Thursday 18 December 2014

भारतीय स्क्वाश खिलाड़ियों का रहा जलवा

बीता साल रहा बेमिसाल
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय स्क्वाश के लिये बीता वर्ष सफलताओं से भरा रहा जिसमें ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल और इंचियोन एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक सोने पे सुहागा साबित हुआ।
 दीपिका पल्लीकल, जोशना चिनप्पा और सौरव घोषाल से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद रहती है लेकिन इस बार हरिन्दर पाल संधू ने भी सुर्खियां बंटोरीं। मोहाली के इस 25 वर्षीय युवा ने इंचियोन एशियाई खेलों में पहले एकल मुकाबले में गत चैम्पियन मोहम्मद अजलन इस्कंदर को हराकर पुरुष टीम के स्वर्ण पदक का मार्ग प्रशस्त किया था। इसके बाद घोषाल ने ओंग बेंग ही को हराया। इस जीत ने एकल वर्ग में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाने वाले घोषाल का दर्द कुछ कम किया। भारत ने एशियाई खेलों में सभी चार वर्गांे में पदक जीते। घोषाल ने कहा, यह साल राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों को समर्पित रहा। एशियाई खेलों में व्यक्तिगत वर्ग का स्वर्ण नहीं जीत पाना निराशाजनक रहा। फाइनल में हार हमेशा खलती है लेकिन टीम को पीला तमगा मिलने की खुशी है। यह अब तक का मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
महिला वर्ग में पल्लीकल, चिनप्पा और अनाका अलांकामोनी ने भारत के लिये पहला रजत पदक जीता। विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 में पहुंची पहली भारतीय पल्लीकल ने क्वार्टर फाइनल में चिनप्पा को हराकर व्यक्तिगत वर्ग का कांस्य भी जीता। सितंबर में हुए उस तनावपूर्ण मुकाबले के बाद पल्लीकल और चिनप्पा के बीच वह तालमेल नहीं रह गया जो राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान था। ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में पल्लीकल और चिनप्पा ने भारत को पहला पदक दिलाया और वह भी स्वर्ण। उन्होंने मलेशिया की निकोल डेविड और लो वी वर्न और शीर्ष वरीयता प्राप्त इंग्लैंड की जेनी डंकाल्फ और लौरा मसारो जैसे दिग्गजों को हराया।  घोषाल ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार सेमीफाइनल तक पहुंचे। कांस्य पदक के प्लेआफ मुकाबले में उन्हें इंग्लैंड के पीटर बार्केर ने हराया। अब वह पेशेवर सर्किट पर अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, इस साल मेरी पीएसए रैंकिंग गिरी है जिस पर 2015 में मेरा फोकस रहेगा। वहीं पल्लीकल ने कहा , मैंने इस साल राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के कारण कम टूर्नामेंटों में भाग लिया। अगले सत्र में अधिक टूर्नामेंट खेलकर फिर शीर्ष दस में जगह बनाना मेरा प्रमुख लक्ष्य होगा।

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