Saturday 29 November 2014

प्रिंस ऑफ चेस- मैग्नस कार्लसन

केवल 22 वर्ष की उम्र में अपना मायलापोर चेन्नई का घर छोड़कर शतरंज के टूर्नामेंट में खेलने के लिए लगातार घूमने वाले और सतत 5 वर्ष तक शतरंज की खेल में विश्व विजेता रहने वाले विश्वनाथ आनंद को हाल ही में नार्वे के मैग्नस कार्लसन ने चेन्नई में ही हरा दिया। कार्लसन आनंद से आधी उम्र के हैं। इतनी छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि प्राप्त करने वाले कार्लसन ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के प्रमुख भरत सिंह चौहान के अनुसार इस मैच को विश्व के करीब दो करोड़ लोगों ने टीवी और इंटरनेट के माध्यम से देखा। स्वयं विश्वनाथ का कहना था कि मैं तो उनका खेल समझ ही नहीं पाया। सचमुच कार्लसन महान है। विश्वनाथ ने कार्लसन ने मोजार्ट ऑफ चेस कहा है। चेस के विजेता चेम्पियन को ग्रांड मास्टर कहा जाता है। यह पद ग्रांड मास्टर कार्लसन ने केवल 13 वर्ष की उम्र में 2004 में प्राप्त कर लिया था। गेरी कास्पारोव रुस के शतरंज के बादशाह है। 2004 में जब उनके सामने कार्लसन खेलने बैठे, तो उस समय कार्लसन अपनी चाल चलकर आराम से चहलकदमी करते रहे और गेरी कास्पारोव जैसे महारथी अपनी चाल चलने के लिए मशक्कत कर रहे थे। उस समय की वीडियो क्लिपिंग यू टयूब पर काफी हिट हुई। कार्लसन जिस तेजी से आगे बढ़ रहे थे, उससे उस पर यह आरोप लगा कि वे प्रतिद्वंद्वी को वशीभूत कर लेते हैं। इस वहम या कहे कि डर से अमेरिका के चेस चेम्पियन हीकारु नाकामुरा कार्लसन के सामने काले रंग का चश्मा पहनते। ऐसा नहीं है कि कार्लसन केवल शतरंज ही खेलते हैं, वे फुटबॉल, बास्केट बॉल और टेनिस के अच्छे खिलाड़ी भी हैं। अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए वे सख्त मेहनत करते हैं। जिस टूर्नामेंट में कार्लसन ने विश्वनाथ को हराया, उसके लिए विश्वनाथ ने लगातार तीन महीने तक चेस का प्रशिक्षण लिया, जबकि कार्लसन ने इस दौरान खूब आराम किया। कार्लसन की शक्तियां कितनी विशिष्टताओं से भरी हैं। वे अपनी चाल पूरे गणित के साथ प्यादाओं से खेलने के बजाए अपनी अंतरूप्रेरणा से काम लेते हैं। अंत:प्रेरणा से काम करने वाले अक्सर सफल होते हैं। अपनी इसी शक्ति के बदौलत वे एक साथ दस लोगों के साथ चेस खेल सकते हैं। उनकी स्मरणशक्ति इतनी प्रबल है कि हजारों चालें उन्हें याद रहती हैं। केवल अपनी ही नहीं, बल्कि अन्य विश्व चेम्पियनों की चालें भी उन्हें याद हैं। उनका खेल एक तरह से एकसूत्रता में बांधाने वाला है। कार्लसन के प्रशंसकों को जितनी खुशी उनके खेल देखकर होती है, उससे अधिक खुशी उसके बोलने से होती है। नार्वे की राजधानी ओस्लो में रहने वाले कार्लसन की पिता हेनरीफ भी शतरंज के खिलाड़ी रह चुके हैं। सामान्य रूप से जिस खेल को खेलना हो, उसमें पूरी तरह से रम जाने की प्रवृत्तिा के कारण कार्लसन भी पिता की तरह शतरंज में रम गए। अपनी जबर्दस्त याददाश्त के चलते ही उसे बचपन में ही देशों के नाम और वहां की आबादी की जानकारी मुंह जबानी रखते थे। आठ वर्ष की उम्र में जब उन्होंने अपनी बहन को चेस में हराया, तब तक उनकी प्रतिभा की ओर किसी का ध्यान ही नहीं था। 19 वर्ष की अवस्था में वह सबसे अधिक धन कमाने वाले खिलाड़ियों में शुमार गए थे। कास्मोपोलिटन नामक एक अंतरराष्ट्रीय मैग्जिन निकलती है, इसे 2013 के सेक्सियेस्ट पर्सन पुरुषों की श्रेणी में रखा है। दुनिया भले ही उन्हें जीनियस माने, पर अपने बारे में वे कहते हैं कि जो मैं कर रहा हूं, उसमें मैं सच्च हूं, बस यही मेरी चाहत है। उनके पिता हेनरीफ कहते हैं कि जब कार्लसन 15 वर्ष के थे, तब तक उसने चेस के पीछे अपने 10 हजार घंटे खर्च किए। उन दिनों वह चेस खेलने के लिए वर्ष के 200 दिनों की यात्रा करते। चेस के खेल के लिए उसकी निष्ठा और त्याग लाजवाब है। कार्लसन से पूछा गया कि खेल जीतने के लिए आपकी व्यूह रचना कैसी है, तो उनका जवाब होता है बस केवल चेस खेलना। शतरंज खेलने की आपकी स्टाइल क्या है, तो वे कहते-बस केवल चेस खेलना। आप शतरंज की शिक्षा किस तरह से लेते हैं, तो वे कहते-बस केवल चेस खेलना। जब वे 13 वर्ष के थे, तब उनका नाम नार्वे के घर-घर में पहुंच चुका था। उन्हें पढ़ने का शौक नहीं था, पर माता-पिता चाहते थे कि वह पढ़ाई करे। फिर भी वे कॉलेज और यूनिवर्सिटी का शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए।
खेलते समय अपना प्यादा किस तरह से चलना है, यह वे दस सेकंड में ही तय कर लेते हैं, उसके बाद उस पर मनन करते हैं। विश्वनाथन को हराने पर उन्हें 9 करोड़ रुपए मिले। वे अब तक शतरंज से 90 लाख डॉलर तक कमा चुके हैं। अल्ट्रा लो पॉवर वायलेस सिस्टम ऑन चिप्स के वे ब्रांड एम्बेसेडर हैं। यह कंपनी नार्वे की है। यह कंपनी वायरलेस माउस, की बोर्ड और खेल उपकरणों आदि का निर्माण करती है। कार्लसन पर केंद्रित लर्न चेस विद कार्लसन किताब का प्रकाशन हो चुका है। इस किताब की बिी धाड़ल्ले से जारी है। एक और किताब है - मैग्नस कार्लसन द वर्ल्ड वेस्ट चेस प्लेयर, उन पर एक फिल्म भी बनी है, जिसका नाम है - प्रिसं ऑफ चेस।

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