Monday 8 December 2014

श्रीनिवासन कैसे लड़ सकते हैं बोर्ड चुनाव : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से निर्वासित एन श्रीनिवासन से आज कहा कि उनकी यह दलील स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि चेन्नई सुपर किंग्स का मालिक होना और बोर्ड का मुखिया होने के बावजूद हितों का कोई टकराव नहीं था। न्यायालय ने कहा कि क्रिकेट की पवित्रता बनाये रखनी है और इसके मामलों की देखरेख करने वाले सभी व्यक्तियों को संदेह से परे होना चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा, ह्यसभी परिस्थितियों पर गौर करते समय आपकी यह दलील स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि इसमें हितों का टकराव नहीं था।ह्ण कोर्ट ने कहा कि इस मामले में 4 बिन्दु है जिनसे हितों के टकराव का मुद्दा उठता है क्योंकि श्रीनिवासन इंडिया सीमेन्ट्स के प्रबंध निदेशक हैं, इंडिया सीमेन्ट्स चेन्नई सुपर किंग्स की मालिक है और इसका एक अधिकारी सट्टेबाजी में शामिल है जबकि वह खुद बीसीसीआई के मुखिया हैं। न्यायाधीशों ने श्रीनिवासन की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये आपके इस तर्क को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि इसमें कोई हितों का टकराव नहीं था।
न्यायालय ने सुझाव दिया कि चुनाव के बाद गठित होने वाले बोर्ड को न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने जानना चाहा कि किसे बीसीसीआई का चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि यदि हम उसे इसका फैसला करने की अनुमति दें तो बीसीसीआई को हर तरह के कलंक से मुक्त होना चाहिए। न्यायालय ने सवाल किया कि किसे चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए? क्या रिपोर्ट में दोषी ठहराये गये व्यक्ति को चुनाव लडने की अनुमति दी जा सकती है? कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट के निष्कर्षो के आधार पर कार्रवाई करने के लिये क्रिकेट का प्रशासक सभी आरोपों और संदेह से परे होना चाहिए। न्यायाधीशों ने श्रीनिवासन से कहा, हम यह नहीं कह रहे हैं कि फ्रेैन्चाइजी लेने में छल किया गया लेकिन एक बार जब आप टीम के मालिक हो जाते हैं तो टीक में दिलचस्पी और क्रिकेट के प्रशासक के रूप में आप परस्पर विपरीत दिशा में चल रहे होते हैं।
न्यायालय ने कहा, ह्यह्यआप एक ठेकेदार (सीएसके के मालिक के नाते) हैं और साथ ही ठेका करने वाले पक्ष (बीसीसीआई) के मुखिया भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक दिसंबर को कहा था कि यह साबित करना बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन की जिम्मेदारी है कि आईपीएल-6 की जांच के रास्ते में उनके हितों के टकराव नहीं आये थे।
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (कैब) के सचिव आदित्य वर्मा ने दो दिसंबर को आरोप लगाया कि बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने बोर्ड में स्वयं के हितों के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील के जरिए शीर्ष क्रिकेटरों के नाम घसीटे। वर्मा ने कहा, मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि श्रीनिवासन ने अपने वकील के जरिए माननीय सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अपने हितों की रक्षा के लिए कई झूठ बोले।
उन्होंने कहा, श्रीनिवासन ने कोर्ट को सूचित किया कि सुनील गावस्कर, सौरव गांगुली, बृजेश पटेल, अनिल कुंबले, रवि शास्त्री, लालचंद राजपूत, वेंकटेश प्रसाद और के श्रीकांत भी क्रिकेट बोर्ड में हितों के टकराव में संलिप्त हैं।
वर्मा ने कहा, मुझे खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि श्रीनिवासन खुद को बचाने के लिये कुछ दिग्गज क्रिकेटरों की छवि खराब कर रहे हैं। उन्होंने कहा, सबसे अहम बात यह है कि इनमें से कभी कोई क्रिकेटर बीसीसीआई का पदाधिकारी नहीं रहा। इसलिए उनकी तुलना श्रीनिवासन से नहीं की जा सकती है। यहां तक कि गावस्कर को जब आईपीएल देखने के लिये बीसीसीआई का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने उनसे भी टेलीविजन कमेंटेटर की भूमिका छोड़ने के लिए कहा था।

No comments:

Post a Comment