Sunday 14 June 2015

सुषमा की मानवीयता

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मानवीयता ही उनके गले की फांस बन गई है। लंदन में निर्वासित जीवन जी रहे इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व प्रमुख ललित मोदी को ब्रिटेन में ट्रैवल डॉक्यूमेंट दिलाने में मदद देकर सुषमा स्वराज विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं। सत्तापक्ष जहां इस मामले में सुषमा को क्लीन चिट दे रहा है वहीं विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ा है। ललित मोदी की जहां तक बात है, वह अपनी कार्यशैली, फैसलों और गतिविधियों की वजह से हमेशा विवादों में रहे हैं। उन पर आईपीएल में वित्तीय अनियमतताओं के आरोप के साथ ही भारत में लुक-आउट नोटिस जारी है। ललित मोदी को वीजा प्रदान करने का मामला ब्रिटेन में संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन है। मोदी को वीजा भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज की सिफारिश पर प्रदान किया गया था। वाज ने सुषमा का नाम लेकर मोदी को ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज प्रदान करने के लिए ब्रिटेन के शीर्ष आव्रजन अधिकारी पर दबाव डाला था। विवादित मोदी को वीजा दिलाने के मामले में सुषमा का कहना है कि उन्होंने ब्रिटिश उच्चायुक्त से कहा था कि उन्हें अपने कानून के अनुसार मोदी के आग्रह का अध्ययन करना चाहिए। यह मामला 2014 का है, जब मोदी ने कहा था कि उनकी पत्नी कैंसर पीड़ित है और उसकी सर्जरी पुर्तगाल में होगी। सुषमा ने कहा कि यह सच है कि कीथ वाज ने मुझसे मोदी के वीजा मामले में बात की थी, पर मैंने उनसे वही बात कही जो ब्रिटिश उच्चायुक्त से कही थी। मैं ईमानदारी से मानती हूं कि ऐसे हालातों में किसी भारतीय नागरिक को आपात यात्रा दस्तावेज दिलाना गलत नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसी आधार पर ललित मोदी का पासपोर्ट जब्त करने वाले संप्रग सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए कहा था कि यह बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है और इस नाते यह आदेश असंवैधानिक है और मोदी ने अपना पासपोर्ट वापस पा लिया। विपक्षी दल सुषमा पर मोदी को वीजा ही नहीं अपने भांजे ज्योतिर्मय कौशल को ब्रिटिश लॉ डिग्री कोर्स में प्रवेश दिलाने में वीटो पॉवर इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं। ज्योतिर्मय कौशल की जहां तक बात है, उसे सुषमा स्वराज के मंत्री बनने से पहले ही 2013 में ससेक्स यूनिवर्सिटी के लॉ कोर्स में सामान्य प्रवेश प्रक्रिया के माध्यम से दाखिला मिला था। ललित मोदी और सुषमा स्वराज को लेकर विपक्ष जो ड्रामा कर रहा है, उससे तो यही लगता है उसे मानवीय सरोकारों से अब कोई वास्ता नहीं रहा है।

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