Saturday, 27 December 2014

आस्ट्रेलियाई मेम ने चुना ‘बिहारी’ दूल्हा

आजकल इस आधुनिकता के दौर में जहां भारतीय पाश्चात्य संस्कृति के कायल होते जा रहे हैं, वहीं विदेशियों को भारतीय संस्कृति खूब भा रही है। यही कारण है कि विदेशी मेमों (लड़कियों) को अब भारतीय दूल्हा भी खूब पसंद आने लगा है।
ऐसा ही एक विवाह बिहार के गया जिले के विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बोधगया के एक मंदिर में संपन्न हुआ, जहां बोधगया के न्यू तारीडीह गांव निवासी 30 वर्षीय अनिरुद्ध कुमार आस्ट्रेलियाई लड़की  मिरिंडा मिल्सन के साथ पूरे हिंदू रीति-रिवाज के साथ परिणय सूत्र में बंध गए। इस मौके पर अनिरुद्ध के पूरे परिजन भी उपस्थित थे। बोधगया स्थित जगन्नाथ मंदिर में दोनों ने सात फेरे लिए और जन्मों तक एक-दूसरे के साथ रहने की कसमें खार्इं।
अनिरुद्ध बताते हैं कि भारतीय संस्कृति के कायल मिरिंडा को पढ़ाई के दौरान ही भारतीय संस्कृति एवं पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करने का मौका मिला था। उसके बाद वे भारतीय संस्कृति से काफी प्रभावित हुई। मिरिंडा करीब डेढ़ वर्ष पूर्व पर्यटक के तौर पर बोधगया घूमने आई थी। इसी दौरान गाइड का काम कर रहे अनिरुद्ध से उसकी दोस्ती हुई। इस दौरान परिचय हुआ और ई-मेल और मोबाइल नम्बर का आदान-प्रदान हुआ। उस समय मिरिंडा करीब 15 दिनों तक बोधगया के आसपास घूमते रहीं। इसके बाद मिरिंडा वापस आस्ट्रेलिया चली गर्इं, मगर दोनों के बीच मोबाइल और ई-मेल के जरिए बात होता रहा।
इस दौरान उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। प्रीत की डोरी में बंधी मिरिंडा इसके बाद लगातार भारत आने लगी और दोनों में मुलाकात होती रही। इस दौरान दोनों परिणयसूत्र में बंधने का फैसला ले लिया। दोनों 14 सितंबर को कोलकता की अदालत में हिंदू मैरेज एक्ट के तहत शादी कर ली। इस बीच मिरिंडा ने अपना नाम परिवर्तन कर प्रेमतीर्थ बन गई। अब मिरिंडा को प्रेमतीर्थ से ही पुकारा जाना अच्छा लगता है। प्रेमतीर्थ कहती हैं कि भारत में की गर्इं शादियां सात जन्मों तक का साथ होता है। प्रेमतीर्थ ने कहा, ‘मेरे परिजन इस विवाह में भले ही शरीक नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी रजामंदी से ही यह विवाह हुआ है।’ इधर, अनिरुद्ध के परिजन भी इस विवाह से खुश हैं। उनके पिता वासुदेव का कहना है, ‘हमारा परिवार इस विवाह से खुश है। मिरिंडा के साथ जीवन तो मेरे बेटे को गुजारना है। उसकी पसंद परिजनों की भी पसंद है।’ इस विवाह में स्थानीय कुछ लोग बराती बने और कुछ सराती बन गए। महिलाओं ने मंगल गीत गाए और सिंदूरदान का रिवाज भी निभाया गया। मंदिर के प्रबंधक हरेंद्र कुमार कहते हैं कि दोनों ने रजामंदी से विवाह के लिए आवेदन दिया था। विवाह के बाद दरिद्र नारायण भोज का आयोजन किया गया। इसी तरह एक वर्ष पूर्व बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मधुकुंज निवासी मयंक ने दक्षिण कोरियाई युवती सोंगा से विवाह किया था।

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