लिए नाकाफी साबित हुई। अंतिम दिन दक्षिण को जीत के लिए 117 रनों की जरूरत थी जबकि उसके नौ विकेट सुरक्षित थे। राहुल 121 और बाबा 30 रनों के व्यक्तिगत योग के साथ पारी को आगे बढ़ाने आए। इन दोनों ने स्कोर को 200 के पार पहुंचाया लेकिन राहुल 130 के व्यक्तिगत योग पर पंकज के हाथों पगबाधा कर दिए गए।
राहुल ने अपनी 152 गेंदों की पारी में 14 चौके और पांच छक्के लगाए। उनका विकेट 203 के कुल योग पर गिरा। इसी योग पर पंकज ने दिनेश कार्तिक को चलता कर दिया। कार्तिक लगातार दूसरी बार खाता नहीं खोल सके। बाबा एक छोर पर थे और दूसरे छोर पर उनका साथ देने आए आर. प्रसन्ना (29) ने उनके साथ चौथे विकेट के लिए 49 रनों की साझेदारी की। प्रसन्ना 63 गेंदों पर तीन चौके और दो छक्के लगाकर 252 के कुल योग पर आउट हुए। इसी योग पर कप्तान पीयूष चावला ने बाबा को आउट कर दक्षिण को बड़ा झटका दिया और साथ ही अपनी टीम की जीत की उम्मीदें भी बंधाई। पहली पारी में शानदार अर्धशतक लगाने वाले हनुमा बिहारी इस बार कोई कमाल नहीं कर सके और एक रन के निजी योग पर जलज द्वारा आउट कर दिए गए। हनुमा का विकेट 260 के कुल योग पर गिरा।
 विनय कुमार को 280 के कुल योग पर मुर्तजा ने आउट किया और इसी के साथ भोजनकाल की घोषणा हुई। उस समय तक दक्षिण को 21 रनों की जरूरत थी लेकिन चावला और मुर्तजा ने 12 रन खर्च करते हुए एस. गोपाल (12), प्रज्ञान ओझा (2) और अभिमन्यु मिथुन (0) को आउट कर अपनी टीम को रोमांचक जीत दिला दी।
 बहरहाल, आंकड़ों की बात करें तो मध्य क्षेत्र ने इस बार और 2003 के अलावा 1971-72, 1996-97, 1997-98 में खिताब जीता था। पहली बार खिताब जीतने के बाद इसे दूसरी बार चैम्पियन बनने के लिए 25 साल का इंतजार करना पड़ा था। इसके बाद हालांकि 1997 में उसे पश्चिम क्षेत्र के साथ संयुक्त विजेता घोषित किया गया था लेकिन 1996 और 1997 के रूप में दो साल दिलीप ट्रॉफी के लिहाज से मध्य के लिए अब तक सबसे सफल रहे हैं। मध्य क्षेत्र ने इस अंतर क्षेत्रीय टूर्नामेंट में अब तक कुल 97 मैच खेले हैं। इनमें से 26 में उसे जीत मिली है जबकि 45 बार उसे हार का सामना करना पड़ा है। उसके 26 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं। भारतीय बोर्ड द्वारा महाराज दिलीप सिंह के नाम पर 1961 में शुरू की गई इस प्रतियोगिता को सबसे अधिक 17 बार उत्तर क्षेत्र ने जीता है जबकि 16 बार पश्चिम क्षेत्र ने बाजी मारी है। दक्षिण के सामने 13वीं बार यह खिताब जीतने का बेहतरीन मौका था लेकिन मध्य के गेंदबाजोें ने उसे इस खुशी से महरूम कर दिया। पूर्व क्षेत्र ने अब तक सिर्फ एक बार 2011-12 में यह खिताब जीता है।
शुरुआत से ही जीत का भरोसा था: पीयूष
मध्य क्षेत्र टीम के कप्तान पीयूष चावला ने दक्षिण क्षेत्र पर रविवार को दिलीप ट्रॉफी खिताबी मुकाबले में मिली जीत के बाद कहा कि उन्हें शुरुआत से ही जीत का भरोसा था।
 दूसरी पारी में तीन विकेट हासिल करने वाले चावला ने न सिर्फ अपनी उम्दा गेंदबाजी से अपनी टीम को जीत की ओर अग्रसर किया, बल्कि एक समझदार कप्तान का परिचय देते हुए विकेट का मूड भांप अपने गेंदबाजों का भी कारगर उपयोग किया। पीयूष ने इस मैच में पांच विकेट लिए और 30 रन भी बनाए। मैच के बाद पीयूष ने कहा, ‘पहली पारी में हम अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर सके थे। इस कारण हमारे पास अच्छी गेंदबाजी का ही रास्ता बचा था। बेशक दक्षिण ने पहली पारी की तुलना में 100 से अधिक रनों की बढ़त बना ली थी, लेकिन मुझे अपने साथियों पर भरोसा था। मैं जानता था कि अहम मुकाम पर मेरे साथी परिणाम पलटने वाला प्रदर्शन करेंगे।’ पीयूष ने नौ रन की इस जीत को शानदार करार दिया। उन्होंने कहा कि वह इसका श्रेय अपने साथियों को देना चाहते हैं। बकौल पीयूष, ‘यह एक शानदार जीत है। इससे पहले 2003 में हम नौ विकेट से जीते थे। एक दशक बाद टीम को खिताबी जीत दिलाना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है। मैं इसका श्रेय अपने सभी साथियों को देना चाहता हूं।’ उल्लेखनीय है कि मध्य क्षेत्र ने अपने गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के दम पर पांचवीं बार इस प्रतियोगिता में खिताबी जीत हासिल की। मध्य क्षेत्र ने इस बार और 2003 के अलावा 1971-72, 1996-97, 1997-98 में खिताब जीता था। पहली बार खिताब जीतने के बाद इसे दूसरी बार चैम्पियन बनने के लिए 25 साल का इंतजार करना पड़ा था। इसके बाद हालांकि 1997 में उसे पश्चिम क्षेत्र के साथ संयुक्त विजेता घोषित किया गया था, लेकिन 1996 और 1997 के रूप में दो साल दिलीप ट्रॉफी के लिहाज से मध्य के लिए अब तक सबसे सफल रहे हैं। मध्य क्षेत्र ने इस अंतर क्षेत्रीय टूर्नामेंट में अब तक कुल 97 मैच खेले हैं। इनमें से 26 में उसे जीत मिली है, जबकि 45 बार उसे हार का सामना करना पड़ा है। उसके 26 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं।


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