Monday 1 December 2014

हजारों खिलाड़ी रहेंगे खेलवृत्ति से वंचित

एमपी में अब आठ खेलों के खिलाड़ियों को ही मिलेगी खेलवृत्ति
मध्यप्रदेश खेल विभाग की सूची से दर्जनों खेल संगठन नदारद
एसोसिएशनों की धींगामुश्ती का खामियाजा भुगतेंगे खिलाड़ी
ग्वालियर। खेल एसोसिएशनों की अकर्मण्यता खिलाड़ियों पर गाज बनकर टूटने जा रही है। इस साल खेल एवं युवा कल्याण विभाग उन खेलों के खिलाड़ियों को ही खेलवृत्ति प्रदान करेगा, जोकि विभाग की सूची में शामिल होंगे। दरअसल खेल विभाग ने प्रदेश में सक्रिय खेल संगठनों से उनकी जानकारी मांगी थी लेकिन सिर्फ आठ खेल संगठनों ने ही खेल एवं युवा कल्याण विभाग को जानकारी मुहैया कराई है। इससे इस साल मध्यप्रदेश के हजारों खिलाड़ी खेलवृत्ति से वंचित रह जाएंगे।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग प्रदेश में सक्रिय और पंजीबद्ध खेल एसोसिएशनों की न केवल मदद करना चाहता है बल्कि उन खेलों से जुड़े खिलाड़ियों को ही खेलवृत्ति देना चाहता है जोकि विभाग की सूची में शामिल हैं। खेल विभाग उन फर्जी खेल संगठनों से निजात चाहता है जोकि सिर्फ कागजों में ही सक्रिय हैं। विभाग के संज्ञान में ऐसे खेल संगठनों की सूची भी है जोकि नियम-कायदों को ताक पर रखकर न केवल प्रतियोगिताएं कराते हैं बल्कि उन खेलों से जुड़े सैकड़ों खिलाड़ी प्रतिवर्ष लाखों रुपये की खेलवृत्ति भी लेते रहे हैं। मध्यप्रदेश में कुछ खेलों में दो-दो एसोसिएशन भी सक्रिय हैं, जिनके बीच आएदिन वर्चस्व का नंगनाच होता रहता है। इन फर्जी खेल संगठनों के पदाधिकारी और खिलाड़ी अब खेल एवं युवा कल्याण विभाग की आंखों में धूल नहीं झोंक सकेंगे।
सूत्रों के मुताबिक खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने ऐसे खेल संगठनों से निजात पाने की खातिर विगत माह  प्रदेश के सभी खेल संगठनों के पदाधिकारियों से उनकी संस्था का ब्यौरा मांगा था। विभाग द्वारा चाही गई जानकारी प्रदेश के सिर्फ आठ खेल संगठनों ने ही मुहैया कराई है। जिन खेल संगठनों ने खेल विभाग को अपनी जानकारी प्रदान नहीं की है, अब विभाग उन खेलों के खिलाड़ियों को खेलवृत्ति से वंचित कर देगा। खेल विभाग के इस निर्णय से सबसे अधिक नुकसान कराते के खिलाड़ियों को होने जा रहा है। सूत्रों पर यकीन करें तो खेल एवं युवा कल्याण विभाग की सूची में सिर्फ आठ खेल ही शामिल हैं। इससे पूर्व विभाग लगभग 40 से अधिक खेलों के खिलाड़ियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए खेलवृत्ति देता रहा है। पिछले साल प्रदेश सरकार ने लगभग सभी खेलों के खिलाड़ियों को करोड़ों रुपये खेलवृत्ति के रूप में प्रदान किए थे।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग की सूची में सिर्फ आठ खेल
मध्यप्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग की सूची में मलखम्ब, ताइक्वांडो, टेबल टेनिस, वॉलीबाल, कबड्Þडी, बिलियर्ड्स एण्ड स्नूकर, तीरंदाजी और हैण्डबाल सहित आठ खेल ही शामिल हैं।
अभी तक इन खेलों में मिलती थी खेलवृत्ति
खेल एवं युवा कल्याण विभाग अभी तक एथलेटिक्स, बास्केटबाल, बैडमिंटन, फेंसिंग, हैण्डबाल, वॉलीबाल, जिम्नास्टिक, कुश्ती, मुक्केबाजी, लॉन टेनिस, फुटबाल, टेबल टेनिस, हॉकी, खो-खो, कबड्डी, घुड़सवारी, केनोइंग-कयाकिंग, रोइंग, सेलिंग, वेटलिफ्टिंग, जूडो, ताइक्वांडो, तैराकी, शूटिंग, वुशू, कराते, क्रिकेट, मलखम्ब, तीरंदाजी, साइकिलिंग, ट्रायथलान, थ्रोबाल, बेसबाल, सॉफ्टबाल, शूटिंग बाल, योग, बिलियर्ड्स-स्नूकर-पूल गेम्स, शतरंज, फॉवरलिफ्टिंग, रस्साकसी, स्क्वैश, अट्या-पट्या, नेटबाल, शरीर सौष्ठव एवं स्केटिंग खेलों के खिलाड़ियों को खेलवृत्ति देता रहा है।
किसको कैसे मिलती है खेलवृत्ति
मध्यप्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग प्रदेश के अण्डर-19 आयु वर्ग के उन खिलाड़ियों को खेलवृत्ति देता है जोकि प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक जीतते हैं। विभाग टीम स्पर्धा में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को भी खेलवृत्ति प्रदान करता है। एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक विजेता को रुपये 600, रजत पदक विजेता को रुपये 500 तथा कांस्य पदक विजेता को रुपये 400 प्रतिमाह खेलवृत्ति प्रदान की जाती है, इसी तरह टीम स्पर्धा में स्वर्ण विजेता को रुपये 400, रजत विजेता को रुपये 300 तथा कांस्य पदक विजेता टीम के प्रत्येक सदस्य को रुपये 200 प्रतिमाह खेलवृत्ति के रूप में दिए जाते हैं।
सिर्फ पात्र खिलाड़ी हों लाभान्वित: जमील अहमद सिद्दीकी
इस बाबत जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी ग्वालियर जमील अहमद सिद्दीकी का कहना है कि खिलाड़ियों का खेलवृत्ति से वंचित होना दु:खद है, खिलाड़ियों का यह नुकसान खेल संगठनों की उदासीनता का नतीजा है। प्रदेश सरकार खेलों और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की दिशा में सक्रिय है। पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश भर में खेल अधोसंरचना पर काम हुए तो खिलाड़ियों की मदद के मामले में भी विभाग का रुख हमेशा सकारात्मक रहा है। खेल विभाग चाहता है कि पात्र खिलाड़ी न केवल लाभान्वित हों बल्कि खेलों में हो रहे फर्जीवाड़े पर भी रोक लगे।

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