जयपुर। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के मामले में मुकुल मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को कड़ी फटकार लगाई।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि क्रिकेट इस देश में धर्म की तरह है। करोड़ों लोग इस खेल के दीवाने हंै, लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इस खेल को तबाह कर रहा है। इसके साथ ही आईसीसी प्रमुख एन. श्रीनिवासन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संदेह का लाभ खेल को मिलना चाहिए ना कि व्यक्ति को, कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि क्या बीसीसीआई के मुखिया का आईपीएल टीम का मालिक होना हितों का टकराव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने किया आठ नामों का खुलासा
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में बड़ा खुलासा 14 नवम्बर को हुआ। सुप्रीम कोर्ट में पेश मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट में श्रीनिवासन, मयप्पन और राज कुन्द्रा सहित आठ लोगों के नाम फिक्सिंग के दोषियों के तौर पर सामने आए हैं। लिस्ट में तीन क्रिकेटरों के नाम भी शामिल हैं लेकिन कोर्ट ने इनके नामों का खुलासा नहीं करने के आदेश दिए।
अदालत ने कहा है कि रिपोर्ट में खिलाड़ियों की भूमिका साफ नहीं है। फिक्सिंग मामले में खुलासा होने से क्रिकेट जगत में हड़कंप मचा हुआ है। बीसीसीआई की एजीएम 28 नवंबर को होनी थी लेकिन बोर्ड ने अब इसे चार हफ्ते के लिए टालने का फैसला किया है। कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई के चुनाव पर कोई पाबंदी नहीं लगाई जाएगी। लेकिन सलाह दी कि बीसीसीआई फैसले के बाद ही चुनाव करे।
क्या है पूरा मामला
आईपीएल-6 के दौरान स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाडियों एस. श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण को गिरफ्तार किया था। इनके अलावा चेन्नई सुपर किंग्स के तत्कालीन टीम प्रिंसीपल गुरूनाथ मयप्पन और अभिनेता बिंदू दारा सिंह को सट्टेबाजी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए जस्टिस मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था।
क्या होती है स्पॉट फिक्सिंग
सबसे पहली बात तो यह है कि स्पॉट फिक्सिंग, मैच फिक्सिंग से कुछ अलग होती है। जहां मैच फिक्सिंग के लिए पूरी टीम को राजी करना पड़ता है, वहीं स्पॉट फिक्सिंग किसी एक खिलाड़ी के जरिए भी हो सकती है। मैच फिक्सिंग पूरे मैच की हार या जीत के लिए होती है, जबकि स्पॉट फिक्सिंग आमतौर पर एक बॉल या एक ओवर के लिए भी हो सकती है। वैसे सिर्फ गेंदबाज ही नहीं, स्पॉट फिक्सिंग बल्लेबाजों और फील्डरों के साथ भी की जाती है, लेकिन बुकीज का सबसे आसान निशाना गेंदबाज होते हैं। आमतौर पर बुकीज ओवर के हिसाब से बॉलर के साथ सौदा करते हैं, और यह तय किया जाता है कि किस ओवर में कितने रन दिए जाने हैं, या किस गेंद पर छक्का या चौका लगेगा, या कौन-सी गेंद नो बॉल या वाइड बॉल होगी।
बुकी को कैसे होता है फायदा
बुकी पहले से खिलाड़ियों से फिक्सिंग कर लेता है। उस आधार पर सट्टा मार्केट में हर गेंद पर सट्टा लगता है। सट्टा यह लगता है कि यह गेंद नो बॉल होगी या वाइड, फिर इस गेंद पर या इस ओवर में इतने रन बनेंगे। बुकी को तो पहले से पता रहता है, इस आधार पर वह सट्टा लगवाकर पैसे बनाता है।
फटाफट क्रिकेट में आसान होती है फिक्सिंग
माना जाता है कि फटाफट क्रिकेट यानि ट्वेंटी-20 मैच में स्पॉट फिक्सिंग बहुत आसान होता है। क्रिकेट के इस वर्जन में सब कुछ बहुत जल्दी जल्दी होता है, इसलिए कुछ खास पता नहीं चल पाता। वैसे भी आईपीएल इंटरनेशनल गेम नहीं है, इसलिए इसमें संभावना ज्यादा होती है।
आईपीएल में पहली बार स्पॉट फिक्सिंग
आईपीएल और स्पॉट फिक्सिंग का रिश्ता पहली बार 2012 में सामने आया था जब एक टीवी चैनल के स्टिंग आॅपरेशन में 5 खिलाड़ियों टी.पी. सुधीन्द्र, मोहनीश मिश्रा, अमित यादव, शलभ श्रीवास्तव और अभिनव बाली ने स्पॉट फिक्सिंग करने के बदले में पैसे लेने की बात कबूली थी। इसके बाद बीसीसीआई ने इन सभी पर हर प्रकार की क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया था।
वनडे मैचों में पहली स्पॉट फिक्सिंग
स्पॉट फिक्सिंग का सबसे बड़ा मामला 2010 में सामने आया था, जब इंग्लैंड दौरे पर गई पाकिस्तानी टीम के तीन खिलाड़ियों कप्तान सलमान बट्ट, तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ पर स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप लगे थे। एक अखबार द्वारा किए गए स्टिंग आॅपरेशन में इन तीनों को स्पॉट फिक्सिंग करने में लिप्त पाया गया था और फिर इन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी।
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग की पूरी कहानी, जानिए कब क्या हुआ?
बीसीसीआई के कामकाज से निर्वासित चल रहे अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मुद्गल समिति की जांच रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान कई सवाल उठाए। कहा, क्या श्रीनिवासन खुद को बरी हुआ मान रहे हैं?
बीसीसीआई अध्यक्ष खुद अपनी टीम कैसे रख सकता है? आप आईपीएल की चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक हैं। क्या यह हितों का टकराव नहीं है? जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, क्रिकेट सज्जनों का खेल है। इसे उसी भावना से खेला जाना चाहिए। यदि आप इस खेल में फिक्सिंग जैसी चीजें होने देंगे तो क्रिकेट नष्ट हो जाएगा। क्या आप इसे नष्ट होते हुए देखना चाहते हैं।
कोर्ट ने कहा कि श्रीनिवासन की टीम के कुछ लोग सट्टेबाजी में लिप्त थे। इसलिए उनकी जवाबदेही बनती है और वह खुद को इस मामले से अलग नहीं कर सकते हैं। श्रीनिवासन को हितों के टकराव के सवालों का जवाब देना होगा। कोर्ट ने कहा कि संदेह का लाभ खेल को दिया जा सकता है, लेकिन किसी व्यक्ति विशेष को नहीं।
क्या है मामला
श्रीनिवासन ने सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर अध्यक्ष बनने की अनुमति मांगी थी। श्रीनिवासन ने कहा था कि मुद्गल रिपोर्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार में लिप्तता के सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए उन्हें एक बार फिर बोर्ड प्रमुख की भूमिका निभाने की अनुमति दी जाए। श्रीनिवासन को आईपीएल-6 मामले की जांच पूरी होने तक सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के कामकाज से दूर रहने को कहा था।
स्पॉट फिक्सिंग मामले में कब-कब क्या हुआ?
16 मई 2013 : राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ी एस श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंदेला स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किए गए।
21 मई 2013 : बॉलीवुड कलाकार विंदू दारा सिंह सट्टेबाजों के साथ रिश्ते के आरोप में मुंबई में गिरफ्तार किए गए।
24 मई 2013 : मयप्पन मुंबई पुलिस के सामने हाजिर हुए। पुलिस ने पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में लिया।
2 जून 2013 : बीसीसीआई की बैठक में फ्रेंचाइजी की जांच के लिए दो रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाई गई।
30 जुलाई 2013 : बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष आदित्य वर्मा ने बीसीसीआई के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की।
05 अगस्त 2013 : बीसीसीआई ने दो जजों की कमेटी की जांच रिपोर्ट को खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फै सले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
13 सितंबर 2013 : बीसीसीआई ने श्रीसंत और चव्हाण पर आजीवन प्रतिबंध लगाया।
07 अक्टूबर 2013 : सुप्रीम कोर्ट ने फिक्सिंग मामले की जांच के लिए जस्टिस मुद्गल कमेटी बनाई।
10 फरवरी 2014 : मुद्गल कमेटी ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।
01 सितंबर 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने मुद्गल समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए दो महीने का और समय दिया।
03 नवंबर 2014 : मुद्गल कमेटी ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।
24 नवंबर 2014 : सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। बीसीसीआई को लगाई फटकार।
सचिन ने साधी चुप्पी
सचिन तेंदुलकर ने फिक्सिंग मामले की जांच करने वाली मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ भी कहना अनुचित होगा, क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि क्रिकेट इस देश में धर्म की तरह है। करोड़ों लोग इस खेल के दीवाने हंै, लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इस खेल को तबाह कर रहा है। इसके साथ ही आईसीसी प्रमुख एन. श्रीनिवासन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संदेह का लाभ खेल को मिलना चाहिए ना कि व्यक्ति को, कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि क्या बीसीसीआई के मुखिया का आईपीएल टीम का मालिक होना हितों का टकराव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने किया आठ नामों का खुलासा
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में बड़ा खुलासा 14 नवम्बर को हुआ। सुप्रीम कोर्ट में पेश मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट में श्रीनिवासन, मयप्पन और राज कुन्द्रा सहित आठ लोगों के नाम फिक्सिंग के दोषियों के तौर पर सामने आए हैं। लिस्ट में तीन क्रिकेटरों के नाम भी शामिल हैं लेकिन कोर्ट ने इनके नामों का खुलासा नहीं करने के आदेश दिए।
अदालत ने कहा है कि रिपोर्ट में खिलाड़ियों की भूमिका साफ नहीं है। फिक्सिंग मामले में खुलासा होने से क्रिकेट जगत में हड़कंप मचा हुआ है। बीसीसीआई की एजीएम 28 नवंबर को होनी थी लेकिन बोर्ड ने अब इसे चार हफ्ते के लिए टालने का फैसला किया है। कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई के चुनाव पर कोई पाबंदी नहीं लगाई जाएगी। लेकिन सलाह दी कि बीसीसीआई फैसले के बाद ही चुनाव करे।
क्या है पूरा मामला
आईपीएल-6 के दौरान स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाडियों एस. श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण को गिरफ्तार किया था। इनके अलावा चेन्नई सुपर किंग्स के तत्कालीन टीम प्रिंसीपल गुरूनाथ मयप्पन और अभिनेता बिंदू दारा सिंह को सट्टेबाजी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए जस्टिस मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था।
क्या होती है स्पॉट फिक्सिंग
सबसे पहली बात तो यह है कि स्पॉट फिक्सिंग, मैच फिक्सिंग से कुछ अलग होती है। जहां मैच फिक्सिंग के लिए पूरी टीम को राजी करना पड़ता है, वहीं स्पॉट फिक्सिंग किसी एक खिलाड़ी के जरिए भी हो सकती है। मैच फिक्सिंग पूरे मैच की हार या जीत के लिए होती है, जबकि स्पॉट फिक्सिंग आमतौर पर एक बॉल या एक ओवर के लिए भी हो सकती है। वैसे सिर्फ गेंदबाज ही नहीं, स्पॉट फिक्सिंग बल्लेबाजों और फील्डरों के साथ भी की जाती है, लेकिन बुकीज का सबसे आसान निशाना गेंदबाज होते हैं। आमतौर पर बुकीज ओवर के हिसाब से बॉलर के साथ सौदा करते हैं, और यह तय किया जाता है कि किस ओवर में कितने रन दिए जाने हैं, या किस गेंद पर छक्का या चौका लगेगा, या कौन-सी गेंद नो बॉल या वाइड बॉल होगी।
बुकी को कैसे होता है फायदा
बुकी पहले से खिलाड़ियों से फिक्सिंग कर लेता है। उस आधार पर सट्टा मार्केट में हर गेंद पर सट्टा लगता है। सट्टा यह लगता है कि यह गेंद नो बॉल होगी या वाइड, फिर इस गेंद पर या इस ओवर में इतने रन बनेंगे। बुकी को तो पहले से पता रहता है, इस आधार पर वह सट्टा लगवाकर पैसे बनाता है।
फटाफट क्रिकेट में आसान होती है फिक्सिंग
माना जाता है कि फटाफट क्रिकेट यानि ट्वेंटी-20 मैच में स्पॉट फिक्सिंग बहुत आसान होता है। क्रिकेट के इस वर्जन में सब कुछ बहुत जल्दी जल्दी होता है, इसलिए कुछ खास पता नहीं चल पाता। वैसे भी आईपीएल इंटरनेशनल गेम नहीं है, इसलिए इसमें संभावना ज्यादा होती है।
आईपीएल में पहली बार स्पॉट फिक्सिंग
आईपीएल और स्पॉट फिक्सिंग का रिश्ता पहली बार 2012 में सामने आया था जब एक टीवी चैनल के स्टिंग आॅपरेशन में 5 खिलाड़ियों टी.पी. सुधीन्द्र, मोहनीश मिश्रा, अमित यादव, शलभ श्रीवास्तव और अभिनव बाली ने स्पॉट फिक्सिंग करने के बदले में पैसे लेने की बात कबूली थी। इसके बाद बीसीसीआई ने इन सभी पर हर प्रकार की क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया था।
वनडे मैचों में पहली स्पॉट फिक्सिंग
स्पॉट फिक्सिंग का सबसे बड़ा मामला 2010 में सामने आया था, जब इंग्लैंड दौरे पर गई पाकिस्तानी टीम के तीन खिलाड़ियों कप्तान सलमान बट्ट, तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ पर स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप लगे थे। एक अखबार द्वारा किए गए स्टिंग आॅपरेशन में इन तीनों को स्पॉट फिक्सिंग करने में लिप्त पाया गया था और फिर इन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी।
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग की पूरी कहानी, जानिए कब क्या हुआ?
बीसीसीआई के कामकाज से निर्वासित चल रहे अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मुद्गल समिति की जांच रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान कई सवाल उठाए। कहा, क्या श्रीनिवासन खुद को बरी हुआ मान रहे हैं?
बीसीसीआई अध्यक्ष खुद अपनी टीम कैसे रख सकता है? आप आईपीएल की चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक हैं। क्या यह हितों का टकराव नहीं है? जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, क्रिकेट सज्जनों का खेल है। इसे उसी भावना से खेला जाना चाहिए। यदि आप इस खेल में फिक्सिंग जैसी चीजें होने देंगे तो क्रिकेट नष्ट हो जाएगा। क्या आप इसे नष्ट होते हुए देखना चाहते हैं।
कोर्ट ने कहा कि श्रीनिवासन की टीम के कुछ लोग सट्टेबाजी में लिप्त थे। इसलिए उनकी जवाबदेही बनती है और वह खुद को इस मामले से अलग नहीं कर सकते हैं। श्रीनिवासन को हितों के टकराव के सवालों का जवाब देना होगा। कोर्ट ने कहा कि संदेह का लाभ खेल को दिया जा सकता है, लेकिन किसी व्यक्ति विशेष को नहीं।
क्या है मामला
श्रीनिवासन ने सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर अध्यक्ष बनने की अनुमति मांगी थी। श्रीनिवासन ने कहा था कि मुद्गल रिपोर्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार में लिप्तता के सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए उन्हें एक बार फिर बोर्ड प्रमुख की भूमिका निभाने की अनुमति दी जाए। श्रीनिवासन को आईपीएल-6 मामले की जांच पूरी होने तक सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के कामकाज से दूर रहने को कहा था।
स्पॉट फिक्सिंग मामले में कब-कब क्या हुआ?
16 मई 2013 : राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ी एस श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंदेला स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किए गए।
21 मई 2013 : बॉलीवुड कलाकार विंदू दारा सिंह सट्टेबाजों के साथ रिश्ते के आरोप में मुंबई में गिरफ्तार किए गए।
24 मई 2013 : मयप्पन मुंबई पुलिस के सामने हाजिर हुए। पुलिस ने पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में लिया।
2 जून 2013 : बीसीसीआई की बैठक में फ्रेंचाइजी की जांच के लिए दो रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाई गई।
30 जुलाई 2013 : बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष आदित्य वर्मा ने बीसीसीआई के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की।
05 अगस्त 2013 : बीसीसीआई ने दो जजों की कमेटी की जांच रिपोर्ट को खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फै सले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
13 सितंबर 2013 : बीसीसीआई ने श्रीसंत और चव्हाण पर आजीवन प्रतिबंध लगाया।
07 अक्टूबर 2013 : सुप्रीम कोर्ट ने फिक्सिंग मामले की जांच के लिए जस्टिस मुद्गल कमेटी बनाई।
10 फरवरी 2014 : मुद्गल कमेटी ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।
01 सितंबर 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने मुद्गल समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए दो महीने का और समय दिया।
03 नवंबर 2014 : मुद्गल कमेटी ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।
24 नवंबर 2014 : सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। बीसीसीआई को लगाई फटकार।
सचिन ने साधी चुप्पी
सचिन तेंदुलकर ने फिक्सिंग मामले की जांच करने वाली मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ भी कहना अनुचित होगा, क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
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