Friday, 19 December 2014

मुक्केबाजी: रोए या करे विधवा विलाप

आईओए ने बाक्सिंग इंडिया को मान्यता देने से किया इनकार
हमारे यहां खेलों की लीला अपरम्पार है। सच के लिए लड़ना कितना नुकसानदेह है यह बात लैशराम सरिता देबी से बेहतर भला कौन बता सकता है। अभी दो दिन पहले अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने सरिता को एक साल तक रिंग में उतरने की मनाही कर दी। इस शर्मनाक फैसले पर लानत करने की बजाय देश भर में मंत्री से लेकर संत्री और खेलप्रेमियों तक ने जश्न मनाया। मैं जानना चाहता हूं कि गलत फैसले के खिलाफ सरिता ने बोलकर क्या वाकई गुनाह किया था? इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है क्योंकि हम डरपोक और कुर्सी प्रेमी हैं।
केन्द्रीय खेल मंत्री मुक्केबाज सरिता की सजा के खिलाफ हैं तो भारतीय ओलम्पिक संघ ने राष्ट्रीय महासंघ के रूप में आज बाक्सिंग इंडिया के आवेदन को खारिज कर एक प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या आईओए के अध्यक्ष एन रामचन्द्रन सरकार से भी बड़े हैं। इनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने बॉक्सिंग इंडिया को आईओए की इच्छा के विरूद्ध उस पर थोपा है। रामचंद्रन ने आईओए की वार्षिक आम बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईओए अब भी पूर्ववर्ती भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) को मान्यता देता है जिसकी मान्यता को एआईबीए ने इसी साल रद्द कर दिया था। आईओए के इस फैसले से अजीब स्थिति पैदा हो गई है जिसमें मुक्केबाजी की एक इकाई को अंतरराष्ट्रीय महासंघ स्वीकृति देता है जबकि दूसरी इकाई को देश का ओलम्पिक संघ मान्यता देता है।
रामचंद्रन ने कहा, कार्यकारी परिषद की बैठक में मुक्केबाजी के मुद्दे पर लम्बी चर्चा की गई और इस पर सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि भारत में मुक्केबाजी की संस्था और आईओए से मान्यता प्राप्त संस्था आईएबीएफ होगी। एआईबीए ने बाक्सिंग इंडिया और उसके चुनाव को मान्यता दी है। उनके चुनाव के लिए सरकार या आईओए ने कोई पर्यवेक्षक नहीं भेजा था। हमारे पास पहले ही आईएबीएफ के रूप में मान्यता प्राप्त संस्था है। रामचंद्रन ने कहा, विवाद थे और इसे देखते हुए आईओए ने तदर्थ समिति का गठन किया लेकिन एआईबीए ने इसके बाद बाक्सिंग इंडिया को मान्यता दे दी। इसे थोपा गया था और उन्होंने (एआईबीए) कहा कि बाक्सिंग इंडिया अपने चुनाव कराएगा। आईओए ने यह मुद्दा एआईबीए अध्यक्ष के समक्ष उठाया। हमने कहा कि चुनाव आईओए के तत्वावधान में एआईबीए के पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में होने चाहिए। एआईबीए ने इन सुझावों को स्वीकार नहीं किया और बाक्सिंग इंडिया ने अपने चुनाव एआईबीए की निगरानी में कराए। आईओए प्रमुख ने साथ ही राष्ट्रीय खेल महासंघ से जुड़े मामले में एकतरफा फैसला करने के लिए एआईबीए को लताड़ भी लगाई।
उन्होंने कहा, भारत में जब किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ का चुनाव होता है तो आईओए को शामिल किया जाना चाहिए। जब दो समूहों में विवाद हो तो ऐसा जरूर होना चाहिए। आईओए को नजरअंदाज करना और एकतरफा फैसला करना किसी खेल के लिए अच्छा नहीं है। आज यह मुक्केबाजी के साथ हुआ और कल किसी अन्य खेल के साथ हो सकता है। किसी भी हालात में आईओए की स्वायत्ता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। रामचंद्रन ने कहा, अंतरराष्ट्रीय महासंघ आईओए को यह नहीं कह सकता कि वह एक्स को नहंीं चाहता और उसकी जगह वाई को लाया जाए। आप राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति को बाध्य नहीं कर सकते। वे दिन लद गए हैं। रामचंद्रन विवादित श्रीनिवासन के भाई हैं। एक बात और 18 दिसम्बर को भोपाल में भारतीय खेल प्राधिकरण के संचालक जिजी थामसन ने ब्राजील में होने वाले ओलम्पिक खेलों में मुक्केबाजों से पदक की उम्मीद जताई है, पर कैसे? 

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