भारतीय खेलों के लिए जहां यह साल कुछ उपलब्धियों और नए लीग टूर्नामेंटों की शुरुआत का रहा, वहीं इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में कथित सट्टेबाजी, फिक्सिंग सहित भारतीय हॉकी में टेरी वॉल्श की बतौर मुख्य कोच विवादास्पद विदाई भी सुर्खियों में बनी रही।
कॉरपोरेट घरानों, बॉलीवुड और खेल जगत की हस्तियों के सहयोग ने विभिन्न खेलों में लीग प्रारूप का एक नया अध्याय जुड़ा। यह सभी लीग पेशेवर तरीके से आयोजित किए गए और भारतीय दर्शकों ने खेलों का एक नया रंग देखा। फुटबाल की देश में दशा और दिशा बदलने के मकसद से इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की शुरुआत हुई। बॉलीवुड, देश की पूर्व खेल हस्तियों, अंतरराष्ट्रीय फुटबाल सितारों के जुड़ने से आईएसएल ने खूब चर्चा भी बटोरी। टूर्नामेंट बहुत हद तक सफल भी रहा और इसने बड़ी संख्या में दर्शकों को स्टेडियम की ओर भी खींचा।
देश के टेनिस प्रेमियों के लिए भी यह साल यादगार रहा। भारत में टेनिस से संबंधित दो लीग शुरू हुए। बड़े सितारों जैसे रोजर फेडरर, नोवाक जोकोविक के पहली बार भारत आगमन के कारण इंटरनेशनल प्रीमियर टेनिस लीग (आईपीटीएल) ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं। वहीं, देशी फ्रेंचाइजी टीमों के साथ शुरू हुए विजय अमृतराज के चैम्पियंस टेनिस लीग (सीटीएल) ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
इसी साल भारतीय दर्शकों ने दो कबड्डी लीग भी देखे। प्रो कबड्डी लीग और विश्व कबड्डी लीग, दोनों ही लोकप्रियता के मामले में सफल रहीं और बड़ी संख्या में खेल प्रेमियों को अपनी ओर खींचा। जहां तक भारतीय क्रिकेट की बात है तो मैदान और इससे बाहर दोनों ही जगहों पर इसके लिए यह साल उथल-पुथल वाला रहा। खासकर आईपीएल के छठे संस्करण में हुए कथित स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी की खबरों ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को परेशानी में डाला। बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन की सट्टेबाजी में भूमिका के सामने आने के बाद इस मामले ने और तूल पकड़ा और विभिन्न मौकों पर बोर्ड को सर्वोच्च न्यायालय से फटकार सुननी पड़ी।
इस बीच न्यूजीलैंड और इंग्लैंड दौरे पर भारत की विदेशी धरती पर नाकामी जारी रही, साथ ही एशिया कप और टी-20 विश्व कप फाइनल में भी टीम को हार का सामना करना पड़ा। भारत दौरे पर आई वेस्टइंडीज टीम के बीच में दौरा छोड़कर चले जाने के कारण भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (डब्ल्यूआईसीबी) के बीच संबंध खट्टे हुए।
भारतीय क्रिकेट टीम के लिए वर्ष तमाम उतार-चढ़ाव वाला रहा, हालांकि श्रीलंका के खिलाफ कोलकाता एकदिवसीय में रोहित शर्मा की 264 रनों की पारी ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को जश्न मनाने का मौका भी दिया। भारतीय बैडमिंटन के लिए यह साल अच्छा रहा। महिला टीम ने उबेर कप में पहली बार कांस्य पदक जीता। देश की शीर्ष महिला खिलाड़ी सायना नेहवाल के लिए वर्ष की शुरुआत अच्छी नहीं रही लेकिन बाद में उन्होंने शानदार वापसी करते हुए चीन ओपन सुपर सीरीज जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया।
पुरुष वर्ग से भी भारत के लिए अच्छी खबर आई। इसी साल विश्व में चौथी वरीयता प्राप्त करने वाले किदांबी श्रीकांत ने पांच बार के विश्व चैम्पियन और दो बार के ओलम्पिक चैम्पियन लिन डैन को हराकर चीन ओपन खिताब जीता। दूसरी ओर, 32 साल बाद राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर पारुपल्ली कश्यप ने भी देश का मान बढ़ाया। भारतीय हॉकी के लिए भी यह साल नई आशा लेकर आया। भारत ने 16 साल बाद एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता। साथ ही टीम राष्ट्रमंडल खेलों में भी उपविजेता रही। विश्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया को उसके घर में हराना भी भारतीय टीम की उपलब्धियों में शामिल रहा। इसके बाद हालांकि मुख्य कोच टेरी वॉल्श की विदाई विवाद का एक बड़ा मुद्दा बनी। भारतीय एथलीटों ने सराहनीय प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 15 स्वर्ण, 30 रजत और 19 कांस्य सहित कुल 64 पदक जीते। एशियाई खेलों में भी भारत ने कुल 57 पदक हासिल किए जिसमें 11 स्वर्ण, 10 रजत और 36 कांस्य शामिल हैं। इंचियोन में महिला मुक्केबाज सरिता देवी की विवादास्पद हार भी एक बड़ा मुद्दा बनी। उनके द्वारा पदक ठुकराने और खेल भावना का सम्मान नहीं करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने उन पर एक साल प्रतिबंध भी लगाया।
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