नई दिल्ली। सानिया मिर्जा ने अपना तीसरा मिश्रित युगल ग्रैंडस्लैम खिताब जीता और वर्ष की आखिरी ट्राफी जीतकर अपने सत्र का शानदार अंत किया लेकिन भारतीय पुरूष टेनिस खिलाड़ी वर्ष 2014 में अधिकतर समय जूझते नजर आए।
अपने नाम कई उपलब्धियां लिखा चुकी 28 वर्षीय सानिया सत्र के आखिरी टूर्नामेंट को जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। यह उपलब्धि लिएंडर पेस जैसा दिग्गज खिलाड़ी भी हासिल नहीं कर पाया। सानिया ने ब्रूनो सोरेस के साथ मिलकर यूएस ओपन मिश्रित युगल का खिताब जीता और अब उनके नाम पर आस्ट्रेलियाई ओपन और फ्रेंच ओपन सहित कुल तीन ग्रैंडस्लैम खिताब हो गये हैं। वर्ष में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने से सानिया सात डब्ल्यूटीए टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची और उन्होंने जिम्बाब्वे की कारा ब्लैक के साथ तीन खिताब भी जीते। इससे उन्होंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग एक भी हासिल की। जब कई पुरुष खिलाड़ी इंचियोन एशियाई खेलों से हट गये तब सानिया ने पहले न कहने के बाद इन खेलों में हिस्सा लिया और साकेत मयनेनी के साथ मिलकर मिश्रित युगल में स्वर्ण पदक जीता।
पुरुष खिलाड़ियों में एकल के स्टार सोमदेव देवबर्मन ही नहीं बल्कि युगल विशेषज्ञ पेस और रोहन बोपन्ना के लिये भी यह साल काफी मुश्किल भरा रहा। पेस सत्र में केवल एक खिताब जीत पाये। सबसे अधिक निराशा हालांकि सोमदेव के हाथ लगी और वह किसी भी समय अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के करीब नहीं पहुंचे। महेश भूपति ने टेनिस से संन्यास लिया। उनकी और पूर्व स्टार विजय अमृतराज की टेनिस लीगों ने इस खेल में नया अध्याय जोड़ा। भूपति टेनिस के दिग्गजों जिनमें रोजर फेडरर और नोवाक जोकोविच भी शामिल हैं, को आईपीटीएल में खेलने के लिये भारत लाये। अमृतराज की सीटीएल भारत केन्द्रित रही लेकिन इसमें दिग्गज स्टार की कमी खली।
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