Sunday 28 December 2014

साल भर छाए रहे पहलवान

भारतीय कुश्ती के लिए वर्ष 2014 काफी अच्छा रहा और इस साल ओलंपिक के नायक सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त ने फिर से अच्छा खेल दिखाया जिससे भारत एशियाई खेलों में 28 साल बाद इस स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा।
लंदन ओलंपिक 2012 के बाद पहली बार खेलने और फीला के भार वर्ग में तब्दीली के कारण बढ़े वजन वर्गों में भाग लेने वाले सुशील और योगेश्वर ने इस साल जिस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया उसमें खुद को साबित किया। योगेश्वर ने तो इंचियोन एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता। यह पिछले 28 वर्षों में कुश्ती में भारत का पहला स्वर्ण पदक था। उनकी निगाहें अब रियो ओलंपिक पर टिकी हैं।
योगेश्वर को ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में 60 के बजाय 65 किग्रा भार वर्ग में भाग लेना पड़ा जिसमें उन्होंने सोने का तमगा जीता, जबकि दो बार के ओलंपिक चैंपियन सुशील ने 74 किग्रा में सोने का तमगा हासिल किया। उन्होंने फाइनल में पाकिस्तान के कमर अब्बास को चित करके अपनी बादशाहत साबित की थी। इसके बाद सुशील और योगेश्वर ने सितंबर में ताशकंद में विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लिया। सुशील बाद में एशियाई खेलों में भी नहीं गये, लेकिन योगेश्वर इंचियोन पहुंचे और वहां उन्होंने इतिहास रचा।
इस बीच भारत के युवा पहलवानों अमित कुमार, बजरंग, राजीव तोमर और महिला पहलवान बबिता कुमारी और विनेश फोगाट ने उन प्रतियोगिताओं में भारतीय तिरंगा ऊंचा रखा जहां सुशील और योगेश्वर ने हिस्सा नहीं लिया। इन सबके अच्छे प्रदर्शन से भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में पांच स्वर्ण सहित 13 पदक जीते।
भारत ने जूनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में भी एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक हासिल किया। विनेश (51 किग्रा) ने ग्रीको रोमन में स्वर्ण पदक हासिल किया। एशियाई खेलों में भारतीय पहलवानों ने पांच पदक हासिल किये, लेकिन फीला विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में उन्हें कोई पदक नहीं  मिला। 

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