स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन से एक दिन पहले उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किए जाने की घोषणा की गई है।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, ‘‘राष्ट्रपति को पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित कर खुशी हो रही है।’ संयोगवश वाजपेयी और मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर को ही हुआ था। मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को इलाहाबाद में और वाजपेयी का जन्म 1924 को ग्वालियर में हुआ था। सरकार ने उनके जन्मदिवस को ‘सुशासन दिवस’ घोषित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं ने इस घोषणा का स्वागत किया। कांग्रेस ने भी इस घोषणा का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘पंडित मदन मोहन मालवीय तथा अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया जाना बेहद खुशी की बात है। इन महान विभूतियों को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जाना राष्ट्र के प्रति की गई इनकी सेवाओं को पूर्णत: मान्यता प्राप्त करता है।’’ ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी वर्ष 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद 1998-2004 तक वह प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे। काफी दिनों से इन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग की जा रही थी। मोदी की अगुवाई वाली सरकार के पहले वर्ष में ही यह घोषणा हुई है। दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई भाजपा नेता कई वर्षों से उन्हें भारत रत्न देने की मांग कर रहे थे। 90 वर्षीय वाजपेयी ने 1980 में भारतीय जनसंघ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप तब्दील कर दिया था और वह गैर कांग्रेसी पार्टी के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। वह 1957 से 2009 के बीच 10 बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के शासनकाल में एक बेहतरी वक्ता वाजपेयी ने विदेश मंत्री के रूप में काफी ख्याति अर्जित की थी। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया था, जिसकी बेहद सराहना हुई थी।
इलाहाबाद में जन्मे मालवीय ने दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी और वह दक्षिण-पंथी हिंदू महासभा के पहले नेताओं में से एक थे। स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त वह एक महान शिक्षाविद थे। उन्होंने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। भारत की आजादी के एक साल पहले उनका निधन हो गया। वाजपेयी तथा मालवीय को भारत रत्न देने के फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया। कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पंडित मदन मोहन मालवीय तथा अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न प्रदान करने का हम स्वागत करते हैं। हम बधाई देते हैं।’’केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति से दो नेताओं को भारत रत्न देने का आग्रह किया था और उन्होंने खुशीपूर्वक सहमति जता दी। राजनाथ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं देश के तमाम लोगों को बधाई देता हूं।’’ केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वाजपेयी उत्कृष्ट प्रधानमंत्रियों तथा भारतीय राजनीतिक नेताओं में से एक रहे हैं। जेटली ने कहा, ‘‘अटल जी देश एक मजबूत राष्ट्रवादी रहे हैं तथा वह देश के लिए प्रतिबद्ध रहे हैंं।’’इसके अलावा, केंद्रीय मंत्रियों -रविशंकर प्रसाद, नितिन गडकरी, हर्षवर्धन तथा प्रकाश जावडेÞकर- ने सरकार के इस फैसले पर प्रसन्नता जताई।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, ‘‘राष्ट्रपति को पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित कर खुशी हो रही है।’ संयोगवश वाजपेयी और मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर को ही हुआ था। मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को इलाहाबाद में और वाजपेयी का जन्म 1924 को ग्वालियर में हुआ था। सरकार ने उनके जन्मदिवस को ‘सुशासन दिवस’ घोषित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं ने इस घोषणा का स्वागत किया। कांग्रेस ने भी इस घोषणा का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘पंडित मदन मोहन मालवीय तथा अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया जाना बेहद खुशी की बात है। इन महान विभूतियों को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जाना राष्ट्र के प्रति की गई इनकी सेवाओं को पूर्णत: मान्यता प्राप्त करता है।’’ ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी वर्ष 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद 1998-2004 तक वह प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे। काफी दिनों से इन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग की जा रही थी। मोदी की अगुवाई वाली सरकार के पहले वर्ष में ही यह घोषणा हुई है। दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई भाजपा नेता कई वर्षों से उन्हें भारत रत्न देने की मांग कर रहे थे। 90 वर्षीय वाजपेयी ने 1980 में भारतीय जनसंघ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप तब्दील कर दिया था और वह गैर कांग्रेसी पार्टी के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। वह 1957 से 2009 के बीच 10 बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के शासनकाल में एक बेहतरी वक्ता वाजपेयी ने विदेश मंत्री के रूप में काफी ख्याति अर्जित की थी। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया था, जिसकी बेहद सराहना हुई थी।
इलाहाबाद में जन्मे मालवीय ने दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी और वह दक्षिण-पंथी हिंदू महासभा के पहले नेताओं में से एक थे। स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त वह एक महान शिक्षाविद थे। उन्होंने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। भारत की आजादी के एक साल पहले उनका निधन हो गया। वाजपेयी तथा मालवीय को भारत रत्न देने के फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया। कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पंडित मदन मोहन मालवीय तथा अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न प्रदान करने का हम स्वागत करते हैं। हम बधाई देते हैं।’’केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति से दो नेताओं को भारत रत्न देने का आग्रह किया था और उन्होंने खुशीपूर्वक सहमति जता दी। राजनाथ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं देश के तमाम लोगों को बधाई देता हूं।’’ केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वाजपेयी उत्कृष्ट प्रधानमंत्रियों तथा भारतीय राजनीतिक नेताओं में से एक रहे हैं। जेटली ने कहा, ‘‘अटल जी देश एक मजबूत राष्ट्रवादी रहे हैं तथा वह देश के लिए प्रतिबद्ध रहे हैंं।’’इसके अलावा, केंद्रीय मंत्रियों -रविशंकर प्रसाद, नितिन गडकरी, हर्षवर्धन तथा प्रकाश जावडेÞकर- ने सरकार के इस फैसले पर प्रसन्नता जताई।
No comments:
Post a Comment