Tuesday 18 November 2014

खुशियां ऐसी कि दिल में न समाएं

सम्पादकीय......
खुशियां ऐसी कि दिल में न समाएं
भारत के खेल मुरीदों के लिए रविवार 16 नवम्बर का दिन काफी रोमांचक और अंतत: खुशगवार साबित हुआ। इस दिन एक साथ तीन खुशियों ने हमारे मादरेवतन की अस्मिता में चार चांद लगा दिए। श्रीलंका के साथ आयोजित एकदिवसीय क्रिकेट सीरीज  का पांचवां और आखिरी मुकाबला रांची में खेला गया। महेन्द्र सिंह धोनी के घर में कप्तानी विराट कोहली ने की और अपनी बिन्दास 139 रनों की नाबाद पारी की बदौलत श्रीलंका का 5-0 से सूपड़ा साफ कर दिया। इंग्लैंड दौरे में विराट के बल्ले को सांप सूंघ गया था, उनकी भविष्य की सम्भावनाओं पर सवाल उठने लग गए थे। लेकिन भारत में श्रीलंका के साथ खेलते हुए विराट कोहली ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का न केवल लोहा मनवाया बल्कि सीरीज के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी घोषित किए गये। उन्होंने न केवल बेहतरीन कप्तानी की बल्कि स्वयं भी उम्दा प्रदर्शन किया। 32 साल बाद भारत ने श्रीलंका को क्लीन स्वीप के साथ मात दी और पांच मैचों की सीरीज अपने नाम की। रांची के मैच में एक वक्त ऐसा आया कि लगा यह मैच भारत हार जाएगा। श्रीलंका के कप्तान एंजेलो मैथ्यूज ने शतकीय पारी खेलते हुए नाबाद 139 रन बनाए और भारत के सामने 287 रनों का लक्ष्य रखा। भारत की ओर से कप्तान विराट कोहली ने मैच संभाले रखा और आखिरी दस ओवरों में जब टीम पर दबाव अधिक था तब भी संतुलन बनाए रखते हुए अच्छे खेल का परिचय दिया। यह संयोग ही है कि भारतीय कप्तान ने भी नाबाद 139 रन बनाकर भारत को तीन विकेट से जीत दिलवाई। इस सीरीज में ही विराट कोहली ने अपने छह हजार रन भी पूरे किए। रोहित शर्मा का एकदिवसीय मैचों में 264 रनों का विश्व रिकॉर्ड भी इसी सीरीज में उनकी दबंगता का गवाह बना। इस तरह भारत बनाम श्रीलंका क्रिकेट सीरीज ऐतिहासिक होने के साथ-साथ लम्बे समय तक यादगार भी बन गई है। जल्दी ही भारत का मुकाबला आस्ट्रेलिया से है, देखना है कि वहां भी भारत अपना ऐसा ही दबदबा कायम रखता है या नहीं।
क्रिकेट के अलावा दूसरी खुशखबरी आई चीन के बैडमिंटन कोर्टों से। चीन में बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और किदाम्बी श्रीकांत ने चाइना ओपन के खिताब अपने नाम किये। साइना नेहवाल से भारत को पहले ही उम्मीदें थीं। उन्होंने इस साल के शुरू में सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय ग्रांप्री गोल्ड का खिताब जीता था। फिर जून में आॅस्ट्रेलियन सुपर सीरीज जीती और अब जापान की अकाने यामागुची को हराकर चाइना ओपन का खिताब जीता। इस तरह यह उनका साल का तीसरा और अब तक का आठवां प्रीमियर सुपर सीरीज खिताब है। बीच में साइना नेहवाल का प्रदर्शन थोड़ा फीका हो गया था, उनकी विश्व रैंकिंग भी फिसली थी, लेकिन अब उसमें निरंतर सुधार होगा ऐसी उम्मीद की जाना चाहिए। किदाम्बी श्रीकांत का नाम भारत में अभी बहुत चर्चित नहीं है। उन्होंने पिछले साल थाईलैंड ओपन ग्रांप्री जीता था और इस साल इंडिया ओपन ग्रांप्री में उप-विजेता रहे थे जबकि  मलेशियाई ओपन के र्क्वाटर फाइनल में वे पहुंचे थे। श्रीकांत ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों के मिश्रित टीम वर्ग के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली भारतीय टीम का हिस्सा भी थे। चाइना ओपन का खिताब जीतना उनके लिए सरल नहीं था, क्योंकि फाइनल में उनका मुकाबला चीन के ही लिन डैन से था, जिनकी धाक बैडमिंटन जगत में वैसी ही है, जैसे सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट में थी। लिन डैन दो बार ओलम्पिक विजेता रहे हैं और पांच बार विश्व चैम्पियन रहे हैं। 21 वर्षीय श्रीकांत ने इस अनुभवी खिलाड़ी को 46 मिनट के खेल में मात देकर चाइना ओपन का खिताब जीत लिया। यह उनका पहला सुपर सीरीज खिताब है और भारत के लिए भी यह पहला अवसर है जब सुपर सीरीज और प्रीमियर टूर्नामेंट शुरू किए जाने के बाद किसी भारतीय पुरुष शटलर ने सुपर सीरीज प्रीमियर खिताब जीता। हम भारतीयों की उम्मीद है कि मरती नहीं। खेलप्रेमियों को उम्मीद है कि भविष्य में भी हमारे जांबाज खिलाड़ी मादरेवतन की शान अवश्य बढ़ाएंगे। 

No comments:

Post a Comment