Wednesday 12 November 2014

टामथिल को फुटबॉलर बनाऊंगी: सरिता देवी

खेलपथ से विशेष बातचीत
ग्वालियर।  मेरे दिल में जो दु:ख है, मैं उसे अतिशीघ्र भूल जाना चाहती हूं। इंचियोन में मेरे साथ जो हुआ वह खेलभावना के विपरीत था। मैं उस लम्हे के दुर्घटना मानती हूं। मुझ पर लगा प्रतिबंध हमेशा परेशान करता है। लेशराम सरिता देवी कहती हैं कि पदक कोई भी हो उससे संतोष मिलता है। ग्लासगो हो या इंचियोन दोनों ही पदक हमारे लिए विशेष हैं क्योंकि मुझे हर पर अपने बेटे टामथिल की याद सताती रहती थी। मणिपुर की जांजाब मुक्केबाज ने बताया कि जिस तरह उनके पिताजी की इच्छा थी कि मैं खिलाड़ी बनूं उसी तरह मेरी इच्छा है कि मेरा बेटा टामथिल एक बड़ा फुटबाल खिलाड़ी बने।
29 वर्षीय सरिता ने बताया कि मेरे दोस्त नहीं चाहते थे कि में अपने नौनिहाल टामथिल को अकेले छोड़कर प्रतियोगिताओं में शिरकत करूं पर मैंने अपने देश के लिए न केवल पदक जीता बल्कि अपनी ममता से भी समझौता किया। यह मेरे लिए कठिन परीक्षा थी, पर मैं उसमें पास हुई। सरिता ने खुलासा किया कि मुझे राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि मां बनने के बाद मेरा वजन काफी बढ़ गया था, लेकिन 2012 लंदन ओलम्पिक में भाग न ले सकने के कारण मैंने इन खेलों में भाग लेने का निर्णय लिया। मेरे बेटे के जन्म के बाद काफी लोगों ने मुझे मुक्केबाजी से दूर रहने के लिए कहा लेकिन मेरे फुटबालर पति थोइबा चोंगथम ने मुझे प्रतियोगिताओं में शिरकत करने के लिए प्रेरित किया। सरिता ने बताया कि पहली बार टामथिल से दूर रहना मेरे लिए काफी मुश्किल रहा। मेरा आधा ध्यान हमेशा बेटे पर ही रहता कि वह क्या कर रहा होगा और वह ठीक है या नहीं। यहां तक कि ग्लासगो में मैं टामथिल को लेकर बेहद चिंतित थी।
अब ग्वालियर हमेशा मेरी यादोें में रहेगा
ग्वालियर चम्बल टेनिस एसोसिएशन, आईटीएम यूनिवर्सिटी और खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आईटीएफ फ्यूचर टेनिस चैम्पियनशिप में बतौर मुख्य अतिथि ग्वालियर आर्इं सरिता देवी ने कहा कि जो प्यार उन्हें ग्वालियर में मिला है उसे ताउम्र नहीं भूल पाएंगी। सच कहूं तो अब ग्वालियर हमेशा मेरी यादोें में रहेगा। वह पहले भी यहां आना चाहती थीं लेकिन अवसर नहीं मिला। आईटीएम यूनिवर्सिटी और उसके विद्यार्थियों के बीच हुई गुफ्तगू वाकई संतोषजनक लम्हा है।
सरिता पर लम्बे प्रतिबंध की आशंका
एशियाई खेलों में विरोध स्वरूप अपना पदक स्वीकार करने से इनकार करने वाली भारतीय मुक्केबाज सरिता देवी को लम्बा प्रतिबंध झेलना पड़ सकता है। मुक्केबाजी की शीर्ष संस्था एआईबीए ने 12 नवम्बर को संकेत दिए कि दक्षिण कोरिया के इंचियोन में सितम्बर में हुए एशियाई खेलों की मुक्केबाजी स्पर्धा के पदक वितरण समारोह के दौरान सरिता ने विरोध दर्ज करते हुए अपना पदक विरोधी खिलाड़ी को देने का प्रयास किया था। सरिता और तीन कोचों पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध के कारण ये लोग दक्षिण कोरिया में चल रही विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में भाग नहीं ले पाए और वे अभी अनुशासन आयोग के इस बारे में अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे हैं। एआईबीए के अध्यक्ष सीके वू ने कहा कि इस विवाद पर जल्द ही फैसला किया जाएगा। उन्होंने मुक्केबाज को कड़ी सजा दिए जाने के संकेत दिए। वू ने कहा कि सरिता को कड़ी सजा दी जाएगी। उसके खिलाफ सहिष्णुता नहीं बरती जाएगी। अगर खिलाड़ी जीतकर विजेता बनना स्वीकार करते हैं, तो उन्हें पराजय को भी सहज स्वीकार करना चाहिए। हार के बाद अगर प्रत्येक खिलाड़ी ऐसा ही करने लगा तो प्रतियोगिता के क्या मायने रह जाएंगे। गौरतलब है कि एशियाई खेलों में सरिता देवी 60 किलोग्राम भार वर्ग के अपने मुकाबले में फैसले से संतुष्ट नहीं थीं और उन्होंने गले में पदक डालने के लिए झुकने से इनकार कर दिया था और पदक लेकर सेमीफाइनल जीतने वाली मुक्केबाज पार्क जी ना के गले में डाल दिया था। भारतीय मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष संदीप जाजोड़िया ने पिछले माह एआईबीए से अनुरोध किया था कि सरिता का निलम्बन समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि यह उसकी एक भावनात्मक प्रतिक्रिया थी और यह पूर्व नियोजित नहीं था।


आईटीएम यूनिवर्सिटी आईटीएफ फ्यूचर्स टेनिस चैम्पियनशिप
एकल में इन खिलाड़ियों ने दिखाया जौहर
1- श्रीराम बालाजी, 2- सूरज प्रबोध, 3- भावेश गौड़, 4- लक्षित सूद, 5- चंद्रिल सूद, 6- अन्वित बेंद्रे, 7- अर्पित शर्मा, 8- जुई चेन हुंग, 9- एन. प्राशनाथ, 10- आयुष मिन्त्री, 11- शाहबाज खान, 12- विनायक शर्मा, 13- शेख अब्दुल्लाह, 14- निकी कलियांदा पुनाचा,15- आदित्य तिवारी, 16-डेस्कोटे एम, 17- मुकुंद एस, 18- सागर मंजन्ना, 19- पे्ररणामल्लुर विग्नेश, 20- हरदीप संध, 21- केवसुटो चायनॉन, 22- सिद्धार्थ रावत, 23- क्रिस्टोफर मार्कस, 24-  विष्णु वर्धन, 25- विराली मुरुगेसन, 26- जतिन दहिया, 27- जयवीर सरन, 28- जयप्रकाश एम, 29- कुणाल आनंद, 30- बेरेडी एस, 31-  दलविंदर सिंह, 32- जीवन नेदुनचेजियन।
डबल्स में इन्होंने की सहभागिता
1- श्रीराम बालाजी-विराली गुरुगेसन, 2- चंद्रिल सूद-लक्षित सूद, 3- साहिल गवारे-केवसुटो चायनॉन, 4- आयुष मिन्त्री-अजय यादव, 5- डेसकोट एम-जुई चेन हुंग, 6- निकी कलियांदा पुनाचा-शाहबाज खान, 7-भावेश  गौड़-आदित्य तिवारी, 8- मोहित मयूर जयप्रकाश-प्रेरणामल्लूर विग्नेश, 9- युवराज चौधरी-मेधिर गोयल, 10- बेरेडी सार्इं सरन रेड्डी-सूरज प्रबोध, 11- काजा विनायक शर्मा-प्राशनाथ एन, 12- कुणाल आनंद-सागर मनजन्ना, 13- क्रिस्टोफर मार्कस-शेख अब्दुल्लाह, 14- बेंद्रे अन्वित-शेख अब्दुल्लाह, 15- जतिन दहिया-सिद्धार्थ रावत, 16- जीवन नेदुनचेजियन-विष्णु वर्धन।
एकल क्वार्टर फाइनल:- श्रीराम बालाजी, जुई चेन हुंग, विजय सुन्दर प्रशांत, निकी कलियांदा पुनाचा, शशि कुमार मुकुंद, क्रिस्टोफर मार्कस, मोहित मयूर जयप्रकाश, जीवन नेदुनचेजियन।
ये पहुंचे डबल्स सेमीफाइनल में:- लक्षित सूद-चंद्रिल सूद, निकी कलियांदा पुनाचा-शाहबाज खान, विनायक शर्मा-विजय सुन्दर प्रशांत, जीवन नेदुनचेजियन-विष्णु वर्धन।

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