Wednesday 26 November 2014

बड़ा सवाल, सपने सच होते हैं या झूठे

जयपुर। यह सवाल बड़ी बहस की वजह रहा है कि सपने सच होते हैं या झूठ? वैज्ञानिक इसके कुछ खास कारण गिनाते हैं तो धर्मग्रंथ और लोगों के अनुभव इस गुत्थी को अपने नजरिए से सुलझाते हैं।
वैज्ञानिक अध्ययन और परंपरागत चिंतन के बीच दुनिया में कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनकी एक झलक देखने का दावा लोगों ने सपनों के जरिए किया था। सपने में बनाया विमान हकीकत में उड़ाया। एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानना दिलचस्प होगा जिसने बचपन में कभी हवाई जहाज की सवारी नहीं की थी, लेकिन वह अक्सर रात को आने वाले सपनों में हवाई जहाज उड़ाता था। उसका नाम जेडब्ल्यू डन था। इसी सिलसिले में कई साल बीत गए।
अब डन बड़ा हो चुका था। युवावस्था में सरकार की ओर से उसे हवाई जहाजों के मॉडल तैयार करने की जिम्मेदारी मिली और एक दिन आसमान में उड़ने का उसका सपना सच साबित हुआ। डन का सपना यहीं खत्म नहीं हो जाता। 1914 में जब दुनिया पर पहले महायुद्ध के बादल मंडराने लगे थे, तब डन के मॉडल से तैयार किए गए जंगी विमानों का ब्रिटिश सेना ने भरपूर इस्तेमाल किया लेकिन डन को सपनों में दिखने वाली घटनाएं बदस्तूर जारी रहीं।
युद्ध से पहले एक रात उसे सपना आया कि उसका बनाया एक हवाई जहाज नष्ट हो गया है। वह उसे देखने के लिए दौड़ता है। कबाड़ हो चुके उस जहाज से एक युवक बाहर निकलता है। वह बहुत उदास दिखाई देता है। डन उसे पहचानने की कोशिश करता है लेकिन उसे युवक की शक्ल ठीक से याद नहीं रहती। तभी उसकी नींद खुल जाती है। अगले दिन उसने ब्रिटिश सेना के अधिकारियों से सपने की चर्चा की। अधिकारियों ने सपने को बुरा ख्याल समझकर भूल जाने का सुझाव दिया। इसी दौरान एक संदेशवाहक आया और उसने यह दुखद खबर दी कि सेना का एक हवाई जहाज हादसे का शिकार हो गया। जब डन और उसके अधिकारियों ने लाश की शक्ल देखी तो यह वैसा ही युवक था जिसका जिक्र डन ने किया था।
मौत की झलक ने बचाई जिंदगी
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल रहे लॉर्ड डफरिन ने एक रात विचित्र सपना देखा। उन्होंने इस सपने का जिक्र अपने परिजनों और करीबी लोगों से भी किया था। सपने के मुताबिक डफरिन की मौत हो जाती है। उनका ताबूत एक गाड़ी में रखा जाता है और लोग उन्हें कब्रिस्तान ले जा रहे हैं। रास्ते में कुछ लोग उनकी शांति के लिए पवित्र प्रार्थनाएं भी कर रहे हैं। डफरिन गाड़ी के पीछे चल रहे लोगों की शक्ल देखने की कोशिश करते हैं लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पाते। वे गाड़ी के ड्राइवर की ओर देखते हैं। वे उसे देख लेते हैं और उसकी शक्ल उन्हें याद रह जाती है। कुछ दिनों बाद डफरिन एक होटल में गए। वे लिफ्ट का इस्तेमाल करना चाहते थे लेकिन तभी उनकी नजर वहां बैठे होटल के एक कर्मचारी पर पड़ी। वह बिल्कुल वैसा ही दिखाई दे रहा था जैसा उनके सपने में दिखा ड्राइवर। डफरिन ने लिफ्ट के इस्तेमाल का इरादा बदल दिया।
वहां कतार में खड़े लोग लिफ्ट में सवार हो गए और वह ऊपर की मंजिल की ओर चल पड़ी। तभी एक तेज धमाका हुआ। लिफ्ट में एक तकनीकी खराबी आ गई थी और उसमें सवार सभी लोग नीचे आ गिरे। उन सबकी मौत हो गई थी। बहरहाल सपने में मिली मौत की वजह से डफरिन अपनी जिंदगी बचाने में कामयाब रहे।
चिट्ठी में लिखा कब्र का हाल
यह घटना 1937 की है। जर्मनी की जेना यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे- फ्रांज मेयर। उनका एक विद्यार्थी बहुत बीमार था। मर्ज पूरे शरीर में फैल चुका था और बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। वे उस विद्यार्थी के पास गए।  विद्यार्थी ने उनसे कहा, मेरा बचना अब मुमकिन नहीं लग रहा। मैं आपको एक चाबी देता हूं। यह उस संदूक की है जो मेरे बिस्तर के नीचे रखा है। मेरी एक शर्त है कि आप इस संदूक को तब तक नहीं खोलेंगे जब तक कि मैं जिंदा हूं। अगले दिन विद्यार्थी की मौत हो गई। उसे दफनाने के बाद प्रोफेसर ने वहां मौजूद लोगों के सामने संदूक खोला। संदूक में एक चिट्ठी थी। उसे पढ़कर सब चकित रह गए। उस विद्यार्थी ने मौत से पहले ही मरने की तारीख और दफनाने की जगह के बारे में लिखा था। दोनों बातें सही पाई गई। उसने कब्र का आंखों देखा हाल लिखा था जो बिल्कुल हक ीकत जैसा था।
सपना बना अखबार की खबर
मशहूर उपन्यासकार जेवी प्रीस्टले की पत्नी ने भी ऐसे ही एक सपने का जिक्र किया था। एक रात उन्हें सपना आया कि सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई है। ऐसा भयानक सपना देखने के बाद वे काफी घबरा गई थीं। उन्हें रातभर नींद नहीं आई। उन्होंने सुबह का इंतजार करना बेहतर समझा। सवेरे उनका हॉकर अखबार डाल गया। मिसेज प्रीस्टल ने पहले पन्ने से खबरें पढ़नी शुरू कीं। अचानक उनकी नजर एक खबर पर गई। इसमें एक महिला की सड़क दुर्घटना में मौत के बारे में बताया गया था। उस महिला के नाम के साथ उनकी अद्भुत समानता थी। महिला का शादी से पहले वही नाम था जो मिसेज प्रीस्टले का था।
दुनिया में ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है जो सपनों की दुनिया को सिरे से खारिज करते हैं, वहीं उन लोगों की फेहरिश्त भी काफी लम्बी है जिन्हें भविष्य की एक झलक का आभास इसी दुनिया से हुआ था। बहरहाल, लोग इसे सच या झूठ से जोड़कर अपना नजरिया बयान करते रहेंगे, लेकिन सपनों का अस्तित्व फिर भी बना रहेगा। 

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