Wednesday, 3 June 2015

हर रात मुझसे करता है बिस्तर मेरा सवाल

कागज पे घर बहुत से बनाये गए हैं आज
बेघर को सब्ज बाग दिखाए गए हैं आज
अखबार में जरा सा चमकने के वास्ते
बे- बात के भी जश्न मनाये गए हैं आज
मायूसियां कहीं इन्हें वीरान कर न जायें
फिर हसरतों के मेले लगाये गए हैं आज
कुछ बस्तियों में मंदिर ओ मस्जिद के नाम पर
आबाद जो मकाँ थे गिराए गए हैं आज
हर रात मुझसे करता है बिस्तर मेरा सवाल
आँखों में कितने ख़्वाब सजाये गए हैं आज

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