Tuesday, 25 November 2014

क्रिकेट का नायक बना खलनायक

श्रीनिवासन का आसन बचाने की बेहूदा दलीलें
आगरा। क्रिकेट भद्रजनों का खेल था पर अब नहीं है। यह इस खेल के मुरीद नहीं बल्कि आईपीएल-6 में हुई स्पॉट फिक्सिंग की रिपोर्ट चीख-चीख कर बता रही है। यह खेल अब न ही धर्म है और न ही इसे खेलने वाले भगवान। सोमवार को जस्टिस मुकुल मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर गौर करने की बजाए जिस तरह कपिल सिब्बल ने श्रीनिवासन को आसन पर पुन: बिठाने की दलीलें दीं उससे साफ हो गया कि क्रिकेटर ही नहीं इस खेल के खेलनहार भी पदलोलुप और बेईमान हैं।
भारतीय क्रिकेट को दहला देने वाली इस कलंक गाथा की जांच चूंकि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उसी की निगरानी में हो रही है, शायद इसीलिए यह शर्मनाक सच लोगों के सामने भी आ पा रहा है, वरना हमारे यहां वही कातिल, वहीं मुंसिफ वाली व्यवस्था की विडम्बना किसी से छिपी नहीं है। क्रिकेट की यह कालिख उसी ताबड़तोड़ आईपीएल की देन है, जिसे क्रिकेट को नया जीवनदाता बताया जाता है। यह सच है कि इस ताबड़तोड़ क्रिकेट से दौलत की बेइंतहा बारिश हुई लेकिन उससे क्रिकेट का कितना भला हुआ, उसे स्पॉट फिक्सिंग के खुलासे ने और भी शर्मनाक मोड़ दे दिया है।
क्रिकेट फिक्सिंग की इस फांस में चार खेल मठाधीश ही नहीं नौ खिलाड़ी भी फंसे हुए हैं। मठाधीशों के नाम तो अदालत ने सार्वजनिक कर दिये हैं, लेकिन बेईमान खिलाड़ियों के नाम उजागर न करने की कुछ खास वजह है। सर्वोच्च न्यायालय में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन, उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन, राजस्थान रॉयल्स के सह-मालिक राज कुन्द्रा और आईपीएल के मुख्य कार्यकारी सुन्दर रमन के नामों के खुलासे से साफ जाहिर है कि अब तक बागड़ ही बाड़ चट कर रहे थे। क्रिकेट की कलंक गाथा पर सोमवार को हुई सुनवाई में बचाव पक्ष की यह दलील कि श्रीनिवासन चूंकि निर्दोष हैं लिहाजा उन्हें अध्यक्ष पद पर बहाल किया जाए, अदालत को नागवार गुजरा। दलील देते समय कपिल सिब्बल शायद यह भूल गये कि जिस समय की यह कलंक गाथा है, उस समय श्रीनिवासन ही भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष थे।  इतना ही नहीं उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन आईपीएल में चमत्कारिक प्रदर्शन करने वाली चेन्नई सुपर किंग्स के कर्ताधर्ता थे, जबकि फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुन्द्रा उस राजस्थान रॉयल्स के सह मालिक हैं, जिसके तीन खिलाड़ी स्पॉट फिक्सिंग में जेल की हवा खा चुके हैं। चौथे व्यक्तिसुन्दर रमन हैं, जोकि श्रीनिवासन के न केवल नजदीकी हैं बल्कि उन पर क्रिकेट को पाक-साफ रखने की जवाबदेही थी।
स्पॉट फिक्सिंग के खुलासे के बाद भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को मजबूर हुए श्रीनिवासन फिलवक्त अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष हैं। वे जिस तरह फिर से बीसीसीआई का अध्यक्ष बनने पर आमादा हैं, उससे क्रिकेट प्रबंधन के नाम पर हमारे यहां पनपे निहित स्वार्थ-तंत्र का ही पता चलता है। यह तंत्र कितना आत्मकेन्द्रित है, इसका अनुमान बचाव पक्ष की दलीलों से सहज ही लगाया जा सकता है। क्रिकेट से यदि किसी का निहित स्वार्थ नहीं है तो फिर श्रीनिवासन अपने आसन के लिए इतना लालायित क्यों हैं? जाहिर है, क्रिकेट में ऐसा निहित स्वार्थ और आत्मकेन्द्रित तंत्र एक दिन में पल्लवित और पोषित नहीं हुआ। खैर क्रिकेट की काली करतूत उजागर होने के बाद देश का हर खेलप्रेमी यह चाहता है कि सर्वोच्च न्यायालय क्रिकेट मठाधीशों ही नहीं उन क्रिकेट कपूतों के नाम भी सार्वजनिक करे जिन्होंने भद्रजनों के खेल को कलंकित किया है। खलनायकों को बेनकाब किये बिना इस खेल की छवि और साख कभी बहाल नहीं हो पायेगी।

No comments:

Post a Comment