Friday 21 November 2014

भारत खेलों में कैसे बने सुपर पॉवर?

खेलों में हमारे फिसड्डी होने पर ढेर सारे तर्क-कुतर्क दिए जाते हैं। खिलाड़ी जमात क्रिकेट को अन्य खेलों की राह का रोड़ा मानती है, जोकि सच नहीं है। एक क्षेत्र की उपलब्धियां दूसरे क्षेत्र की कीमत पर नहीं हो सकतीं। अगर क्रिकेट पैसे और लोगों को आकर्षित कर रही है, तो उसी मॉडल पर दूसरे खेल भी वैसी ही कामयाबी हासिल कर सकते हैं। दरअसल खेलों में सबसे जरूरी है, शारीरिक दमखम। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज भी करोड़ों भारतीयों को दो वक्त की रोटी भी मयस्सर नहीं है। ऐसे में जाहिर है कि खेल किसी की भी प्राथमिकता में शामिल नहीं हो सकते। दूसरी वजह भारत में पेशे के तौर पर खेल आज भी मुख्यधारा के करियर विकल्पों में शुमार नहीं है। इन दिक्कतों के बाद भी समाज की सोच, सरकारी नीतियों में बदलाव के साथ ही खेल संगठनों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाकर हम खेलों में सुपर पॉवर बन सकते हैं।

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