Monday 17 November 2014

साइना जीत चुकी हैं कराटे का खिताब

रैकेट भांजने से पहले 'पंच' मारती थी
शटलर साइना नेहवाल बैडमिंटन में हाथ आजमाने से पहले कराटेबाज रहीं। ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल राष्ट्रमण्डल खेलों का स्वर्ण सहित कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं। आज दुनिया साइना को शटलर के रूप में जानती है लेकिन यह स्टॉर खिलाड़ी कराटे चैम्पियन भी रह चुकी है। हिसार (हरियाणा) में एक जाट फैमिली में जन्मी साइना नेहवाल कराटे में ब्राउन बेल्ट हैं।
साइना नेहवाल ने इस बात का खुलासा खुद किया था। सितम्बर, 2012 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंन बताया था कि बैडमिंटन से पहले मैं कराटेबाज हूं, मैंने अपने स्कूली जीवन के दौरान कराटे में ब्राउन बेल्ट जीता है। यह अलग बात है कि ब्राउन बेल्ट से आगे नहीं बढ़ सकी। उन्होंने कहा था, बैडमिंटन में करियर बनने के बाद कराटे को छोड़ना पड़ा। मैं आज भी कराटे को बहुत मिस करती हूं।
साइना नेहवाल पहली भारतीय हैं, जिन्होंने बैडमिंटन के बहुप्रतिष्ठित इवेंट 'सुपर सीरीज' का खिताब अपने नाम किया है। यह खिताब उन्होंने 21 जून, 2009 को इंडोनेशिया में जीता था। साइना की बेस्ट रैंकिंग वर्ल्ड नम्बर-दो रही है, फिलहाल पांच है। साइना को भारत सरकार ने अर्जुन अवॉर्ड (2009), राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (2009-10) और पद्मश्री (2010) से सम्मानित किया है।
 साइना के खेलजीवन की कुछ बातें
-साइना नेहवाल को उनके पिता प्रतिदिन 50 किलोमीटर स्कूटर चलाकर स्टेडियम ले जाते थे और लाते थे।
-1999 में साइना के पिता ने स्टेडियम के पास ही घर लेने का फैसला किया, जो सात किलोमीटर दूर था।
-खेल सुधारने के लिए साइना नेहवाल ने शाम के समय होने वाले अभ्यास सत्र में भी हिस्सा लेना शुरू किया।
-उनके आने-जाने में 150 रुपए प्रतिदिन का खर्च आता था यानी कि प्रतिमाह 12,000 रुपये लगभग।
-साइना नेहवाल के किट के लिए उनके पिता ने कई मर्तबा अपने पीएफ (प्रॉविडेंट फण्ड) से पैसे निकाले।
-उनके पिता को उस वक्त साइना के किट खर्च से निजात मिली, जब 2002 में योनेक्स सनराइज स्पोर्ट्स ने उसे स्पांसर करने का फैसला किया।

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