Saturday 15 November 2014

क्रिकेट पर कलंक

क्रिकेट की बोतल से निकले फिक्सिंग के जिन्न ने भारत ही नहीं समूची दुनिया को हिलाकर रख दिया है। विश्व कप से ठीक पहले स्पॉट फिक्सिंग के इस खुलासे के बाद इतना तो तय है कि अब न केवल एन. श्रीनिवासन का तख्तोताज जाएगा बल्कि कई बेईमान क्रिकेटरों का भविष्य भी चौपट हो जाएगा। भारतीय राजनीति और क्रिकेट बेशक विरोधाभासी लगते हों पर इनके मूल में क्रिकेटप्रेमियों और क्रिकेटरों की वेदना समाहित है। दुनिया की सबसे समृद्ध खेल संस्था भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड पर छाये संकट के बादल 24 नवम्बर को कहर बरपा सकते हैं। बीसीसीआई नहीं चाहेगा कि विश्व कप से ठीक पहले कुछ अनभल हो लेकिन न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल की जांच समिति ने अपने काम को ईमानदारी से अंजाम देकर क्रिकेट को पाक-साफ करने की तरफ नेक कदम जरूर बढ़ा दिए हैं।
क्रिकेट को भद्रजनों का खेल माना जाता है लेकिन जब से इसमें बेशुमार दौलत का समावेश हुआ तभी से इसमें कदाचरण ने अपनी पैठ बना ली है। यही वजह है कि पिछले कुछ समय से क्रिकेट को शर्मसार करने वाली करतूतों में बेइंतहा इजाफा हुआ है। 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में क्रिकेट का मदमाता विश्व खिताब जीतने वाली टीम को बतौर प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के पास जहां पैसा नहीं था वहीं आज क्रिकेट सिर्फ पैसे का खेल है। अतीत में गुरबत में जीती क्रिकेट को मालामाल करने में स्वर्गीय माधव राव सिंधिया के प्रयास सराहनीय रहे हैं। 1990 से 1993 तक भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रहे श्री सिंधिया ने क्रिकेट के समुन्नत विकास के लिए जहां कई नीतियां बनार्इं वहीं खिलाड़ियों की माली हालत सुधारने के लिए उन्हें रोजगार के अवसर भी मुहैया कराये। श्री सिंधिया के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज देश भर में सैकड़ों खिलाड़ी रोजगार से लगे हुए हैं। विश्व विकलांग क्रिकेट और महिला क्रिकेट के प्रोत्साहन की दिशा में भी श्री सिंधिया ने अतुलनीय कार्य किये थे। क्रिकेट की बेहतरी के लिए वैसे तो आईएस बिन्द्रा और राजसिंह डूंगरपुर ने भी नेक प्रयास किए लेकिन माधव राव सिंधिया की विकासोन्मुखी नीतियों को अमलीजामा पहनाने का असल काम जगमोहन डालमिया के कार्यकाल में ही हुआ। जगमोहन डालमिया 2001 से 2004 तक भारतीय क्रिकेट के प्रमुख रहे और उनके कार्यकाल में ही क्रिकेट को कारपोरेट जगत में प्रवेश मिला। डालमिया ने गरीब क्रिकेट को जहां मालामाल किया वहीं खिलाड़ियों को नकद प्रोत्साहन की दिशा में भी सराहनीय कार्य किए। सच्चाई यह है कि वर्ष 2001 के बाद भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड एक कमाऊ कारखाना बन गया। बस यहीं से क्रिकेट में विद्रूपता ने अपने पैर जमाने शुरू कर दिए।
भारतीय क्रिकेट में आये आशातीत बदलाव के बाद जगमोहन डालमिया सिर्फ भारत ही नहीं विश्व क्रिकेट बिरादरी में भी जाना-पहचाना नाम हो गये। क्रिकेट में डालमिया के इसी रसूख ने उनके कई विरोधी पैदा कर दिए और उनके क्रिकेट में बढ़ते प्रभुत्व के खिलाफ एन. श्रीनिवासन, ललित मोदी और शशांक मनोहर जैसे लोग सक्रिय हो गये। कहते हैं कुर्सी के लिए कभी कोई किसी का स्थायी शत्रु या मित्र नहीं होता। यदि यह सच न होता तो कल तक गलबहियां करने वाले ललित मोदी और एन. श्रीनिवासन आज एक-दूसरे के जानी दुश्मन नहीं होते। भारतीय क्रिकेट में रसूख की जंग 21वीं सदी की ही देन है। जगमोहन डालमिया को भारतीय क्रिकेट से दूर करने के बाद इण्डियन प्रीमियर लीग को ऊंचाइयों तक ले जाने वाले पूर्व आयुक्त ललित मोदी इस कदर सक्रिय हुए कि एन. श्रीनिवासन उनके दुश्मन बन गये। ललित मोदी को ठिकाने लगाने के लिए ही एन. श्रीनिवासन, शशांक मनोहर और जगमोहन डालमिया का गठजोड़ हुआ। ललित मोदी को बीते साल सितम्बर में बीसीसीआई ने भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता के गम्भीर आरोपों के चलते आजीवन निष्कासित कर दिया था। भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड की परवाह किए बिना मोदी ने निष्कासन के बावजूद राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनावों में खड़े होने का फैसला किया और लंदन में रहते हुए भी वे विजयी रहे।
मोदी की विजय बीसीसीआई को नागवार गुजरी और उसने न केवल मोदी के चुनाव को खारिज कर दिया बल्कि आरसीए पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रतिबंध के बाद राजस्थान क्रिकेट पर संकट के बादल छा गये। मोदी के चुनाव लड़ने पर तर्क दिया जा रहा है कि उन्हें इन चुनावों में खड़ा होने का हक राजस्थान क्रिकेट संघ के संविधान ने दिया था, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि यह क्रिकेट संघ बीसीसीआई के नहीं बल्कि राजस्थान स्पोर्ट्स एक्ट के अधीन संचालित होता है। क्रिकेट की नूरा-कुश्ती का ही हश्र है कि आज आईसीसी चेयरमैन एन. श्रीनिवासन, उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन, राजस्थान रायल्स के मालिक राज कुन्द्रा और क्रिकेट प्रशासक सुन्दर रमण फिक्सिंग की फांस में फंस गये हैं।
खुन्नस मिजाज श्रीनिवासन का शिकार ललित मोदी तो हुए ही मध्य प्रदेश क्रिकेट ने भी इसकी बड़ी कीमत चुकाई है। दरअसल 15 मई, 2013 को आईपीएल से निकले फिक्सिंग के जिन्न ने बीसीसीआई में काफी उथल-पुथल मचाई थी। तब क्रिकेट की गंदगी पर जहां मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और बीसीसीआई की अनुशासन समिति के प्रमुख के साथ इसकी वित्त समिति में रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया ने श्रीनिवासन की आलोचना की थी वहीं बीसीसीआई के महासचिव संजय जगदाले ने इस्तीफा दे दिया था। सिंधिया और जग्गू दादा की नसीहत को स्वीकारने की बजाय श्रीनिवासन बदले की भावना में बह गए और एमपीसीए को हर तरह की मदद से हाथ खींच लिए। दरअसल इसी को कहते हैं खिसियाई बिल्ली खम्भा नोचे। जो भी हो पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता ही है सो फूटा भी। उच्चतम न्यायालय के खुलासे के बाद न केवल श्रीनिवासन का आसन हिलता दिख रहा है बल्कि वह अपने दामाद के साथ जेल की सींखचों में चले जाएं तो अचरज नहीं होना चाहिए।  
मुद्गल समिति की रिपोर्ट में 13 नाम शामिल
उच्चतम न्यायालय ने 14 नवम्बर को आईपीएल-6 फिक्सिंग प्रकरण में आईसीसी चेयरमैन एन. श्रीनिवासन, उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन, राजस्थान रायल्स के मालिक राज कुन्द्रा और क्रिकेट प्रशासक सुन्दर रमण के नाम उजागर कर देने के बाद खिलाड़ियों के नामों का खुलासा 24 नवम्बर को करने का निर्णय लिया है। श्रीनिवासन सहित चार लोगों को अपने बचाव के लिए चार दिन का समय दिया है। न्यायाधीशों ने खुले न्यायालय में कुछ नाम यह जानने के लिये पढ़े कि क्या वे क्रिकेटर हैं या गैर खिलाड़ी? जो भी हो इस प्रक्रिया में तीन खिलाड़ियों के नामों का भी खुलासा हो गया जिनमें एक नाम तो भारतीय क्रिकेट चयन समिति के सदस्य के बेटे का भी है, जोकि फिलवक्त भारतीय टीम में है। यह खिलाड़ी कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ चौथे एकदिनी मुकाबले में खेला भी था।
शशांक मनोहर ने बीसीसीआई को लताड़ा
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर ने 20 नवम्बर को होने वाली वार्षिक आम बैठक (एजीएम) स्थगित करने के लिए बीसीसीआई को लताड़ लगाई और कहा यह क्रिकेट संस्था के संविधान के खिलाफ है। मनोहर ने कहा कि बोर्ड को एजीएम स्थगित करने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह फैसला कार्यकारिणी ने किया था। मनोहर ने कहा कि बीसीसीआई संविधान के अनुसार कार्यकारी समिति और आमसभा का फैसला अंतिम होता है, जिसे किसी सूरत में टाला नहीं जा सकता।
गरीब राज कुन्द्रा कैसे बने अमीर
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के खुलासे में जो 13 नाम हैं उममें राज कुन्द्रा भी शामिल हैं। राज कुन्द्रा फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के शौहर के साथ ही आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स टीम के मालिक भी हैं।
राज कुन्द्रा एक ब्रिटिश इण्डियन कारोबारी हैं। 18 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ने वाले राज आज कारोबारी दुनिया के सरताज हैं। बहुत ही कम लोग जानते हैं कि अतीत में राज एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता बालकृष्ण कभी बस के कंडेक्टर हुआ करते थे। कोई 46 साल पहले राज के पिता बालकृष्ण पंजाब के लुधियाना से लंदन गए थे। पंजाब में घर की आर्थिक स्थित बेहद खस्ता होने के चलते राज के दादा ने बालकृष्ण को लंदन भेजने का निर्णय लिया था। लंदन में बालकृष्ण ने पहले कपास फैक्ट्री में काम किया और उसके बाद वे बस कंडेक्टर बने। राज की मां इस दौरान एक चश्मे की दुकान पर काम करती थीं। वे छोटे राज को अपने साथ ले जाती थीं। राज को दुकान के बाहर वे एक कार की पिछली सीट पर सुला देती थीं और समय समय पर काम छोड़कर वे राज की देखभाल भी कर लेती थीं। राज की दो छोटी बहनें भी हैं। कुछ साल बस में कंडेक्टरी करने के बाद बालकृष्ण ने किराने की दुकान खोल ली। दुकान खुलने के साथ ही परिस्थितियां बदल गर्इं।
राज जब 18 साल के हुए तो उनके पिता ने उन्हें अपने रेस्त्रां में काम करने के लिए कहा लेकिन राज के सपने कुछ और थे। वे घर से दो हजार पौंड लेकर निकल पड़े। राज ने इसके बाद हीरे के कारोबार में हाथ डाला और देखते ही देखते सफलता उनके कदम चूमने लगी। इसके बाद राज इंफ्रास्ट्रक्चर, माइनिंग और ग्रीन रेन्युबल एनर्जी जैसे प्रोजेक्ट से जुड़ गए। 2009 में राज आईपीएल की फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स की 11.7 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर खेल के मैदान में किस्मत आजमाने आ गये।
शिल्पा राज की दूसरी पत्नी हैं। राज 2007 में अपनी पहली पत्नी कविता से अलग हो गए थे। राज ने अपनी पहली पत्नी कविता के लिए सरे के सेंट जार्ज हिल्स में सात बेडरूम का आलीशान मेशन राज महल खरीदा था। 2007 में ही राज की मुलाकात शिल्पा शेट्टी से हुई थी जो उन दिनों बिग ब्रदर टीवी शो में हिस्सा लेने लंदन पहुंची थीं और धीरे-धीरे दोनों करीब आ गए। राज का दोस्त उस दौरान शिल्पा का एजेंट था उसने ही राज और शिल्पा की मुलाकात कराई थी। बिग ब्रदर जीतने के बाद राज ने शिल्पा की ब्रिटेन में लोकप्रियता को देख उनके नाम पर परफ्यूम एस-2 लांच किया। देखते ही देखते यह परफ्यूम ब्रिटेन में सारे बड़े ब्राण्ड को पीछे छोड़ते हुए नम्बर एक हो गया।  राज और शिल्पा के बीच इस तरह व्यावसायिक सम्बन्ध बन गये। पहली पत्नी से तलाक के बाद राज अकेले थे और राज की मां को शिल्पा बेहद पसंद थीं। इस तरह दोनों के बीच बना प्रोफेशनल व्यावसायिक सम्बन्ध 2009 में शादी में बदल गया। 2009 में ही राज ने आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स में 11.7 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली।
भूल से हुआ तीन खिलाड़ियों का खुलासा
 न्यायामूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खण्डपीठ ने कहा कि समिति की रिपोर्ट में शामिल नामों का खुलासा किए बगैर इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती। हालांकि उसने साफ कर दिया कि रिपोर्ट में शामिल खिलाड़ियों के नाम फिलहाल अलग रखे जाएं। न्यायालय में गहमा गहमी के दौरान न्यायमूर्ति ठाकुर ने खुद ही सात नामों का खुलासा किया जिनमें तीन खिलाड़ियों के नाम भी शामिल थे। उनमें आॅलराउंडर स्टुअर्ट बिन्नी और पूर्व इंग्लैण्ड खिलाड़ी ओवेस शाह शामिल था। न्यायालय ने यह भी कहा कि मामले की निष्पक्ष सुनवाई में यदि कोई बाधा आती है तो वह बाद में रिपोर्ट में शामल खिलाड़ियों के नाम उजागर करेगा।
इन खिलाड़ियों ने लजाई क्रिकेट
सलीम मलिक, अता-उर-रहमान, मोहम्मद आमिर, मोहम्मद आसिफ, सलमान बट्ट, दानिश कनेरिया (सभी पाकिस्तान), मोहम्मद अजहरुद्दीन, अजय शर्मा, मनोज प्रभाकर, अजय जड़ेजा, श्रीसंथ (सभी भारत), हैंसी क्रोन्ये, हर्षल गिब्स, हेनरी विलियम्स (दक्षिण अफ्रीका), मॉरिस ओडुम्बे (केन्या), मर्लोन सैमुअल्स (वेस्टइण्डीज), मोहम्मद असरफुल (बांग्लादेश), लॉ विन्सेंट (न्यूजीलैण्ड), कौशल लोकुराच्ची (श्रीलंका)
ये भी क्रिकेट के कपूत...
मार्विन वेस्टफील्ड (इसेक्स), टीपी सुधीन्द्र (डेक्कन चार्जर्स), मोहनिश मिश्रा (डेक्कन चार्जर्स), अमित यादव (किंग्स इलेवन पंजाब), अभिनव बॉली (किंग्स इलेवन पंजाब), शलभ श्रीवास्तव (किंग्स इलेवन पंजाब), शरीफुल हक (ढाका ग्लाडिटर्स), अंकित चौव्हान (राजस्थान रॉयल्स), सिद्धिनाथ त्रिवेदी (राजस्थान रॉयल्स), अमित सिंह (राजस्थान रॉयल्स), नावेद आरिफ (ससेक्स)।

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