लोग अपने मतलब के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, यह बात जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अलगाववादी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी ने शुक्रवार को भारतीय पासपोर्ट अधिकारियों के समक्ष खुद को हिन्दुस्तानी कहकर सच साबित कर दिया है। गिलानी जैसों का बार-बार बातें बदलना इनके दोहरे चरित्र को ही उजागर करता है। अपनी बीमार बेटी से मिलने सऊदी अरब जाने का इच्छुक अलगाववादी नेता शुक्रवार सुबह पासपोर्ट कार्यालय पहुंचा और उसने नागिरकता के खाने में ‘भारतीय’ भरा। कुत्ते की पूछ कभी सीधी नहीं हो सकती, यह बात गिलानी जैसों पर सौ फीसदी सच साबित होती है। आज खुद को भारतीय कहलाने वाले गिलानी ने 31 मई को जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी झण्डे लहराने को उचित करार दिया था। गिलानी जैसे लोग खाते तो भारत का हैं लेकिन अपना शुभचिन्तक पाकिस्तान को ही मानते हैं। गौरतलब है कि 15 अप्रैल को हुर्रियत की एक रैली में अलगाववादी मसरत आलम द्वारा पाक झण्डे लहराए जाने पर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की तीखी आलोचना की थी। उसके बाद मुफ्ती सरकार ने न केवल मसरत को गिरफ्तार किया बल्कि उस पर लोक सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा भी दर्ज किया था। भारत-पाकिस्तान सम्बन्धों में हमेशा से ही गिलानी जैसे दोहरे चरित्र के लोग खलल डालते रहे हैं, यही वजह है कि दोनों के सम्बन्ध चार कदम आगे बढ़ते हैं तो तीन कदम पीछे खींच लिए जाते हैं। आजादी के 68 साल बाद भी पुरानी तल्खियां दूर करने की बजाय नये फसाद पैदा किये जा रहे हैं। पाकिस्तानी जिस तरह इतिहास के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, उसके पीछे गिलानी जैसे दहशतगर्द लोगों का विशेष हाथ है। हालिया परवेज मुशर्रफ और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ के अनर्गल बयान यही साबित करते हैं कि रस्सी जल गई पर ऐंठन बरकरार है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख का यह कहना कि 1965 के युद्ध में पाकिस्तान ने भारत को करारी शिकस्त दी थी, सरासर गलत है। अपने सैनिकों का जोश बढ़ाना हर सेना प्रमुख का दायित्व है, लेकिन नई पीढ़ी के सामने इतिहास की गलतबयानी किसी लिहाज से उचित नहीं कही जा सकती। आतंकी किसी का सगा नहीं हो सकता इस बात से बेखबर पाकिस्तान आज आतंकवाद और चरमपंथ को ही बढ़ावा दे रहा है। पाक की इन करतूतों का खामियाजा वहां की आवाम भुगत रही है। पाकिस्तानी हुकूमत और सेना कश्मीर हासिल करने की जिद उसी तरह पाले बैठे हैं, जैसे कोई बच्चा चांद पाने की जिद करता है। पाकिस्तानी जिद को हवा देने का काम गिलानी और मसरत आलम जैसे लोग ही कर रहे हैं। गिलानी की हरकतों को देखते हुए ही भारतीय जनता पार्टी ने उसे अपनी नागरिकता स्पष्ट करने और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए माफी मांगने को कहा था। गिलानी जैसे लोगों के दोहरे चरित्र को खारिज करना सांप को दूध पिलाने के ही समान है। केन्द्रीय गृह एवं विदेश मंत्रालय को ऐसे विघ्नसंतोषी लोगों को हर हाल में सबक सिखाना चाहिए।
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